Kankalgarh Railway Station, Why Train has not stopped at this railway station for 92 years: 92 साल से नहीं रुकी इस रेल्वे स्टेशन पर ट्रैन। इस रेलवे स्टेशन को भारत का Most haunted Railway Station in India Kankalgarh Station के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है की यहाँ पर करीब 92 सालो से कोई भी ट्रैन रुकी नहीं है और ना ही ट्रैन में से बहार देखने में कोई दीखता है। तोह चलिए जानते है Kankalgarh Railway Station, के बारे में।
कंकालगढ़ रेलवे स्टेशन कहा है, 92 साल से नहीं रुकी ट्रैन
कंकालगढ़ स्टेशन की खौफनाक कहानियों के बारे में बहुत ही काम लोग जानते है। कुछ लोग कहते है की यह सिर्फ अफवाह है जो अंग्रेजो द्वारा फैलाई गयी थी, ताकि किसे के भी भीतर उनके खिलाफ विद्रोह करने की भावना कभी सर न उठा सके। इसका जिक्र कही भी आपको देखने को नहीं मिलेगा। कहते है 27 फरवरी 1931 को चंद्र शेखर आज़ाद के शहीद होने के बाद 13 मार्च को विद्रोही किसानो से भरी हुई पूरी एक ट्रैन को जो चानवी पर हमला करने के लिए इलाहबाद की तरफ आ रही थी।
कंकाल गढ़ रेलवे स्टेशन, क्या है 13 तारीख का राज़
इसी स्टेशन पर रुकवा दिया गया, जो लोग ट्रैन से कूदकर भागे अंग्रेजी सैनिको ने उनको दबोच लिया और गांव वालों के सामने ही उनमे से कुछ को पेड़ से लटककर फँसी दे दी गयी। किसे के शरीर पर पथ्थर बांधकर उन्हें नहर में फेक दिया, किसे को रैवै लाइन पर लेटा कर उनपर ट्र्रैं चलवा दी गयी।
1300 से ज्यादा लोग डिब्बे में ही जलकर राख हो चुके थे। बताते है की जब ट्रैन से जाली हुई लाशें निकली गयी तोह उसमे से बहुत साडी हड्डिया और कंकाल निकले थे। लोगो में दहशत और खौफ पैदा करने के लिए आस पास के गांव से मजदुर बुलाये गए उनके सामने ही नीव खुदवाकर फिर उसी नीव के ऊपर इस स्टेशन की ईमारत कड़ी की गयी।
इस तरह से वीरान पर कंकालगढ़ स्टेशन वजूद में आया। तब से लेकर आज तक लोग बताते है की हर महीने की 13 तारीख को कंकालगढ़ स्टेशन पर बहुत सी अजीबो गरीब और रहस्यमयी घटनाये घटती है।
कंकालगढ़ की रहस्यमयी घटना
प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाला एक टीचर जिसकी नयी नयी पोस्टिंग कंकालगढ़ में हुई थी। ये उसका दुर्भाग्य था की जिस दिन वो जोइनिंग के लिए पंहुचा, उस दिन 13 तारिख थी। कंकालगढ़ तक पहुंचने के लिए सिर्फ 1 ही रास्ता था। अंग्रेजो द्वारा बनायीं गयी 166 साल पुराणी पुलिया। ऐसे वीरान जगह पर स्कूल बनाने की जरुरत ही क्या थी ? जहा तक पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता था।
यहाँ पर दूर दूर तक कोई दिखाई नहीं देता। खासतौर पर 13 तारिख को यहाँ पर लोग घरो से बहार भी नहीं आते। उसे वहाँ पहुंचने पर अजीब सा एहसास हुआ। जैसे कोई उसका पीछा कर रहा हो जैसे तैसे उसने वहाँ पर 5 से 7 दिन गुजरे पर आगे वोह वहाँ रह ही नहीं पा रहा था तो उसने वहाँ से अपना ट्रांसफर करने का सोचा। थोड़े ही समय में उसकी ट्रांफर की अर्जी मंजूर हो गयी और जैसे ही वो वापस लौटने के लिए रेलवे स्टेशन पर वापस आया तो वो उस स्टेशन से गायब ही हो गया। लोगो को उसका बैग और फ़ोन स्टेशन पर मिला पर आजतक कोई नहीं जानता की वो कहा गायब हो गया।
क्या ऐसी जगह आपको जाना चाहिए?
वहाँ के लोगों के द्वारा बताया जाता है की अंग्रेजो के द्वारा जिन लोगो को ट्रेनों में जला दिया गया था उनकी आत्मा आज तक उसी स्टेशन पर भटकती रहती है। वहाँ रहने वाले लोगों की संख्या भी बहुत कम है उस पुरे गांव में करीब 40 से 50 परिवार ही रहते है जो की बहुत ही ज्यादा कम है। वहाँ के लोगो को अजीबो गरीब आवाजे शाम के बाद सुनाई देती है। अगर आप वहाँ जाना चाहते है तो सोच समजकर ही जाए क्युकी वहाँ जाना खतरनाक हो सकता है।
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