आज हम बात करने वाले है ऐसे हिंदुत्व पूर्वजो की जिनको नासा से भी पहले सभी चीज़ो का ज्ञान था जिन्हे पता था हमारे इंद्रधनुष के रंगो, सौरमंडल और पृथ्वी के बारे में। हमारे पूर्वज कैसे थे, कौन थे इस बात का तो ज्ञान हमें नहीं है पर उनसे जुड़े कुछ रहस्य के बारे में आज हम बात करेंगे जिनको जानकार आप भी हैरान रह जायेंगे।
1.शनि देव की मूर्ति काले रंग की क्यों होती है?
आपने देखा होगा की सभी मंदिरो में शनि देव की मूर्तो काले रंग की होती है यहाँ तक की कुछ जगह तो शनि महाराज का मंदिर भी काले पथरो से बना होता है। इसके पीछे का कारन यह हैं की एक समय की बात है जब सूर्य देव की पत्नी उनसे दूर जाना चाहती थी और उनकी पत्नी अपने माता पिता के पास चली गयी। माता पिता के पास जाने से पहले उन्होंने स्वयं की मूर्ति तैयार की और उसका नाम छाया रख दिया। सूर्य देवता की पत्नी ने उस मूर्ति को समझाया की सूर्य देव को इस बात का बिलकुल आभास नहीं होना चाहिए की में उनके आस पास नहीं हु। सूर्य देव ने छाया को अपनी पत्नी समझ लिया और छाया के साथ जो बच्चे हुए उसका नाम शनि पड़ा। छाया का मतलब होता है साया यानी की परछाई। इसी वजह से शनि देव काले रंग के है क्युकी वो चाय के पुत्र है। आपने बहुत लोगो को कहते सुना होगा शनि की छाया तो शनि की चाय यानी की शनि की माता का नाम छाया है। हनुमान जी की पूजा- यदि आप हनुमान जी के भक्त है तो ये माना जाता है आपके ऊपर शनि का प्रभाव काम माना जाता है इसीलिए हम देखते है की हर घर में हनुमान जी की पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ होता है, क्युकी शनि हनुमान भक्तो का नुक्सान नहीं पंहुचा पाते।
2 .शनि देव जी छाया
ऐसा बहुत लोग मानते है की शनि देव जी की जब किसी व्यक्ति के ऊपर छाया पड़ जाती है तो हमेशा उसका नुक्सान होता है ये बिलकुल मिथ्या है। शनि देव जब किसी के पास आते है तो हमेशा नुक्सान और तकलीफे लेकर नहीं आते बल्कि शनि देव का काल जो की 7.5 साल का होता है, 7.5 का मतलब है की शनि का समय 3 हिस्सों में बाटा गया है, जिसे ढैया कहते है। 2.5 पहला , 2.5 दूसरा , 2.5 तीसरा- यानी शनि का पहला 2.5 साल शरीर के ऊपरी हिस्से में होता है उस समय में व्यक्ति मानसिक तौर पर झुझते है, जिसमे डिप्रेशन, काम में नुक्सान, उदास होना, गुस्सा आना, तकलीफे झेलना इन सभी समस्या से इस समय गुजरना पड़ता है। यहाँ तक की आप आखो से जो भविष्य देखते है वो काला नजर आता है, हर बात पर आपको गुस्सा आता है और आपका दिमाग ऐसी चीज़ो से घिर जाता है जिसमे सिर्फ निराशा नजर आती है।
शनि का दूसरा हिस्सा यानि अगले के 2.5 साल चेस्ट पर असर करके निचे की तरफ जाता है। इस समय पेट की समस्या होती है और आपको इस समय अच्छा खाना मिलता है। इस समय पेट निकल जाता है और पेट की बीमारियां हो जाती है। और तीसरा है आखिरी ढैया जो पेरो की तरफ जाता है। ऐसा माना जाता है की जब शनि देव पेरो की तरफ आते है तो आपको शुरू के 5 साल में जो तकलीफे मिलती है उन सब का सुझावड़ा हो जाता है और जीवन में सुख और समृद्धि चरणों में आ जाती है। इस समय आप बहुत साड़ी यात्राएं करते है जिसमे आप देश और दुनिया घूमते है और खूब पैसा कमाते है।
इस आखिरी 2.5 साल में आप सभी की भरपाई कर लेते है। पर ज्यादा लोग शुरू के 5 सालो में यानी की 2 दहिया में ही डेह जाते है और उनकी इसी समय में मौत हो जाती है और ऐसा माना जाता है की यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु शनि की साढ़े साती में हो जाती है तो अगले जन्म में पहले पुराणी साढ़े साती ख़त्म करनी होगी।
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3. इंद्रधनुष
आपको जानकार हैरानी होगी की हमारे पूर्वजो को बहुत सी चीज़े नासा को पता चलने से पहले ही पता है। जैसे की सूर्य देव के रथ में 7 घोड़े ही क्यों है। क्युकी हमारे पूर्वजो को पता था की 7 घोड़े यानी की 7 रंग जो की हमें अपनी नंगी आँखो से नहीं दीखते लेकिन सूर्य से आने वाली हर किरण में 7 रंग होते है जिसे हमने इंद्रधनुष का नाम दिया, इसीलिए सूर्य देव के रख में भी 7 ही घोड़े है।
4.आकाशगंगा
जैसा की हमारे पूर्वजो की इंद्रधनुष का ज्ञान था उसी प्रकार भ्रह्म्ण्ड में आकाशगंगा होने का ज्ञान भी उन्हें पहले से ही था। बाद में इसे नासा ने ” मिल्कीवे ” का नाम दिया गया। हम पहले से ही जानते थे की सौरमंडल में 9 ग्रह थे इनका ज्ञान हमारे पूर्वजो को पहले से था इसीलिए हमारे परिवाले में हिन्दू धर्म में हर अच्छे और बुरे काम के अंत में 9 ग्रहो की पूजा की जाती है और उनके शनि की पूजा की जाती है। यानी जब हिन्दू धर्म में कोई पैदा होता है तो 9 ग्रहो को देखकर ही कुंडली बनायीं जाती है और जब किसी का देहांत होता है तो उसकी आत्मा की शनि के लिए उन्ही 9 ग्रहो की पूजा की जाती है। जब ग्रहप्रवेश का कार्यकर्म होता है तब भी हम 9 ग्रहो की पूजा की जाती है ताकि 9 ग्रह शांत रहे।
5.पृथ्वी गोल है?
एक समय था जब बहुत से लोग पहले ये समझने की कोशिश कर रहे थे की पृथ्वी गोल है और पृथ्वी सूर्य के इर्द गिर्द गोल गोल घूमती है, ऐसा कहने वालों में से कुछ लोगो को मार दिया गया और कुछ लोगो को घर में दबंद कर दिया गया, ऐसे लोगो को एंटीक्रिस्ट नाम दे दिया गया। जब पश्चिमी देशो में ये सब चल रहा था तो हम तब भी जियोग्राफी को भूगोल ही कहते थे, इसका मतलब है भू यानी की जमीं और गोल मतलब राउंड। ये सभी जानकारी हमारे पूर्वजो को ये बात सब पहले से ही पता थी। कैसे ? कौन थे हमारे पूर्वज? कैसे बिना इतनी तकनीकों के हमें इतनी बातो का पता था ?
FAQ’s–
Q.1- शनि देव का रंग काला क्यों है?
उत्तर- शनि देव का रंग काला इसीलिए है क्युकी उनकी माता का नाम छाया था जो की सूर्य देव की पत्नी के द्वारा बनायीं गयी मूर्ति थी। सूर्य देव की पत्नी अपने माता पिता के यहाँ चली गयी थी और अपनी जगह छाया को छोड़ गयी थी जब सूर्य देव और छाया के पुत्र हुए तो वो काले रंग के हुए क्युकी वो एक छाया द्वारा जन्मे पुत्र थे।
Q.2- शनि देव की ढैया कितने समय तक रहती है?
उत्तर[- शनि देव की ढैया को 3 भागो में बाटा गया है जिसमे पहले 2.5 साल में दिमाग सम्बन्धी परेशानी रहती है क्युकी उस समय शनि का प्रभाव मस्तिक्ष पर होता है। दूसरे 2.5 साल में शनि का प्रभाव छाती और पेट पर रहता है जिसमे पेट सम्भान्धि समस्या रहती है और तीसरी ढैया यानि तीसरे 2.5 साल में शनि का प्रभाव पेरो में रहता है जिसमे पहले 5 साल में आयी सभी तकलीफो का समाधान हो जाता है और विदेश में यात्रा करने का और खूब धन कमाने का मौका मिलता है।
Q.3- शनि की साढ़े साती या फिर ढैया का समाधान कैसे करे ?
उत्तर- यदि आपको शनि की साढ़े साती ज्यादा परेशां कर रही है तो शनिवार के दिन शनि महाराज के मंदिर जाकर उनपर काले टिल और सरसो के तेल का अर्पण करे और ये करते समय ध्यान रखे की उनकी आखों में बिलकुल ना देखे सिर्फ चरणों में ही तेल चढ़ाये आपको जरूर शनि की छाया से आराम मिलेगा।
Q.4- अभी शनि की साढ़े साती किन राशियों पर चल रही है?
उत्तर- अभी शनि की साढ़े आती मकर, कुम्ब और मीन राशि पर चल रही है।
Q.5- शनि देव जी किस चीज़ से खुश होते है ?
उत्तर- शनि महाराज की हनुमान जी की भक्ति और उनके भक्त से प्रसन्न रहते है और ऐसे लोगो को ज्यादा परेहन भी नहीं करते इसीलिए हमें हनुमान जी की भक्ति करनी चाहिए।
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