भारत में बहुत से रहस्यमयी स्थल मौजूद है पर एक ऐसी जगह जिसके बारे में पुरे भारत तो क्या बल्कि पूरा धरती ही उसके रहस्यमयी सवालों को नहीं सुलझा पाया है। एक ऐसी मूर्ति जो हर महीने ही रजस्वला हो जाती है, ऐसा क्यों है, ऐसा केसा होता है, क्या ये सच है, सच है तो केसा होता है। असम के नीलांचल पर्वत पर मौजूद कामाख्या माता के मंदिर की हम बात कर रहे है। यहाँ हर साल एक रहस्यमयी चमत्कार होता है और देवी की मूर्ति रजस्वला होती है।
यहाँ एक एक कोने में तांत्रिक विद्या की जाती है जो आम इंसान के लिए समझना बहुत मुश्किल है। यहाँ माता सती की योनि की पूजा की जाती है और साल में 3 दिन के लिए मंदिर को बंद कर दिया जाता है क्युकी उन्ही 3 दिनों के लिए देवी रजस्वला होती है। इन 3 दिनों में पुरुषो को मंदिर में नहीं प्रवेश करने दिया जाता। ऐसा कहा जाता है की इन दिनों मंदिर के गर्भ ग्रह में रखा सफ़ेद कपडा लाल हो जाता है जिसे बाद में ” अम्बुवाची ” के रूप में भक्तों के बीच में वितरित किया जाता है।
कामाख्या माता मंदिर से जुड़े रहस्य
आपको जानकर हैरानी होगी इन्ही 3 दिनों में ब्रह्मपुत्र नदी का जल भी लाल हो जाता है। यहाँ के साधुओ के पास ऐसे अद्भुत शक्तियां है जिनका इस्तेमाल वो विशेष परिस्थितियों में ही करते है। इस मंदिर में अनगिनत रहस्य छुपे है जिसे आज तक दुनिया अपरिचित है। ऐसे ही कुछ रहस्यों के बारे में आज हम आपको बताने वाले जिन्हे जानकार आप हैरान हो जायेंगे।
1.माता सती की योनि की पूजा
ये भारतीय धार्मिक और तांत्रिक परंपराओं के रूप में ये जगह बहुत मायने रखती है। ये रानी सती के 52 शक्तिपीठों में से एक जगह है। पौराणिक कथा के अनुसान भगवान् शिव जी के गुस्से को शांत करने के लिए भगवन विष्णु ने सुदर्शन चक्त्र से उनके शरीर को 52 भागों में बांटा। जहाँ जहाँ उनके अंग गिरे वहां शक्तिपीठो की स्थापना हुई। कामाख्या माता का मंदिर वहां बना जहाँ माता सती की योनि गिरी। इस जगह पर पूजा अर्चना से भक्त अपनी मनोकामना तो पूरी करते है साथ ही तांत्रिक विद्या में भी परिपूर्ण होते है।
यहाँ की ख़ास बात है की यहाँ किसी भी मूर्ति की पूजा नहीं होती बल्कि एक शिला की पूजा की जाती है जिससे निरंतर जल बेहटा रहता है और उसे माता सती की योनि कहा जाता है। इस जल को लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है। यहाँ आपको लाखों की संख्या में भक्त देखने को मिलेंगे जो अपनी समस्या के समाधान के लिए आते है।
2. तीन दिन तक पुरुषो का प्रवेश निषेध
यहाँ साल में 3 दिन तक पुरुषो को प्रवेश नहीं करने दिया जाता जिसे अम्बुवाची मेला कहा जाता है। ये महिला जून के महीने में होता है। इन 3 दिनों में देवी माता रजस्वला होती है ऐसा वहां के लोगो का मन्ना है। इन 3 दिनों में यहाँ किसी भी तरह की पूजा नहीं की जाती और गर्भ गृह में एक सफ़ेद कपडा रख दिया जाता है और 3 दिनों के बाद ये कपडा लाल हो जाता है। लाल कपडा देवी माता के उपस्थिति को दर्शाता है। 3 दिन के बाद इस कपडे को अम्बुवाची वस्त्र के नाम से प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित कर दिया जाता है। ये रहस्य आज तक कोई नहीं सुलझा पाया की कपडा लाल कैसे होता है।
3. मूर्ति के बिना पूजा
कामाख्या देवी मंदिर की अनोखी बात ये है की यहाँ किसी भी मूर्ती की पूजा नहीं की जाती। तांत्रिक साधनाओ का केंद्र के साथ साथ प्राकर्तिक शक्ति को दर्शाता है। यहाँ देवी के स्थान पर एक कुंड है जिसे फूलों से सजाया जाता है इसी कुंड के पास एक शिला है जिसे ही देवी का प्रतिक मानकर पूजा की जाती है। ये जगह भक्तों के साथ साथ तांत्रिको के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। किसी को नहीं पता की इस कुंड में जल कहाँ से आता है।
4. ब्रह्मपुत्र नदी का लाल पानी
अम्बुवाची मेले के दौरान एक ऐसी घटना होती है जिसने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर रखा है। मंदिर के बिलकुल पास से ब्रह्मपुत्र नदी बहती है और ब्रह्मपुत्र नदी का जल भी अम्बुवाची मेले के दौरान जिस समय माता रजस्वला में होती है उसी समय लाल होता है। इस रहस्यमयी बात का पता किसी को नहीं है की ऐसा क्यों है। इस समय नदी में किसी को स्नान नहीं करने दिया जाता है। बाकी लोगों का कहना है की नदी का लाल होना देवी माता का चमत्कार है।
5. तांत्रिक विद्या का आश्रम
ये तांत्रिक विद्या के लिए जरुरी जगह है। यहाँ लोगो को तांत्रिक विद्या सिखाई भी जाती है और कराई जाती है। यहाँ साधु दूर दूर से आते है। यहाँ अलग अलग और विशेष प्रकार की तांत्रिक विद्या की जाती है। लोगो का ऐसा भी कहना है की यहाँ की तांत्रिक विद्यां में अद्भुत शक्तिया है।
6. अम्बुवाची मेले का रहस्य
इस मेले में एक अनोखा रहस्यमयी प्रसाद भक्तों को दिया जाता है जो दुनिया के किसी भी मंदिर में नहीं दिया जाता। इस मेले में भक्तों को गीला कपडा लाल रंग का प्रासाद के रूप में दिया जाता है जो की देवी माता के रजस्वला होने पर रक्त बहने से बने लाल कपडे के रूप में दिया जाता है। इस वस्त्र को अम्बुवाची वस्त्र कहा जाता है। ऐसा भी कहा जाता है की जो भी इस वस्त्र को धारण कर लेता है उसे जीवन में विशेष सफलता मिलती है। साथ ही इसका प्रयोग तांत्रिक विद्या में भी किया जाता है। आप देख्नेगे की इस वस्त्र को धारण करने दूर दूर से लोग आते है।
7. काले जादू का असर
मंदिर का परिसर तांत्रिक विद्या से इस कदर भरा हुआ है की आपको हर तरफ यही देखने को मिलेगा। यहाँ तांत्रिक विद्या का प्रयोग नकारात्मक ऊर्जा को निष्क्रिय करने के लिए किया जाता है की काले जादू का कोई असर ही नहीं रह जाता। यहाँ लोग अपने ऊपर किये गए काले जादू को दूर करने आते है और अघोरी साधु यहाँ आध्यात्मिक बल को प्राप्त करने आते है। यहाँ तांत्रिक विद्या दी भी जाती है। यहाँ जो पूजा की जाती वो बाकी मंदिरो के जैसे नहीं बल्कि बिलकुल अलग ढंग से यहाँ पूजा की जाती है। यहाँ आपको लगा शक्ति का एहसास होगा जो की सकारात्मक शक्ति है।
8. बलि और बालिका भोजन का रिवाज
कामाख्या मंदिर में ये प्रथा है की जब भी किसी की मनोकामना पूरी हो जाती है तो उसको वहां कन्या जिमानी होती है जिसमे बहुत सी छोटी छोटी बालिकाओ का भोजन कराया जाता है। इन बालिकाओ को देवी के रूप में भोजन कराया जाता है। इसके आलावा यहाँ कुछ भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर जानवरों की बलि दी जाती है। ज्यादातर यहाँ पर बकरी की बलि दी जाती है, नर पशुओं की यहाँ पर बलि नहीं दी जाती।
9. मंदिर की वास्तुकला
पहाड़ी पर स्थित होने के कारण और मूर्ति की विशिष्ठ के कारण ये अन्य मंदिरों से बहुत अलग है। मंदिर में स्थित शिला हमेशा जल से भरी रहती है। साथ ही मंदिर का वातावरण अन्य मंदिर से काफी अलग है। साथ ही पर्वत पर होने के कारण ये प्राकर्तिक सौंदर्य भी प्रकट करता है। इसकी बनावट ऐसी है की ये धार्मिक और तांत्रिक दोनों तरह से जरुरी है। यहाँ आपको ज्यामितीय आकर देखने को मिलेगा जिसमे आपको त्रिकोण, वृत्त, चौकोर देखने को मिलेंगे। यहाँ की विशेष वास्तुकला मंदिर के महत्त्व को और बढ़ा देता है।
10. रात्रि पूजा
कामाख्या माता मंदिर में रात को पूजा की जाती है जिसे विशेष महत्त्व दिया जाता है। लोगो को मन्ना है की रात को पूजा इसलिए की जाती है क्युकी उस समय देवी की शक्ति तेज होती है। यहाँ रात को तंत्र विद्या, मंत्र और विशेष अनुष्ठान किये जाते है। रात के लिए पूजा करने यहाँ काफी लोग आते है। ऐसा कहा जाता है की रात में पूजा करने से जल्दी मनचाहा फल मिल जाता है।
11. विद्युत प्रवाह
मंदिर में स्थित ग्रह में शिला से एक अनोखा प्राकर्तिक विद्युत प्रवाह देखा जाता है। ये मंदिर की ऊर्जा के बारे में बताता है और लोगो को देवी की उपस्थिति को दर्शाता है।
12. देवी की उपस्थिति
कामाख्या माता मंदिर के करीब काफी साडी गुफाये स्थित है जिनके बारे में कहा जाता है की देवी यही निवास करते है। साधु और तांत्रिक इन गुफाओ में अलग अलग तंत्र विद्या करते है जिससे उन्हें देवी की उपस्थिति का एहसास होता है।
ये थी इससे जुडी कुछ रहस्यमयी बाते और घटनाएं जो विज्ञान भी नहीं समझ पा रहा। यहाँ की हर पूजा और अनुष्ठान में विशेष रहस्य और चमत्कार छुपे है। वहां के लोगों का तो मन्ना है की माता उनके हर मनोकामना को पूरी करती है। क्या आप ही ऐसे रहस्यमयी मंदिर के दर्शन करना चाहते है यदि हां तो कमेंट करके जरूर बताये।
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FAQ’s-
Q.1- कामाख्या माता मंदिर की स्थापना कैसे हुई थी?
उत्तर– पौराणिक कथाओ के हिसाब से जब देवी सटी ने यज्ञ में अपने प्राणो की आहुति दी तो शिव जी बहुत क्रोधित हो गए। क्रोध में आकर शिव जी ने माता सटी को गोद में उठाकर पूरी दुनिया में ब्राह्मण करने लगे जिससे उनका क्रोध हर क्षण बढ़ रहा था। तब इस स्थिति को सभालने के लिए भगवन विष्णु जी ने माता सती के अपने सुदर्शन चक्र से टुकड़े कर दिए और जहाँ जहाँ माता सती के अंग गिरे वहां शक्तिपीठो का निर्माण हुआ। ऐसे माता सती के शरीर से 52 शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। माता सती की योनि जहाँ गिरी उसे कामाख्या माता मंदिर कहा गया। इस मंदिर को शक्ति और सृजन का प्रतिक कहा जाता है।
Q.2- कामाख्या माता मंदिर कहाँ स्थित है?
उत्तर- कामाख्या माता मंदिर असम की नीलांचल पर्वत पर स्थित है।
Q.3- कामाख्या माता मंदिर में पुरुषो की अनुमति क्यों नहीं है?
उत्तर– कामाख्या माता मंदिर में साल के 3 दिन जून के महीने में पुरषों को प्रवेश नहीं करने दिया जाता क्युकी इस समय कहा जाता है की माता रजस्वला पर होती है।
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