बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य:- आपने कई बार लोगो को यह कहते हुए तोह जरूर सुना होगा की आसमान खा गया या जमीन निगल गयी, लेकिन बहुत से लोगो का ऐसा मानना है की धरती पर एक ऐसे जगह है जहाँ पर ऐसा सच मे होता है और उसका नाम है बरमूडा ट्रायंगल।
यह जगह नार्थ अटलांटिक ओसियन के वेस्ट में है। यू ऐस के फ्लोरिडा से पुएर्तो रीको आइलैंड और बरमूडा के बीच में है। अब क्यों की यह तीनो जगह आपस में मिलकर एक ट्रायंगल बनाते है। इस वजह से इस जगह को बरमूडा ट्रायंगल (Bermuda Triangle) के नाम से जाना जाता है। लोगों का मानना है की बरमूडा ट्रायंगल एक ऐसी जगह है जिसमे कोई भी शिप या फिर हवाई जहाज जाये तो वो इस एरिया में गायब हो जाते है। बरमूडा ट्रायंगल का इतिहास इतना पुराना है की इसका जिक्र क्रिस्टोफर कोलंबस ने अपनी किताब में किया था।
बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य, कोलमबस ने सबसे पहले देखा
बात है साल 1492 की जब क्रिटोफेर कलमंबुस भारत की खोज में निकले तोह उस समय धरती के इस वेस्टर्न हेमिस्फर के बारे में यूरोप को ज्यादा कुछ नहीं पता था वोह यह तोह जानते थे की पृथ्वी गोल है तोह उनको लगा की अगर वो लगातार समुद्र में वेस्ट की और चलते जायेंगे तोह वो भारत पहुंच जायेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
भारत की खोज में निकले कोलंबस अमेरिका जा पहुंचे और उन्होंने अमेरिका को खोजा, लेकिन कोलंबस ने अमेरिका पहुंचने से पहले अमेरिका से कुछ किलोमीटर दूर समुद्र में एक अजीब तरह का व्यवहार देखा। समुद्र में हलचल हो रही थी, रात के समय में उन्हें आसमान में एक अजीब सी रौशनी दिखाई दी, यह रौशनी आग के गोले की तरह थी। वोह आग का गोला धीरे धीरे आसमान से निचे उतरता जा रहा था और समुद्र में समां गया।
कोलंबस ने अपने कंपास को देखा तो पाया की कंपास की सुई चारो तरफ घूम रही थी, उस जगह कंपास ने काम करना बंद कर दिया था और ये अजीब सी घटना समुद्र के उसी हिस्से में घाटी जिसे हम आज बरमूडा ट्रायंगल के नाम से जानते है ।
बरमूडा ट्रायंगल का इतिहास, और जुडी रहस्यमयी घटनाये
आज से करीब 100 साल पहले साल 1918 में बरमूडा ट्रायंगल में एक ऐसे घटना घाटी जिसने अमेरिका को बहुत बड़ी चोट पहुचायी। यह इतिहास की एक ऐसे दर्दनाक घटना थी जिसके बारे में जानकार आज भी रूह काँप जाती है।
अमेरिका की एक बड़ी कार्गो शोप थी USS CYCLOPS वर्ल्ड वॉर 1 ने इस कार्गो शिप ने अमेरिका की बहुत मदद की थी। इस शिप की मदद से वो ट्रूप और कोल् को दुनिया में इधर उधर भेजने का काम करते थे। मार्च 1918 में USS साईक्लोप्स को वेस्ट इंडीज से बाल्टिमोर जाना था। इस जहाज पर 306 लोग सवार थे।
उस समय समुद्र में समुद्री लुटेरों का बहुत दर रहता था तोह इस जहाज पर सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए डिटाँसे सिग्नल भेजने की भी सुविधा थी। जब यह जहाज बाल्टिमोर जा रहा था तोह रस्ते में बरमूडा तृनाग्ले से होकर गुजरा और अचानक से गायब हो गया यह इतने रहस्यमयी तरीके से गायब हुआ की पीछे कोई भी निशाँ नहीं छूटा।
सबसे विचित्र बात तोह यह थी की इस पर डिस्टेंस सिग्नल की सुविधा होते हुए भी कोई भी आपातकालीन सन्देश नहीं भेजा गया। आखिर क्यों? ऐसा तभी हो सकता जब इस जहाज पर अचानक कोई मुसीबत आयी हो और क्रू को डिस्टेंस सिग्नल भेजने तक का समय न मिला हो। यहाँ जो भी हुआ वो इतनी तेजी से हुआ की किसी को रियेक्ट करने का मौका ही नहीं मिला। इस पर सवार 306 लोग और यह जहाज अचानक कहा गायब हो गया इसका आज तक कोई अता पता नहीं है। और यह आज भी एक रहस्य है।
जहाज एलेन ऑस्टिन लंदन
साल 1881 में 710 फील लम्बा जहाज एलेन ऑस्टिन लंदन से न्यूयोर्क जा रहा था, जब एलन ऑस्टिन बरमूडा तृनाग्ले रस्ते से गुजरा तोह उसे समुद्र में तैरता हुआ अनजान जहाज दिखाई दिया लेकिन विचित्र बात यह थी की उस जहाज पर कोई व्यक्ति मौजूद नहीं था। एलन ऑस्टिन के कप्तान ने इस जहाज के पास रोककर लगातार 2 दिन तक इस अनजान जहाज के साथ संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन इस जहाज से कोई भी जवाब नहीं आया और ना ही इस जहाज पर कोई हलचल दिखाई दे रही थी।
एलेन ऑस्टिन के कप्तान को लगा की हो सकता है की इस जहाज पर समुद्री लूटेरो ने हमला किया और लूटेरो ने इस जहाज पर मौजूद लोगो को मारकर इस जहाज पर लूट पात करके चले गया हो इस बात की पुष्टि करने के लिए एलेन ऑस्टिन के कप्तान ने अपने कुछ क्रू मेंबर को इस अनजान जहाज पर भेजा। जब वो उस अनजान जहाज़ पर छाडे तो उन्हें वह पर एक अलग ही मंजर दिखाई दिया, उन्हें दिखाई दिया की जहाज पर कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं है। जहाज पर मौजूद सभी कीमती चीज़े जैसे की तैसे मौजूद है।
उस जहाज पर कोई भी मारपीट या लूटपाट का निशाँ नहीं था तोह मतलब साफ़ था समुद्री लूटेरो तो इस जहाज पर नहीं आये। तोह आखिर इस जहाज पर कोई भी व्यक्ति मौजूद क्यों नहीं था। इस जहाज पर मौजूद सभी लोग आखिर बिना निशाँ चोदे कहा गायब हो गए? एलम ऑस्टिन के कप्तान ने इस अनजान जहाज़ को अपने साथ किनारे तक लाने का फैसला लिया और अपने कुछ क्रू मेंबर को इस जहाज को अपने साथ किनारे तक लाने का निर्देश दिया। 2 दिनों तक तो सब कुछ ठीक चलता है, यह दोनों जहाज एक साथ किनारे की और भड़ने लगते है, लेकिन 2 दिनों के बाद एक तेज समुद्री तूफ़ान आता है जिसमे ये अनजान जहाज़ एलेन ऑस्टिन से दूर चला जाता है और समुद्र में खो जाता है।
अगले कुछ दिनों तक एलेन ऑस्टिन के कप्तान इस अनजान जहाज को समुद्र में खोजने लगते है और कुछ दिनों के बाद उन्हें फिर से वोह अनजान जहाज तैरता हुआ दिखाई देता है। एलेन ऑस्टिन के कप्तान ने फिर से अपने कुछ क्रू मेंबर्स को इस जहाज पर भेजा और इस जहाज को अपने साथ लाने के लिए कहा, लेकिन समुद्र में फिर से एक तूफ़ान आता और यह जहाज़ फिर से गायब हो जाता है और इस पर मौजूद क्रू मेंबर्स भी गायब हो जाते है। अब एलेन ऑस्टिन के कप्तान ने फिर से इसे अपने साथ न ले जाने का फैसला लिया और वो उस अनजान जहाज को वही छोड़कर आगे निकल गए।
Bruce Gernon-बरमूडा ट्रायंगल
बरमूडा ट्रायंगल अपने अंदर सैकड़ो विमानों और शिप को समां चूका है। जब भी बरमूडा ट्रायंगल में कोई समुद्री तूफ़ान उठता है तो बिना कोई सबूत चोदे समुद्र सब कुछ निगल जाता है। अब चाहे वो कोई बहुत बड़ी पानी की शिप हो या आसमान में उड़ता कोई विमान लेकिन मात्रा 19 लोग ऐसे है जाप बरमूडा ट्रायंगल के भीषण तूफ़ान को चकमा देकर निकल आये और जब उन्होंने अपनी आपबीती सुनाई तोह सबको हैरान कर दिया।
उन्ही में से एक व्यक्ति है Bruce Gernon. जिन्होंने बरमूडा ट्रायंगल में उठ रहे तुफानो को चकमा दिया यह बात है 4 दिसम्बर 1970 की सजब ब्रूस ने अन्द्रोस से मिआमि के लिए उड़ान भरी उसकी ये यात्रा 90 मिनट की होने वाली थी। जब उसने उड़ान भरी तोह आसमान में कोई भी हलचल नहीं थी, जब उसका पलाइन 1000 फ़ीट की उचाई पर पंहुचा तोह उसने सामने कुछ बदलो को देखा। वोह उन बदलो से होते हुए पलाइन को निकाल कर ले गया, लेकिन जब उसका जहाज 11500 फ़ीट की उचाई पर पंहुचा तोह उसके जहाज के सामने अब एक बहुत बड़ा बदल था। ब्रूस के सामने अब इस बदल से होकर गुजरने के आलावा कोई और रास्ता नहीं था।
जहाज उस बड़े से बदल में प्रवेश कर चूका था जैसे जैसे पलाइन क्लाउड में अंदर घुसता जा रहा था, वैसे वैसे चारो और अँधेरा भड़ता जा रहा था। यह बदल इतना घाना था की सूर्य की रौशनी भी इसमें प्रवेश नहीं कर पा रही थी।
यह बादक आम बदलो से बिलकुल अलग था, यह बदल न तोह बवंडर वाला था और ना ही इसमें बारिश हो रही थी। ब्रूस आगे भड़ता रहा। ब्रूस आगे चलता रहा और उसने देखा की बादलो का गोलाकार समूह बन गया, कुछ समय बाद ब्रूस को उन बदलो से एक रास्ता बहार निकलने का दिखाई दिया और वो उस रस्ते की तरफ बढ़ गया, जैसे जैसे वोह आगे बढ़ रहा था वोह रास्ता छोटा होता जा रहा था, जहाज के नेविगेशन सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया।
कंपास अपने आप चारो और घूमने लगा, पलाइन के सारे इंस्ट्रूमेंट काम करना बंद कर चुके थे, ऐसा लग रहा था जहाज को कोई अदृश्य शक्ति आगे खींच रही हो और अचानक पलाइन वह से बहार आ जाता है लेकिन अभी भी दिखाई नहीं दे रहा था तोह ब्रूस को सही लोकेशन का अंदाजा नहीं हो पा रहा था लेकिन अच्छी बात यह रही की पलाइन के कंट्रोल्स वापस काम करने लगे। घबराये ब्रूस ने रेडियो से स्टाफ से संपर्क करने की कोशिश की और ब्रूस ने ग्राउंड स्टाफ से बात की तोह पता चला वोह मिआमि में पहुंच चूका है।
ब्रूस को इन बातो पर विश्वास ही नहीं हो रहा था क्युकी जहाज को 400 किलोमीटर की दूरी तय करनी थी जिसमे 90 मिनट का समय लगने वाला था लेकिन ब्रूस को अभी उड़ान भरे महज 47 मिनट ही गुजरे है और तय समय से आधे समय में वोह मिआमि कैसे पहुंच सकता है और ब्रूस जिस पलाइन को उदा रहा था अगर वो अपनी पूरी रफ़्तार से भी उड़े वो महज 290 किलोमीटर की ही दूरी तय कर सकता था। जैसे ही पलाइन के सामने से हैवी रास्ता ख़तम हुआ तोह उसने देखा वो सच में मिआमि पहुंच चूका है और उसने सही सलामत पलाइन को लैंड कराया। जब उसने उतारकर देखा की पलाइन में फ्यूल का इस्तेमाल भी बहुत काम किया है। इसका मतलब हुआ यह की जहाज ने इतनी दूरी तय की ही नहीं।
आखिर उस जहाज के साथ ऐसा क्या हुआ की उस जहाज ने आधे समय में उस पूरी यात्रा को तय कर लिया ? ऐसे कोनसी अदृश्य शक्ति थी जिसने जहाज को इतनी शक्ति प्रदान की?
यह तो सिर्फ गिनी चुनी घटनाये है बल्कि बरमूडा ट्रायंगल में इतनी घटनाये घाटी है की जी जयादातर के बारे में कोई जानता भी नहीं है। बरमूडा ट्रायंगल को अलग अलग नाम से जाना जाता है।
विन्सेंट एच गद्दीस इन्होने साल 1964 में ार्गोसी नाम की मैगज़ीन में एक आर्टिकल लिखा, जिसमे इन्होने इस जगह के बारे में जिक्र किया और उस आर्टिकल का टाइटल था थे डेडली बरमूडा ट्रायंगल और उसके बाद बरमूडा ट्रायंगल लोगो में प्रचलित होता गया। अब बरमूडा ट्रायंगल के बारे में लोग इतना जानना चाहते थे की इसके ऊपर कई किताबे लिखी गयी और कई फिल्मे बनायीं गयी। लोगो ने बरमूडा त्रिअंगेल के बारे में अलग अलग बाते बताई की बरमूडा ट्रायंगल में ऐसा क्या हो सकता है की यहाँ पर ऐसे विचलित कर देने वाली घटनाये घटती रहती है। आइये जानते है उनमे से कुछ प्रचलित थ्योरी के बारे में।
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थ्योरी 1 – अटलांटिस सिटी
साल 1969 में थे मिस्त्री ऑफ़ अटलांटिस नाम की एक किताब पब्लिश हुई। जिसमे एडवांस अंडर वाटर सिटी अटलांटि का जीकर किया गया। इस किताब में बताया गया की समुद्र की गहराई में एक सेहर है अटलांटिस जिसमे हमसे भी एडवांस सभ्यता निवास करती है और इसी सभ्यता के लोग बरमूडा ट्रायंगल में जाने वाले शिप और विमानों को गायब कर देते है।
थ्योरी 2- टाइम ट्रेवल
साल 2010 में पीटर ंगलेमन की एक किताब पब्लिश हुई थे टाइम पासपोर्ट। जिसमे उन्होंने बताया की इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फ़ील्ड्स की वजह से बरमूडा ट्रायंगल में कुछ समय के लिए वार्म होल्स बनते है, जो उस समय में बरमूडा ट्रायंगल से गुजरने वाली शिप या विमानों को भूत या भविष्य काल में भेज सकते है, या उन्हें किसे दूसरी दुनिया में भेज सकते है। हालाँकि उनकी थ्योरी के बारे में अल्बर्ट आइंस्टीन ने जिक्र किया था की वार्म होल्स के द्वारा स्पेस टाइम में यात्रा की जा सकती है। वार्म होल्स स्पेस टाइम में वो शार्ट कट रस्ते है जो पल भर में हमें ब्रह्माण्ड के दूसरे कोने में पंहुचा सकते है यह समय में टाइम ट्रेवल करवा सकते है।
थ्योरी 3- थे एक्सट्राटेरेटरील सविलिसशन
लोगो का मानना है की बरमूडा ट्रायंगल के निचे एलियंस रहते है और यही एलियंस ही बेरमुड़सा ट्रायंगल से शिप और विमानों को गायब करते है। अगर देखा जाये तो यह सब थ्योरी रोचक तो जरूर लगती है शायद इसी वजह से जिन किताबो में इन थेरोरिएस का जिक्र किया गया वो किताबे बेस्ट सेलर बानी। वैज्ञानिक रूप से अपनी सत्यता को प्र्रमाणित नहीं कर पातियो है तोह इन पर विश्वास करना संभव नहीं, लेकिन कुछ थ्योरी ऐसे भी है जो वैज्ञानिक रूप से बरमूडा ट्रायंगल के रहस्यों का खुलासा करती है।
दरअसल बरमूडा ट्रायंगल का जो एरिया है उसमे से समुद्र के निचे बहुत सारे ज्वालामुखी मौजूद है और जब यह ज्वालामुखी फटते है उनमे से बहुत सी जहरीली गैस जैसे मेथेन भी निकलती है, पानी में इन गैसों के घुलने के कारण पानी का घनत्व कम हो जाती है और पानी के घनत्व कम होने पर पानी के ऊपर तैरती कोई भी चीज़ पानी में डूब जाती है। यही कारण है की बरमूडा ट्रायंगल के ऊपर यदि कोई जहाज तैरता है तो डूब जाता है।
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