Taj Mahal History in Hindi:- दुनिया के सातवे अजूबे में से एक ताज महल जो की पूनम की चांदनी रात में बेशुमारी से चमकता नजर आता है। ये किसी परिचय का मोहताज नहीं है और इससे जुड़े अनसूझे रहस्यों को जानकार आज भी लोग हैरान रह जाते है। यहाँ हर साल 70 लाख से भी ज्यादा पर्यटकों को अपनी और खींच लेती है इसीलिए ताज महल भारत का सबसे ज्यादा घूमे जाने वाली जगह है। ये किला 28 तरह के बेशकीमती रत्नो से मिलकर बना है।
इस किले को सन 1653 में 20000 मजदूरों द्वारा बनाया गया था जो की अलग अलग देशो से बुलवाये गए थे। इस महल की कीमत आज की तारीख में 53 अरब रूपए है। इसकी दीवारों पर नक्काशी करने की तकनीक इटली के कारीगरों से सीखी गयी थी। ताज महल के पथ्थरों को तराशने के लिए बलुचिस्थान के कारीगरों को बुलवाया गया और कालियोग्राफी में महारथ रखने वालों को ईरान से बुलवाया गया। इसके निचे बने कमरे आज भी सबके मन में रहस्य का कारण बने हुए है।
ताज महल की एंट्री टिकट कितनी है?
ताज महल में टिकट काउंटर तक पहुंचने के लिए 1 किलोमीटर तक पेडल चलना पड़ता है यदि आप इतना पेडल नहीं चलना चाहते तो 20 रूपए का बैटरी वाहन करके टिकट काउंटर तक जा सकते है उसके बाद यदि आप काउंटर से एंट्री टिकट ले रहे है तो प्रति व्यक्ति एंट्री का टिकट 50 रूपए है और यदि आप ऑनलाइन टिकट बुक करते है तो प्रति व्यक्ति 45 रूपए का टिकट लगता है। इसके साथ ही वाहन आपको लाकर की सुविधा भी मिलती है तो आप छहों तो अपना कीमती सामान वहाँ रख सकते है।
ताज महल की बाहरी बनावट, History of Taj Mahal in Hindi
ताज महल में प्रवेश करने हेतु एंट्री वेस्ट गेट से कराई जाती है। एंट्री करते ही आपको दाहिने और बाये तरफ कुछ छोटी छोटी दुकाने दिखाई देगी जहाँ पर शाहजहां के समय में मीना बाजार लगता था। उस मीना बाजार को महिलाये ही चलाया करती थी। ये बाजार पिछले 20-25 साल से ही बंद हुआ है जहाँ पहले आगरा के घाघरा चोली, चूड़ियां और संगमरमर से बानी चीज़े मिला करती थी पर बाद में इसे बंद करवा दिया गया। अब ये दुकाने बंद ही रहती है।
ताज महल में प्रवेश हेतु 4 दरवाजे बने हुए है जिन्हे सबको अलग अलग नाम दिया गया है। सबसे पहले आता है वेस्ट गेट जहाँ से शाहजहां भी ताज महल में प्रवेश किया करते थे। उसके बाद आता है साउथ गेट जो की ताज महल बनाने वाले कारीगरों के लिए शाहजहां ने रखवाया था। साथ कारीगर इसी गेट के जरिये महल में प्रवेश किया करते थे। तीसरा है ईस्ट गेट जिसे वीआईपी गेट कहा जाता है जिसे शाहजहाँ अपने खास मेहमानो के लिए इस्तेमाल किया करते थे और आज भी वीआईपी मेहमानो की एंट्री इसी गेट के जरिये ही करवाई जाती है। चौथा है रॉयल गेट जिसे शाही दरवाजा कहा जाता है इस पर सफ़ेद रंग के 11 गुम्बद गाने है। शाही गेट से ताज महल 300 मीटर की दूरी पर स्थित है।
यहाँ आपको बहार चरों तरफ लाल पत्थरों से बने कुछ कमरे दिखाई देंगे जो की कुल 210 कमरे है जो ताज महल बनवाने आये कारीगरों के कमरे थे जहाँ वो लोग विश्राम किया करते थे। जब भी कारीगर काम करके थक जाते तो यहाँ 2 -4 घंटे आराम करने के बाद फिर काम पर चले जाते।
ताज महल के बगल में बनी 2 बिल्डिंग को ड्रम हाउस के नाम से जाना जाता है। ये बिल्डिंग उस समय काम आती थी जब शाहजहां ताज महल में प्रवेश करते थे तो उनके स्वागत के लिए इनमे नगाड़े बजाये जाते थे।
ताज महल के सामने एक टैंक बना है जिसे बादशाही टैंक कहा जाता है यही से बैठकर शाहजहां ताज महल बनते देखा करते थे और कुछ भी कमी होती तो सही करवाया करते थे। टैंक के आगे बने फव्वारे कुल 53 है जो आज भी सही तरीके से काम करते है। ये सभी फव्वारे पुराने ही है कोई भी फव्वारा नया नहीं है। ये फव्वारे यमुना नदी के किनारे बने टैंक में टाँके लगाकर मजदूरों द्वारा चलाये जाते थे पर आज के समय में ये फव्वारे मोटर द्वारा चलाये जाते है।
ताज महल के परिसर में 16 गार्डन है और 53 फव्वारे है और आपको जानकर हैरानी होगी की यदि हम 16 और 53 को मिला दे तो ये 1653 बनता है और ये वही साल है जब ताज महल बनकर तैयार हुआ था।
ताज महल को बनवाने के लिए जिस संगेमरमर का उपयोग किया गया उसे राजस्थान के मकराना से लाया गया, लाल बलुआ पत्थर को फतेहपुर से लगा गया, जेड और कैस्टल चाइना से, लेपिस्लेसली अफगानिस्तान से, जसफर पंजाब से, दरकोईश तिब्बत से, करलेनियम अरब से मंगवाया गया था। ऐसे ही 18 तरह के बेशकीमती रत्नो को सफ़ेद संगमरमर में जडाया गया। इन सभी को लाने के लिए एक हजार से भी ज्यादा हाथियों का उपयोग किया गया। ताज महल के ऊपर जो लिखा गया है वो अरबिक भाषा में लिखा गया कुरान का पहला चैप्टर है जिसे शाही से नहीं बल्कि पथरो के जरिये लिखा गया है।
ताज महल की दीवारों में जो फूल बने है जो कोई चित्र नहीं बल्कि अलग अलग रत्नो से बनाये गए पथ्थर के फूल है जिन पर पूनम की रात में जब चाँद की रौशनी इन पर पड़ती है तो पूरा महल जगमगा उठता है। इस रात में ताज महल को देखने के लिए एक हजार का टिकट लगता है और 30 मिनट के समय के लिए आप इसके सौंदर्य का लुफ्त उठा सकते है।
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1965 में 1971 के भारत पाकिस्तान के युद्ध के समय ताज महल के चरों तरफ बांस के डंडों का घेरा कर दिया गया था। ताकि उसको किसी तरह का नुक्सान नहीं पहुंचे। ताज महल के बाई और ईमारत मस्जिद है जहाँ हर शुक्रवार को नमाज पढ़ी जाती है और उस दिन ताज महल पर्यटकों के लिए बंद रखा जाता है और मुसलमानो के लिए 2 घंटे के लिए खोला जाता है।
ताजमहल के दाहिने तरफ की लाल बिल्डिंग को मेहमान खाना के नाम से जाना जाता है जहाँ शाहजहां के मेहमान आराम करके चले जाते थे। कोई भी मेहमान रात को नहीं रुकता था और वो रात को रुकने के लिए आगरे के किले में चले जाया करते थे।
ताज महल की नीव बनाने के लिए इसके निचे और चरों तरफ कुए खोदे गए और इन कुओ में ईट, पत्थर और आबनूस और महोगनी की लकड़ियों के लठ्ठे डाले गए। महोगनी के लठ्ठों की विशेषता है की जितनी ज्यादा नमी इनमे जाती ये उतनी ज्यादा मजबूत बानी रहती है और इनको नमी ताज महल के पास बहने वाली यमुना नदी से मिलती है। ताज महल के सामने से यमुना नदी बहती है और इसके सामने एक गार्डन है जिसका नाम महताब बाग़ है। यही पर सब फिल्मो की शूटिंग की जाती है।
ताज महल को बनने में कुल 22 साल लगे थे और पुरे ताज महल में 22 गुम्बद बने है जो की इन 22 सालो को दर्शाते है। ये दुनिया की आठवीं सबसे ज्यादा घूमी जाने वाली ईमारत है। आखिर क्यों लोग इसको देखना और घूमना इतना पसंद करते है ? इसके पीछे क्या कारण है? चलिए इसके पीछे का कारण जान लेते है ऐसा क्यों है ?
क्यों है ताज महल की इतनी लोकप्रियता ?
ताज महल में एक साल में करीब 70 लाख से भी ज्यादा लोग देखने आते है। इसके पीछे का कारण है इसकी प्रचलित प्रेम कहानी। ताज महल शाहजहां ने अपनी प्रिय पत्नी मुमताज की याद में बनवाया था। शाहजहां की पत्नी का असली नाम अर्जिमंद बानो बेगम था और उनकी 38 साल की उम्र में अपनी चौदवी संतान को जन्म देते हुए बुरहानपुर में मौत हो गयी। शाहजहां को अपनी बेगम की मौत का बहुत बुरा लगा और उन्होंने अपनी बेगम की याद में एक महल बनवा दिया जिसका नाम उन्होंने मुमताज रखा। मुमताज का मतलब होता हैं महल का सबसे खूबसूरत रत्न। इसी प्रेम की निशानी को देखने लोग दूर दूर से आते है।
ताज महल का वास्तुकार कौन था ?
ताज महल की नक्काशी पर्शिया के एक जाने माने वास्तुकार उस्ताज अहमद लाहोरी ने की थी। उस्ताज अहमद लाहोरी की कलाकारी का एक नमूना दिल्ली का लाल किला भी है। उस्ताज अहमद लाहोरी ने 37 लोगों की टीम के साथ मिलकर ताज महल का नक्शा तैयार किया था। ये 37 लोग शाहजहां ने दुनिया के अलग अलग हिस्सों से बुलवाये थे।
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प्रश्न और उतर
निचे कुछ प्रश्न और उनके उतर दिए हुए है।
Q.1 क्या वास्तव में शाहजहां ने ताज महल बनाने वाले मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे ?
उतर: ऐसा कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं है जिसमे लिखा गया हो की शाहजहां ने उन मजदूरी के हाथ कटवा दिए थे जिन्होंने ताज महल बनवाया। बहुत से इतिहास करों का मानना है की शाहजहां ने मजदूरों को पूरी जिंदगी की पगार देकर एक इकरारनामा लिखवाया था की वो ऐसी कोई भी दूसरी ईमारत नहीं बनवाएंगे।
Q.2 ताज महल का निर्माण कब शुरू हुआ?
उतर: ताज महल का निर्माण 1631 में शुरू हुआ और ये 22 साल के बाद 1653 में पूरा बनकर तैयार हुआ जिसमे 20 हजार कारीगरों और मजदूरों की कड़ी म्हणत शामिल थी।
Q.3 ताज महल में पीलापन क्यों आ रहा है?
उतर: आगरा के बढ़ते प्रदुषण के कारण ताज महल के गुम्बद पीले पड़ते जा रहे है जिसे हर थोड़े समय के अंतराल में सरकार द्वारा मुल्तानी मिटटी से साफ़ करवाया जाता है।
Q.4 ताज महल के सामने बानी 4 मीनारे बहार की तरफ क्यों झुकी हुई है?
उतर: इन्हे जान बूझकर बहार की तरफ झुका हुआ बना गया था ताकि यदि कोई भकंप आ जाये और ये निमारे गिरे तो बहार की तरफ ताकि मुख्या बिल्डिंग को इनके गिरने से कोई नुक्सान ना पहुंचे।
Q.5 ताज महल का टिकट कितना है?
उतर: ताज महल का टिकट 50 रूपए है जिसमे ताज महल के निचे वाले प्लेटफार्म तक ही जाने दिया जाता है और यदि किसी को ऊपर अंदर जाना है तो 250 रूपए का टिकट लगता है। ऊपर के हिस्से में शाशन जहाँ और मुमताज की कब्र मौजूद है।
Q.6 शाहजहाँ का काला ताज महल क्यों नहीं बन पाया?
उतर: शाहजहां ताज महल के सामने स्थित महताब बाग़ में काला ताज महल बनवाना चाहते थे पर शाहजहां के बेटे औरंगजेब को इस बात का पता चला तो उसे लगा यदि काला ताज महल बना तो सारा खजाना उसी में लूट जायेगा और उसके हाथ में कुछ नहीं आएगा। औरंगजेब ने ऐसा होने नहीं दिया और शाहजहाँ को आगरा के किले में ही बंदी बना दिया।
Q.7 ताज महल कब बंद रहता है ?
उतर: शुक्रवार के दिन ताज महल बंद रहता है उस समय आप ताज महल के सामने स्थित महताब बाग़ से ताज महल को देख सकते है।
Q.8 ताज महल ने कोण कोनसे रत्नो का प्रयोग किया गया है?
उतर: ताज महल में पेंटिंग की जगह पन्ना , हकीक, मूंगा जैसे रत्नो का प्रयोग ताज महल के दीवारों की नक्काशी के लिए किया गया है।
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