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    ट्रेवल

    गोपीनाथ जी मंदिर जयपुर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

    Goyal MuskanBy Goyal Muskan26 March 2025Updated:9 June 2025No Comments6 Mins Read
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    गोपीनाथ जी मंदिर जयपुर
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    जयपुर में स्तिथ भगवान् श्री कृष्ण जी मंदिर बना हुआ है जिसे भगवान् श्री गोपीनाथ भगवान् जी के नाम से जाना चाहता है। मंदिर इतना रहसयमयी और इतना प्रसीद है की आज भी दूर दूर से लोग भगवान् गोपीनाथ जी के दर्शन करने आते है। यहाँ मंदिर का ये एक बहुत विचित्र रहस्य है की यहाँ हाथ में श्री गोपीनाथ जी के कलाई में गढ़ी बंधी ही। पर एक ऐसी मान्यता है की श्री कृष्ण जी साक्षात रहते है। और एक ऐसी मान्यता भी है की यहाँ पर श्री कृष्ण जी प्रतिमा सास लेती है और आज भी लोग इस बारे में जानकर हैरत में है।

    वैसे तो आपने बहुत सी श्री कृष्ण जी लीलाये सुनी है पर आज हम सुनाने जा रहे है हथेली में गढ़ी पहने भगवान् गोपीनाथ जी के बारे में। ऐसा कहा जाता है की जयपुर में श्री कृष्ण जी एक ऐसा विग्रह है जो भगवान् श्री कृष्ण के हे पपोत्र वृजनाभ अपनी दादी के कहने पर बनवाया था और बाद में वृन्दावन से जयपुर लाया गया और भगवान् गोपीनाथ जी के नाम से प्रसीद हो गए। तोह चलिए जानते है भगवान् गोपीनाथ जी जयपुर मंदिर से जुडी सारी रोचक कहानियो के बारे में और उसे  जुड़े कुछ इतिहास।

    Table of Contents

    Toggle
    • गोपीनाथ जी मंदिर जयपुर का इतिहास क्या है?
    • वृन्दावन से जयपुर तक कैसे आये भगवान गोपीनाथ जी
    • जयपुर के गोपीनाथ जी की धड़कन से चलती है गढ़ी
    • भगवन गोपीनाथ जी मंदिर की कुछ महत्वपूर्ण मान्यता
    • प्रश्न और उतर:

    गोपीनाथ जी मंदिर जयपुर का इतिहास क्या है?

    गोपीनाथ मंदिर के महान महंत सिद्धार्थ गोस्वामी ने बताया है की भगवन श्री कृष्ण के तीन विग्रह है जिसमे से एक करोली में है दूसरे गोविंददेव जी का मंदिर और तीसरे गोपीनाथ भगवान् जी मंदिर है। कहानी में बताते है की कंस ने जिस शिला पर अपनी बहन के बच्चो मारा था,  उसे श्री कृष्ण के हे पपोत्र वृजनाभ ने तीन टुकड़े किये था। उस शिला में से पहला विग्रह बना मदन मोहन जी का जो की करोली में  है और दूसरा विग्रह गोपीनाथ जी का कहलाया और तीसरा है अपने भगवान् गोविंददेव जी का मंदिर। कहते है ये 5000 साल पुराने है और बहुत हे रहस्य्मयी भी है।

    Gopinath JI Temple Jaipur

    वृन्दावन से जयपुर तक कैसे आये भगवान गोपीनाथ जी

    ये बात उस समय की सं 1669 की जब औरंगजेब देश के सभी मंदिरो को खंडित करने में लगे हुए थे, तभी उसी समय महंत सिद्धार्थ गोस्वामी को गोपीनाथ जी की प्रतिमा यमुना किनारे वंशीघाट तट पर मिली थी तब ठाकुर जी बचते बचाते राधाकुंड और काम्यवन होते हुए जयपुर पहुंचे थे। सं 1775 में औरग़ज़ेब से बचने के बाद करीब 17 साल भगवन जी की प्रतिमा को आयुर्वेद कॉलेज जो की जोरवार सिंह गेट पर है वहा पर विराजी गयी और सं 1992 में पुराणी बस्ती की ईमारत में विराजी गयी।

    जयपुर के गोपीनाथ जी की धड़कन से चलती है गढ़ी

    कहते है भगवन श्री कृष्ण के हाथो में पहले गढ़ी नहीं हुआ करती थी पर आज़ादी से पहले एक अँगरेज़ एक पल्स से चलने वाली गढ़ी ठाकुर जी कलाई में पहनाई थी और ये देखना चाहते थे की क्या मूर्ति में प्राण है या नहीं। फिर उसके बाद वह अपने देश में जाकर एक पल्स से चलने वाली गढ़ी लाता है और अँगरेज़ ने गढ़ी को श्री कृष्ण जी कलाई में बांध दिया। उसके बाद गढ़ी सही समय दीखते हुए चलने लग गयी। तभी से बहुत लम्बे समय तक गढ़ी चलती रही। श्रृंगार के समय जब गढ़ी उतरी जाती है तो वह खुद ही रुक जाती है और उसके बाद जब पहनते है तो वो चलने लग जाती है। 

    कहते है लोग आज भी गढ़ी चलती है और बाद में लोगो इसका बात का पता पड़ने के बाद लोगो की दर्शन में भीड़ पड़ने लगी। 

    भगवन गोपीनाथ जी मंदिर की कुछ महत्वपूर्ण मान्यता

    गोपीनाथ जी मंदिर की ये मान्यता है की इनमे भगवान् श्री कृष्ण जी के प्राण बस्ते है। जयपुर के गोविन्द देव जी और गोपीनाथ जी को एक ही शिला से तैयार किया गया है, जिसके वृक्ष स्थल, भाजुये ठाकुर जी के सामान है।

    महत कहते है आज की गोपीनाथ जी के मंदिर में सुबह से रात तक 9 बार झाकिया होती है, जिसमे से सुबह की पहली झांकी 4:15 पर होती है और उसके बाद अलग अलग समय पर रूप श्रंगार, भोग, आरती, शयन झांकी आदि होती है। कहते है मंदिर की मान्यता बहुत ही दूर- तक फैली हुई है और यहाँ पर आने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।

    कहते है अगर आप तीनो विग्रह का दर्शन एक साथ कर लेते है तो आपको बहुत हे जयदा पुन्य और आपकी जीवन में आ रही कठिनईया भी पूरी हो सकती है। 

    Famous Gopinath Ji Temple Jaipur

    प्रश्न और उतर:

    Q.1 जयपुर में स्थित गोपीनाथ जी मंदिर कैसे पहुंचे?

    उतर: अगर आप गोपीनाथ जी के मंदिर जाना चाहते है तो आप जयपुर में आकर कोई भी टैक्सी या बस की सुविधा से चांदपोल जाए और व्ही से पास में हे है मंदिर गोपीनाथ जी का जो की आप थोड़ी देर पैदल चलकर पहुंच सकते है।

    Q.2  श्री राधा गोपीनाथ जी का मंदिर जयपुर में इतना क्यों प्रसीद है?

    उतर: गोपीनाथ जी का मंदिर इसलिए प्रसीद है क्युकी यहाँ पर आने वाले सभी भक्तो की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। आपको वह जाकर असा लगेगा की खुद श्री कृष्ण अपनी बांसुरी बजा रहे है और राधा जी उनके लेफ्ट साइड में है।

    Q.3 जयपुर में स्थित भगवान गोपीनाथ जी घड़ी क्यों पहनते है?

    उतर: बहुत समय पहले एक अँगरेज़ ने गढ़ी लेकर ठाकुर जी को पहनाई थी और ये जाने के लिए की क्या सच उनने प्राण है। घड़ी की ये खासियत थी की वह सिर्फ पल्स से चलती थी। जब गोपीनाथ जी को वह घड़ी पहनाई गयी तो वह गढ़ी चलने लगी और सही समय भी बताने लगी।

    Q.4 गोपीनाथ जी के मंदिर कैसे पहुंचे और दर्शन करने क्या समय है?

    उतर: रेलवे स्टेशन से मात्रा 2 से 3 किलोमीटर की दूरी पर है गोपीनाथ जी का मंदिर और दर्शन आप सुबह के 4.15 मिनट से रात के 11 बजे तक कर सकते है।

    Q.5 गोपीनाथ भगवान कौन है?

    उतर: गोपीनाथ जी, श्री कृष्ण जी का एक एक स्वरुप है, जिनका सीधा सा अर्थ है गोपियों के स्वामी। भगवान् गोपीनाथ जी प्रतिमा उसी शिला से बनाई गयी है जिसमे कंस अपनी बहिन के बचो को मारा था और बाद में उसके तीन विग्रह बने।

    Q.6 ऐसा कोनसा मंदिर है जिसमे आज भी श्री कृष्ण जी मूर्ति में चलती है सांसे?

    उतर: जयपुर में स्तिथ भगवन गोपीनाथ की मंदिर में भगवान् जी की कलाई में घड़ी बंधी है जो की सिर्फ सांसे से ही चलती है। जब अँगरेज़ द्वारा उस समय घड़ी पहनाई गयी, तोह ये साफ देखा गया था की घड़ी चलने लगी थी। आज भी घड़ी भगवान् जी की कलाई में बंधी देख सकते हो।

    इमेज क्रेडिट: Wikipedia

    ये भी पढ़े: जयपुर के चमत्कारी शनि देव जी के मंदिर

    Goyal Muskan
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