गुप्त नवरात्रो में जाए इन चमत्कारी माँ दुर्गा के मंदिरो में- भारत में ख़ास तौर पर नवरात्रो का बहुत महत्त्व है। नवरात्रो को बहुत ही जोर शोर और धूम धाम के साथ मनाया जाता है। नवरात्री के दिनों में भक्त अलग अलग भारत में स्थापित दुर्गा मंदिरो के दर्शन करने जाते है।
कई लोग तो नवरात्री के 9 दिनों तक उपवास करते है और दुर्गा माता के 9 रूपों का ध्यान और पूजा करते है। भारत में 51 शक्तिपीठ है और नवरात्री के दिनों में इन शक्ति पीठो का महत्त्व और भी ज्यादा हो जाता है। इन शक्ति पीठो का निर्माण माता सती के शरीर के अंग गिरने के कारन हुआ था।
इनमे से सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है कामाख्या देवी का मंदिर जो अपने में ही रहस्य से घिरा हुआ और चमत्कारी मंदिर है। नवरात्री वर्ष में 2 बार आते है जो मुख्य रूप से जाने जाते है एक गुप्त नवरात्री और दूसरा मुख्य नवरात्री जो दीपावली से पहले आते है जिनका विशेष महत्व और उत्तरी भारत में बड़ी धूम धाम से मनाया और गरबा आयोजन कर मनाये जाते है। तो चलिए जानते है कुछ ऐसे मंदिरो के बारे में जहाँ भक्तो की भारी भीड़ नवरात्री में देखने को मिलती है।
गुप्त नवरात्रो में जाए इन चमत्कारी माँ दुर्गा के मंदिरो में
1. इड़ाणा माता मंदिर
यह मंदिर उदयपुर से 60 किलोमीटर दूर अमरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित है। कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण महाभारत के समय हुआ था। मंदिर में माता बरगद के पेड़ के निचे खुले आसमान के निचे विराजित है। इस मंदिर में दुर्गा माता अग्नि स्नान के रूप में नजर आती है जिसे देखने ले किये दूर दूर से लोग आते है। आजतक इस बात का कोई पता नहीं लगा पाया ये आग कैसे और किस कारण लग रही है और लोगों का ऐसा मानना है की अग्नि स्नान देखने से शरीर की बीमारिया ठीक हो जाती है। नवरात्रो के समय यहाँ काफी भीड़ देखने को मिलती है। यहाँ श्रद्धालुओं द्वारा चुनरी और त्रिशूल माता को चढ़ाये जाते है।
2. तनोट माता मंदिर
यह मंदिर जैसलमेर से करीब 130 किलोमीटर दूर भारत पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित है। इस मंदिर को बहुत ही चमत्कारी मंदिर कहा जाता है क्युकी यहाँ बहुत से चमत्कार हुए है। इस मंदिर का निर्माण 1200 साल पहले हुआ था। इस मंदिर के प्रति लोगो की आस्था 1965 में हुई भारत और पाकिस्तान के बीच हुई बन्दूकबारी के बाद काफी ज्यादा बढ़ गयी। पाकिस्तान से भारत के सैनिको पर बहुत से बम फेके गए पर उनमे से एक भी बम नहीं फटा और सैनिको का बाल भी बांका नहीं हुआ। तब से माता की प्रसिद्धि बहुत ज्यादा हो गयी और मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया। उन बमो को आज भी मंदिर में ही रखा गया है ताकि भक्त इन्हे देख पाए। इस मंदिर के देख रेख का कार्य भी सैनिको द्वारा ही किया जाता है। नवरात्रो के समय काफी सैनिक यहाँ दर्शन करने के लिए आते है।
3.करणी माता मंदिर
यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर में देशनोक में स्थित है जो की पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहाँ भरी मात्रा में चूहे देखने को मिलते है जिनकी संख्या 20 हज़ार से भी ज्यादा है। लोग इस मंदिर में प्रशाद पहले चूहों को खिलते है और फिर उसे खुद खाते है। इस मंदिर को चूहे वाले मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में करणी माता माँ जगदम्बा के रूप में विराजमान है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की यहाँ भक्तो की हर मुराद पूरी होती है। नवरात्रो के समय यहाँ विशेष भीड़ देखने को मिलती है।
4. चामुण्डा माता मंदिर
यह मंदिर जोधपुर में स्थित है जिसकी बहुत मान्यता है। ये माता जोधपुर में निवास करने वाले हर परिवार की कुलदेवी है और राज परिवार की ईष्ठ देवी है। माता का मंदिर मेहरानगढ़ किले में सन 1460 से स्थित है। माता की स्थापन पुरे रीती रिवाज द्वारा राज घराने द्वारा ही कराई गयी थी। नवराति में चामुण्डा माता के मंदिर में दर्शन मात्रा के लिए लम्बी लम्बी कतरे लगती है। यह मंदिर जोधपुर की स्थापना से भी पुराना है। यह मंदिर पूरी तरह से खंडर हो चूका है बावजूद इसके अपने कलात्मक खम्भों पर आज भी खड़ा है जो की सिर्फ माता का चमत्कार ही माना जाता है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है की यहाँ नवरात्रो के दिनों में जो माँगा जाए वो अवश्य मिलता है।
5.शीला माता मंदिर
यह मंदिर राजस्थान में जयपुर के करीब आमेर में स्थित है। यह किला बहुत ही खूबसूरत है और इसके मध्य में विराजित शीला माता माँ काली का रूप है। कहा जाता है राजा मानसिंह काली माता के बहुत बड़े भक्त थे इसलिए वो ये मूर्ति बंगाल से लाये थे। इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है की राजा मानसिंह को ये मूर्ति बंगाल में समुद्र किनारे शीला के रूप में मिली थी जिसे उन्होंने इस शीला को महिषासुर मर्दिनी रूप देकर इसे आमेर के मंदिर में स्थापित करवाया। इस मंदिर का मुख्या द्वार चांदी का बना है। इस मंदिर और किले को देखने दुनियाभर से लोग आते है। इस मंदिर में नवरात्री में बड़े पैमाने पर भीड़ नजर आती है और पुरे जयपुर से लोग यहाँ दर्शन करने आते है। आमेर में स्थित शीला देवी का मुँह थोड़ा तिरछा है।
6. ज्वाला देवी मंदिर
यह मंदिर 12 शक्ति पीठो में शामिल है जो हिमाचल प्रदेश में काली धार पहाड़ी के बीच स्थित है। इस मंदिर में माँ दुर्गा के 9 रूपों की ज्योति जलती रहती है और इन 9 ज्योति के नाम कुछ इस प्रकार से है माँ काली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, विन्ध्यवासनी और अंजी देवी। इस मंदिर को ज्योता वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है यहाँ माता सती की जीभ गिरी थी इसलिए ये मंदिर 12 शक्तिपीठो में शामिल है। कहते है की इस ज्वाला को अकबर ने भी बुझाने की कोशिश की थी परन्तु वो असफल रहा। इस बात का आजतक कोई पता नहीं लगा पाया की ये अग्नि की ये 9 ज्योति कहा से आ रही है। माता के मंदिर में एक छत्तर है जो अकबर ने चढ़ाया था। साथ ही मंदिर में माता के लिए एक शयन कक्ष भी है जहाँ माता रात के समय आराम करती है। नवरात्री के समय तो यहाँ की भीड़ इतनी होती है की पैर रखने के लिए भी जगह नहीं मिलती।
7.कामाख्या माता मंदिर
माता के 12 शक्तिपीठो में कामाख्या माता को सबसे ज्यादा प्रभावशाली माना गया है। कहा जाता है की यहाँ पर माता सती की योनि गिरी थी उसी से इस जगह पर कामाख्या देवी की स्थापना हुई। कहा जाता है की इस मंदिर में खून से भीगे हुए कपडे का प्रसाद दिया जाता है। मान्यता है की जब 3 दिन के लिए इस मंदिर के पैट बंद किया जाते है तो उस समय एक सफ़ेद कपडा बिछा दिया जाता है और जब मंदिर खोला जाता है तो वो कपडा सफ़ेद की जगह लाल हो जाता है उसी का प्रसाद बनाकर भक्तो को दिया जाता है।
8.पाटन देवी मंदिर
ये मंदिर पटना में स्थित है। इसी मंदिर के नाम पर बिहार का नाम पटना रखा गया था। स्थान पर माता सती का दायां कन्धा गिरा था इसलिए यह जगह भी 12 शक्तिपीठो में शामिल है। इस जगह को पातालेश्वरी देवी भी कहा जाता है। मान्यता है की इसी स्थान पर ही माता सीता धरती माँ की गोद में समां कर पाताल लोक चली गयी थी इसलिए इसे पातालेश्वरी देवी का मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में कोई प्रतिमा नहीं है सिर्फ एक चांदी का चबूतरा है जिसके निचे एक सुरंग है जो की ढकी हुई है।
9.अम्बाजी मंदिर
यह मंदिर गुजरात के बनासकाटे में स्थित है जो की काफी प्राचीन है। 12 शक्ति पीठो में ये सबसे प्रमुख इसलिए है क्युकी यहाँ पर माता सती का हृदय गिरा था, लेकिन इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है बल्कि यहाँ पर मौजूद श्री चक्र की पूजा की जाती है जो की माता अम्बाजी को समर्पित है। यह मंदिर करीब 1200 साल पुराना है। गुजरात में होने के कारण नवराति के दिनों में यहाँ विशेष रौनक और चहल पहल रहती है और गरबा आयोजन किया जाता है।
तो यह थे भारत में प्रसिद्ध कुछ दुर्गा माता के मंदिर जहाँ गुप्त नवरात्रे हो या मुख्य नवरात्रे आपको जरूर जाना चाहिए और मंदिर से जुड़े अनसुलझे रहस्यों को देखकर आप हैरान ही रह जायेंगे। अगर आपको हमारा ब्लॉग अच्छा लगा तो कमेंट करके जरूर बताये और ऐसे ही अमेजिंग जानकरी के लिए जुड़े रहिये हमारे साथ।
FAQ’s- प्रश्न और उतर
Q.1- नवरात्री के 9 दिनों में माता के कौन कोनसे रूपों की पूजा की जाती है?
उत्तर– नवरात्री के 9 दिनों में सबसे पहले दिन माता शैलपुत्री, दूसरे दिन भ्रह्म्चारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवे दिन कालरात्रि, आठवे दिन महागौरी और नवमे में सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। कई लोग नवरात्री के 9 दिनों में माता की ज्योत लेते है।
Q.2- गुप्त नवरात्री का रहस्य क्या है?
उत्तर- गुप्त नवरात्री का रहस्य ये है की इस समय भगवन विष्णु सो रहे होते है इसलिए जो उनकी देव शक्तिया है कमजोर हो जाती है और पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। इन्ही परेशानियों के बचाव के लिए माता रानी की पूजा की जाती है और जो लोग ईमानदारी से इन दिनों में माता की पूजा और ध्यान करता है उसे मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।
Q.3 2024 में गुप्त नवरात्री कब से शुरू है और कब ख़तम है?
उत्तर– 2024 में गुप्त नवरात्री 6 जुलाई शनिवार से शुरू है और 15 जुलाई सोमवार तक है। इन दिनों में आप सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ कर सकते है जिसे बहुत ही चमत्कारी बताया गया है सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ 9 दिनों में 108 बार करना होता है।
Q.4 गुप्त नवरात्री में माँ दुर्गा की पूजा कैसे करे?
उत्तर– गुप्त नवरात्री में पूजा करने की सबसे अच्छी विधि यही है की इस दिन जल्दी उठकर स्नान आदि करके दुर्गा माँ की 10 महाविद्याओं की पूजा करनी चाहिए। सुबह और शाम दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए जिससे मनचाही इच्छा पूरी होती है।
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