ऐसे तो जयपुर में हर गली में एक मंदिर बस्ता है पर जयपुर के मंदिरो की एक अनोखी ही मान्यता है और लोगों के यहाँ के मंदिरो से अटूट विश्वास जुड़े है ऐसे ही जयपुर में हनुमान जी के अनेको मंदिर है पर जिनमे से कुछ मंदिर ऐसे है जिनके बारे में कहा जाता है अगर कोई व्यक्ति लगातार वहाँ 7 मंगलवार जाए तो तोह उसकी मांगी हुई हर मनोकामना पूरी हो जाती है , तो आईये जानते है जयपुर के प्रसिद्ध कुछ ऐसे ही मंदिरो के बारे में।
जयपुर में प्रशिद्ध एवं चमत्कारी हनुमान जी के मंदिर
तो आप यहाँ जानेगे की जयपुर में ऐसे कोनसे हनुमान जी मंदिर है जहा आपको जाना चाहिए और वाहा जाकर आपको शांति और टेंशनो से मुक्त भी हो सकते है । तो चलिए जानते है जयपुर के प्रसीद हनुमान जी के मंदिर, जाहा आप जाओगे तो आपकी इच्छा भी पूर्ण होगी और खुश भी रहोगे।
1.पेट्रोल पंप वाले बालाजी- Petrol Pump Wale Balaji
जयपुर में हजारों की तादाद में बालाजी के मंदिर आपको देखने को मिलेंगे परन्तु उसमे से कुछ मंदिर ऐसे है जहा हर मंगलवार और शनिवार अथाह भीड़ देखने को मिलती है। एक ऐसा ही मंदिर है पेट्रोल पंप वाले हनुमान जी का जी की जयपुर के सबसे ज्यादा व्यस्त रोड में से एक अजमेर रोड पर पेट्रोल पंप है वही पर यह मंदिर स्थापित है।
यह कोई आज बसा हुआ मंदिर नहीं है वहाँ पर जो पंडित जी आज भी पूजा करते है हुकुम चाँद जी उनका कहना है की यह मंदिर लगभग 70 साल पुराण है। अगर आपने यह मंदिर देखा हो तो यह मंदिर कोई बड़ा मंदिर नहीं है बल्कि एक छोटी सी गुमटी में बेस हनुमान जी लाखों भक्तों की आस्था का प्रतीक है।
मंदिर इतना छोटा है की वहाँ लोगों को बैठने की जगह भी नहीं मिलती , पर लोगों की आस्था इतनी है की छोटी सी दरी बिछाकर लोग हनुमान चालीसा का पाठ करने बैठ जाते है।
वहां पर आने वाले लोगो का मानना है की वहाँ आने वाले हर व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है यदि वो 7 मंगलवार लगातार मंदिर के दर्शन करे तोह। जब यह मंदिर इस्थापित हुआ था तब इस पर इतनी भीड़ नहीं आती थी पर जैसे जैसे लोगों के काम बनते गए लोगों की इस मंदिर में आस्था बढ़ती गयी। यहाँ आने वाले हर व्यक्ति का मानना है की हनुमान जी उनकी हर समस्या में सहायता करते है।
2.खोले के हनुमान जी [Famous Hanumanji Temples in Jaipur ]
काहिर क्यों कहा जाने लगा इन्हे खोले के हनुमान जी। आखिर यह नाम कहा से आया ? हर नाम के पीछे एक कारण होता है और इनका यह नाम पड़ने के पीछे भी अहम् कारण यह है की यह अंदिर कोई आम जगह नहीं बसा यह बसा हुआ है पूर्वी पहाड़ियों की गोद में, जहाँ बहुत सी पहाड़ियां, नाले और जंगली जानवर आज भी देखने को मिलते है। जब इस मंदिर की बसावट हुई तोह उन पहाड़ियों से बरसात के महीने में बरसात का पानी खोले की तरह बहता था, इसीलिए इस मंदिर का नाम खोले के हनुमान जी पड़ा।
अगर बात की जाय इस मंदिर की इस मंदिर की बसावट में सबसे ज्यादा श्रेय जिसे दिया जाता है वोह है एक ब्राह्मण जिन्होंने अपनी आस्था के चलते एक ऐसे जगह जहाँ सिर्फ जंगली जानवर और पहाड़ थे , ऐसे जगह पर 60 के दशक में निर्जन जंगल में भगवान् मूर्ति नंदन की मूर्ति को खोज निकला और मरते डैम तक उनकी पूरी सेवा की। वह ब्राह्मण कोई और नहीं बल्कि पंडित राधेलाल चौबे जी थे। जिन्होंने पूरी आस्था और मेहनत से इस मंदिर को संभाले रखा और जिसका नतीजा आज हम सब देख रहे है। इस मंदिर को सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग देखने आते है।
इस मंदिर का विकास यही नहीं रुका चौबे जी ने मंदिर के विकास के लिए एक समिति की स्थापना की जिसका नाम है नरवर आश्रम सेवा समिति। ये समिति इसका रखरखाव, पुनर्निर्माण व देखभाल का कार्य करती है जिसके परिणामस्वरूप ही आज यह मंदिर आगंतुकों को इतना लुभाता है । साथ ही यहाँ पर अब वृद्धों के लिए रोप वे भी शुरू कर दिया गया है, जिससे दर्शन करने में किसे प्रकार की समस्या ना आये। एक कमरे में बसा मंदिर आज इतनी जगह में फैला है की आप इसकी सुंदरता देखते ही रह जाओगे।
अभी हाल ही में 2015 में खोले के हनुमान जी का प्रन्यास हुआ यह मंदिर दिल्ली रोड पर स्थित है, जहाँ मंगलवार और शनिवार बाहय भीड़ पड़ती है। वहां आने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है की यहाँ आने से उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।
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3.वीर हनुमान जी
वीर हनुमान जी का मंदिर चोमू के नांगल भरड़ा गांव में स्थित है। यह जयपुर से लगभग 43 किलोमीटर दूर है। अगर हम हनुमान जी की प्रतिमा की बात करे तो यह प्रतिमा 600 साल पुरानी है और मंदिर निर्माण की कहानी तोह बहुत ही अनूठी है जिसके तहत एक संत नग्नदास जी थे जिन्हे हनुमान जी ने आकाशवाणी कर स्वयं बताया था की वे यहाँ पर प्रकट होंगे और संत नग्नदास को दर्शन दिए।

जिस चट्टान पर हनुमान जी ने संत नग्नदास जी को दर्शन दिए थे वे उस चट्टान को हनुमान जी का आकर देने में लीन हो गए। पहले तोह मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बहुत ही ज्यादा दुर्गम था परन्तु अब भक्तो के लिए रोप वे का रास्ता भी खोला गया परन्तु कुछ कारणों से वह भी बंद हो गया।
वीर हनुमान जी तक पहुंचने के लिए भक्तो को हजारों सिद्दियों से होकर जाना पड़ता है और वहां ऐसी मान्यता है की उन सिद्दियों की गिनती आज तक कोई नहीं कर पाया है। ऐसा कहा जाता है की वहां लगभग 1100 सीढिया है। हनुमान जी के भक्त बहुत दूर दूर से अपनी मनोकामना लिए यहाँ आते है। इसके साथ ही यहाँ भक्तों के रुकने की उत्तम व्यवस्था है।
यह मंदिर अरावली पर्वत माला से घिरा है। इन्ही पर्वत माला के रोचक दृश्यों के लिए समो पर्वत पर रोप वे का भी इंतजाम किया गया था, ताकि वृद्धों को मंदिर तक पहुंचने में परेशानी ना हो परतु रोप वे फिलहाल बंद होने से भक्तों को भरी समस्यां का सामना करना पड़ता है। बावजूद इसके लाखों की संख्या में भक्त यहाँ दर्शन करने के लिए आते है।
4.काले हनुमान जी का मंदिर-
लाल देह लाली लसे,
अरु धरी लाल लंगूर,
बज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर।
यह दोहा आप सभी ने सुना होगा इसका मतलब होता है हनुमान जी का स्वरुप लाल है वोह लाल रंग का सिन्दूर लगते है। हमारे देश में हनुमान जी के लाखों मंदिर है उनमे से अधिकतर मंदिर में हनुमान जी का स्वरुप यानि उनका शरीर लाल रंग का ही है परन्तु जिस मंदिर की बात हम कर रहे है वहां हनुमान जी लाल नहीं बल्कि काले रंग के है। यह मंदिर चंडी की टकसाल, जय महल के नजदीक जयपुर में स्थित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की यह मंदिर भक्तों की इच्छा के अनुररोप ही फल प्रदान करता है।
आमेर के राजा जय सिंह ने इस मंदिर को 1000 साल पहले बनवाया था। यह भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण वास्तु शास्त्र के हिसाब से किया गया है।
अगर हम बात करे की यहाँ हनुमान जी का रंग कला क्यों है ? तोह इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार भगवन हनुमान जी के गुरु सूर्य देव है उन्होंने उन्ही से सीख्शा ली थी तोह भगवन ने सूर्य देव से पूछा की आपको गुरुदक्षिणा में क्या चाहिए ? उत्तर में सूर्य देव ने कहा की तुम मेरे और मेरे पुत्र के बीच में जो भी मतभेद है वे सब दूर कर दो वही मेरे गुरुदक्षिणा है। तोह अपनी गुरुदक्षिणा का अर्पण करने हनुमान जी ने शनि महाराज के पास चले गए उन्हें मनाने। यह सब देख शनि महाराज बहुत ही प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें वरदान दे दिया की जहाँ जहाँ मेरी पूजा होगी वहां तुम्हारी भी पूजा अवश्य ही की जाएगी। इसी कारण शनि भगवन के आशीर्वाद के फल स्वरुप कला रंग हनुमान जी पर भी चढ़ गया।
इस मंदिर में शनिवार के दिन भक्तो की बेशुमार भीड़ देखने को मिलती है क्युकी यहाँ लोगों की मान्यता है की शनिवार के दिन पूजा करने से हनुमान जी के साथ साथ शनि महाराज की कृपा भी भक्तों पर बानी रहती है।
5.संकटमोचन हनुमान जी
यह मंदिर जयपुर का सबसे बड़ा मंदिर है। यह मंदिर जयपुर- दिल्ली हाईवे पर स्थित है। इस मंदिर में हनुमान जी ध्यान मुद्रा में बैठे है। जयपुर से दिल्ली जाने वाले हर व्यक्ति का ध्यान इसकी और जरूर जाता है। इस मंदिर के पंडित श्रीप्रसाद मीणा ने बताय है की मंदिर में एआरटी का समय 5 बजे से 6 बजे तक का रहता है। इस मंदिर की स्थापना जयपुर की स्थापना के समय से बताते है। उस समय इस मूर्ति का छोटा सा प्रारूप था। अब इस मूर्ति का निर्माण लगभग 2 सालों में किया गया है जो कलकत्ता के शिल्पकारों द्वारा किया गया है।

6.मानवमुखी हनुमान मंदिर
विश्व का एक मात्र मंदिर जो की विराट नगर में स्थित है। यह जयपुर से 90 किलोमीटर दूर है। विराटनगर की स्थापना राजा विराट ने की थी जिसे बैराठ के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है की विराटनगर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है क्युकी यहाँ भीम के निवास के कुछ अवशेष मिलते है, इसीलिए इसे भीम डूंगरी भी कहा जयते है। इस भीम गिरी पर्वत के शिखर पर एक हनुमान मंदिर है जो की विश्व का एक अकेला मंदिर है जहाँ हनुमान जी ने मानव मुख धारण किया हुआ है। यहाँ हनुमान जी को सिन्दूर का चोला नहीं चढ़ाया जाता है। कहा जाता है की यहाँ आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है।
7. श्री चांदपोल हनुमान जी का मंदिर
चांदपोल हनुमान जी के मंदिर के बारे में बताया जाता है की इस मंदिर के निर्माण में लगभग 8 साल लगे थे। यह मंदिर ग्रेनाइट, इमरती पत्थर तथा चुना पत्थर से बना है। इस मंदिर का निर्माण राजा मानसिंघ द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर 1727 में बनना प्रारम्भ हुआ था जो की सन 1735 में बनकर तैयार हुआ। मंदिर का शिखर 25 फ़ीट ऊंचा है तथा उस पर सोने की पोलिश का कलश रखा गया है। दक्षिणमुखी हनुमान जी के इस मंदिर में बहुत ही ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है।
8.पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर
किसे भी प्रकार की तंत्र विद्या, नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को काम करने के लिए पंचमुखी हनुमान जी की पूजा की जाती है। इन पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर जयपुर में स्थित है । जब से मंदिर की स्थापना हुई है तब से अब तक निरंतर श्री राम नाम का जाप हो रहा है। मंदिर की स्थापना 1997 में हुई थी। यहाँ 11000 दीपको के साथ हनुमान जी की महाआरती की जाती है।
यह मंदिर जयपुर के मोती डूंगरी मंदिर के सामने ही स्थित है, इसमें हनुमान जी ने अपने पांचो रूपों को उजागर किया है जिसमे नरसिम्हा, आदिवराह, गरुड़ और हयग्रीव को दर्शाता है। पुराणों में बताय गया है जब भग्रण राम को पाताल लोक से लाया गया था तब उन्होंने यह रूप धारण किया था। उनका यह रूप बहुत ही आभावान और चमत्कारी है। कहा जाता है की यदि मंगलवार के दिन इस मंदिर पान के पत्ते में 2 लॉन्ग रखकर चढाई जय तोह यह घर और शरीर से हर नकारात्मक प्रभाव को दूर कर देते है।
9. दक्षिण मुखी हनुमान जी, One of the Famous Hanumanji Temples in Jaipur
जयपुर के हातेजधाम में स्थित यह मंदिर बहुत ही चमत्कारी है। यहां भक्तों में ाख्ता इसक आदर है की हनुमान की के जन्मोत्सव को बड़े धूम धाम से मनाया जाता है तथा झांकियां सजाई जाती है, लड़डुओं का भोग लगाया जाता है। इनके जन्मोत्सव पर लोग पैदल चलकर दूर दूर से आते है और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करते है।
तोह यह थे कुछ प्रचलित हनुमान जी के मंदिर जो की लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतिक है। यह मंदिर बहुत ही चमत्कारी और आभावान है। अगर आप ऐसे ही और मंदिरों के बारे में जानना चाहते है तोह कमेंट करके जरूर बताये।
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