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    लाल किले का सम्पूर्ण इतिहास, व्याख्या, टिकट, लोकेशन और विचित्र कहानियाँ

    kahiankahibaate.comBy kahiankahibaate.com24 April 2025No Comments11 Mins Read
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    लाल किले का सम्पूर्ण इतिहास, व्याख्या, टिकट
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    लालकिला, भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है जो की मुगल बादशाह शाहजहाँ ने 1638 से 1648 के बिच बनवाया था। दिल्ली में यमुना नदी के के किनारे स्तिथ है और लाल किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से कराया गया था  जिसके कारण  किले का रंग लाल है और फिर किले को लाल किला नाम दिया गया।

    हर साल 15 अगस्त भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लालकिले पर झंडा रोपड़ किया जाता है। आज भी देश विदेश के लोग लालकिले को देखने जाते है क्युकी वह है इतना खास हमारे भारत के नागरिको के लिए।

    दिल्ली में घूमने की जगह में लालकिला सबसे पहले नंबर पर होता है और फिर उसके बाद सब जगह घूमना शुरू किया जाता है। निचे हमने लाल किले का सम्पूर्ण इतिहास के बारे में लिखा है, प्लीज पढे और अपने विचार कमेंट के माध्यम से बताये।

    Table of Contents

    Toggle
    • लाल किले की टाइमिंग और एंट्री टिकट
    • लाल किले के एंट्री गेट को लाहौरी गेट क्यों कहा जाता है ?
    • लाल किले में बाजार क्यों बनवाया गया ?
    • लाल किले का निर्माण क्यों करवाया गया?
    • लाल किले में कितने महल है? लालकिले में बने हर महल की सम्पूर्ण जानकारी
    • प्र्शन और उतर:

    लाल किले की टाइमिंग और एंट्री टिकट

    लाला किले में प्रवेश लेने के लिए आपके पास आइडेंटिटी प्रूफ जरूर होना चाहिए उसके बिना किले में आपको प्रवेश नहीं मिलेगा। 4 बजे के बाद म्यूसियम की टिकट नहीं मिलती और सोमवार के दिन किला पूरी तरह से बंद रहता है तो सोमवार के दिन यहाँ जाकर समय बर्बाद ना करे। लाल किले में एंट्री टिकट के लिए बहुत लम्बी कतरे  लगती है इसलिए आप चाहे तो ऑनलाइन टिकट भी ले सकते है जिसमे टिकट की प्राइस भी काम होती है। लाल किले के टिकट के मूल्य कुछ इस प्रकार है:-

    लाल किले की टाइमिंग और एंट्री टिकट

    भारतीय पर्यटक लाल किले का टिकट- 50 रूपए ( नकद ), 35 रूपए ( ऑनलाइन)
    म्युसियम का टिकट 80 रूपए ( नकद ) , 56 रूपए ( ऑनलाइन )
    विदेशी पर्यटक की टिकट लाल किले का टिकट- 600 रूपए ( नकद ), 550 रूपए ( ऑनलाइन )
    म्युसियम का टिकट (विदेशी पर्यटक ) 950 रूपए ( नकद ), 870 रूपए ( ऑनलाइन )
    महत्व पूर्ण सुचना: जो भी बच्चे जिनकी उम्र 15 वर्ष से काम है उनका कोई एंट्री शुल्क नहीं लगता। तो इस लिए यदि आप लाल किले में घूमने जा रहे है तो ऑनलाइन पेमेंट से काफी हद तक पैसे बचा सकते है।

    टाइमिंग- किला सुबह 9 : 30 से लेकर शाम के 4:30 बजे तक खुलता है।

    लाल किले के एंट्री गेट को लाहौरी गेट क्यों कहा जाता है ?

    जैसा की हमने आपको बताया की लाल किले का निर्माण शाहजहां द्वारा करवाया गया  जो की  5 जनवरी 1592 लाहौर में पैदा हुए थे और  लाहौर में ही बड़े हुए। इसके आलावा जिस व्यक्ति ने इस गेट का निर्माण किया उसका नाम लाहौरी था और इसी कारण इस गेट का नाम लाहौरी रखा गया। यहाँ तक की आपको जानकर हैरानी होगी की इस गेट का मुँह भी लाहौर की तरफ ही है। 

    लाहौर दरवाजे के ठीक निचे मोठ है जो की पहले पानी से भरा रहता था और उस पानी में मगरमच्छो को रखा जाता था ताकि  दुश्मनो को डराया जा सके। लाहौर दरवाजे तक पहुंचने के लिए मुग़ल काल में लकड़ी का ब्रिज हुआ करता था जो रात को ऊपर कर दिया जाता था ताकि दुश्मन अंदर प्रवेश न कर पाए। 

    लाल किले का निर्माण 1648 में हुआ और इस किले को बनाने में करीब 10 साल का समय लगा तब से यहाँ एक मार्किट है। ये मुग़ल साम्राज्य की पहली ऐसी बाजार थी जहाँ पर छत्त थी इसीलिए इसे छत्ता बाजार भी कहा जाता था। मुग़ल काल में ये दुकाने सोने, चाँदी, कीमती वस्तुओ के लिए जानी जाती थी। 

    लाल किले में बाजार क्यों बनवाया गया ?

    लाल किले में बाजार बनवाने का मुख्या कारण यही था की राजा नहीं चाहते थे की उनकी बेगम बहार जाए इसीलिए बाजार को किले में ही बनवाया गया। 

    जब इस किले का निर्माण किया गया था तो वायु संचार का पूरा ध्यान रखा गया था तो पुरे किले में वायु संचार की अच्छी व्यवस्था है। 

    लाल किले का निर्माण क्यों करवाया गया?

    शाहजहां ने आगरा में 11 साल शासन  करने के बाद दिल्ली को शाहजानाबाद के नाम से बसाया। इस किले का निर्माण कार्य 1639 से शुरू हुआ  जो की 1648 में बनकर तैयार हुआ। लाल किला करीब 250 एकड़ में फैला है। इस किले के 4 गेट है- लाहौर गेट, दिल्ली गेट, यमुना गेट और सलीम गेट। जब हमारा देश आजाद हुआ तो पहली बार हमारे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यही से स्पीच दी थी और तभी से ये रिवाज बन चूका है की हर साल 15 अगस्त पर हमारे देश का प्रधान मंत्री यहाँ से ध्वजारोहण करता है। यहाँ हमारे राष्ट्रिय ध्वज के आलावा एक और झंडा लगाया जाता है जो की हमारी आर्मी का का झंडा है जिसे सुबह लगाया जाता है और शाम को हटा दिया जाता है।

    शाहजहाँ की दो बेटियां थी जिनके नाम थे – रोशनारा और जहानारा । शाहजहां ने अपनी बेटियों के लिए लाल किले में ही एक बाजार का निर्माण करवाया जिसका नाम छत्ता बाजार था। इस बाजार में हीरे, सोना, चाँदी, कपडे, सभी तरह की दुकाने हुआ करती थी। जिनको बेचने वाली भी महिलाये ही हुआ करती थी यहाँ पुरुषो की एंट्री पर प्रतिबन्ध था। कहा जाता है की शाहजहां ने इस बाजार का निर्माण इसलिए किले में ही करवाया क्युकी वो नहीं चाहते थे की उनकी बेटियां महल से बहार जाए।

    लाल किले में कितने महल है? लालकिले में बने हर महल की सम्पूर्ण जानकारी

    लालकिले में बहुत से महल है सबके राज जानकर आप हो जाओगे हैरान और सोच भी नहीं पाओगे की इसका ये मतलब भी हो सकता है क्या।

    लाल किले में कितने महल है?

    1.नौबत खाना 

    जब आप किसी भी किले में जायेंगे तो आपको नौबतखाना जरूर देखने को मिलेगा । जहाँ पर राजा महाराजा के एंट्री के समय ड्रम बजाकर स्वागत किया जाता था। मुग़ल काल में नौबतखाने के बिना किला नहीं बना करता था। यहाँ हर रविवार को सुबह से शाम तक ड्रम बजवाये जाते थे क्युकी रविवार के दिन ही शाहजहां पैदा हुए थे। नौबत खाने के दीवारों पर बने  फूलों पर गोल्ड की प्लाटिंग हुआ करती थी जिसे बाद में ब्रिटिशर्स के द्वारा निकाल लिया गया।

    2. दीवान- ए – आम

    दीवान- ए- आम को पुराने ज़माने की अदालत कहा जाता है। इसमें एक बादशाह का सिंघहासन संगमरमर का बना है जहाँ से वो अपना फैसला सुनाया करते थे। बादशाह के सिंघासन के ठीक सामने 4 बड़े खम्बे है जहाँ पर शाहजहां के 4 बेटे- औरंगजेब, दारा, शुल्जा और मुराद मखमल की गद्दी पर बैठा करते थे। कहा जाता है की उस ज़माने में बादशाह के सिंघ्हासन पर सोना लगा हुआ करता था। बादशाह के ठीक निचे वजीर बैठा करते थे जिनका नाम सदुल्लाह खान था। आम जनता पहले अपनी परेशानी वजीर को सुनाया करती थी और फिर वजीर बादशाह को सुनते थे और फिर अंत में बादशाह द्वारा निर्णय लिया जाता था।

    लाल किला इंडो इस्लामिक वास्तुकला से मिलकर बना है जिसमे आपको हिन्दू और मुस्लमान दोनों वास्तुकला देखने को मिलेगी। किले में लगे रिंग्स पंच धातु से मिलकर बने है ताकि ये गले नहीं। जिनका उपयोग पर्दा बनाने के लिए हुआ करता था।

    3.मुमताज महल

    1911 में बनने वाला सबसे पहला म्युसियम मुमताज महल ही है। इसका महल  1857 के बाद जेल में तब्दील कर दिया गया था। इसके आस पास और भी बहुत से महल थे जिन्हे ब्रिटिशर्स के द्वारा तोड़ कर बर्बाद कर दिया गया था। इस महल में सब जगह संगमरमर था जिनको ब्रिटिशर्स के द्वारा तोड़ दिया गया और भी 2018 में भारतीय सरकार द्वारा लाल पत्थर लगवाया गया। हर महल की जगह यहाँ भी दीवारों पर पेंटिंग पर सोना लगा हुआ था।

    4.रंग महल

    रंग महल को शीश महल के नाम से भी जाना जाता है जो आपको आज की तारीख में कुछ टुटा फूटा नजर आएगा। इसको 1803 में मराठो के दागे गए गोलों ने भरी हानि पहुचायी थी। मराठो के बाद रंग महल पर ब्रिटिशर्स ने आक्रमण कर बहादुर शाह जफ़र को गिरफ्तार करने के बाद इसे मेस में तब्दील कर दिया था जिस कारन पूरा महल काला पड़ गया।

    लाल किले में एक जन्नत की नहर है जो की गर्मियों के समय महल के तापमान को फव्वारों के जरिये कम रखने का काम करती थी। इसमें 6 कमरे बने है जो की नृत्यांगनाओं के लिए बनाये गए थे।

    5.खास महल

    ख़ास महल में बादशाह रहा करते थे जो की 3 बैडरूम का सेट था। महल के ऊपर बना गुम्बद बादशाह के निवास की पहचान थी ताकि आम नागरिक दूर से देख कर पहचान ले की बादशाह यहाँ रहते है। ख़ास महल में एक बालकनी है जहाँ से बादशाह आम जनता को दर्शन दिया करते थे। ख़ास महल के बिलकुल पास जमुना गेट गेट जहाँ से बहादुर शाह जफ़र ब्रिटिशर्स से बचकर भागे थे और हुमायु के मकबरे तक पहुंचे थे। ऐसा कहा जाता है की जब ये किला बनकर तैयार हुआ तो शाहजहां की एंट्री भी यही से हुई थी न की लाहौरी गेट से।

    5.दीवान – ए- ख़ास

    इसको मुग़ल काल का पार्लियामेंट कहा जा सकता है जहाँ पर मंत्रियो की बैठक हुआ करती थी। इस महल में काफी मात्रा में हिरे और जवाहरात हुआ करते थे। इस महल में लगी संगमरमर की एक टेबल पर ” मयूर सिंघासन ” रखा गया था जिसका निर्माण 1645 में शाहजहां द्वारा करवाया गया था जिसमे कोहिनूर लगा था। उस समय किले को बनाने में 1 करोड़ रूपए खर्च हुए थे और इस सिंघहासन को बनाने में 9 करोड़ रूपए । 1739 में नादिरशाह महल में मेहमान बनकर आया और उसने बादशाह रंगीला से दोस्ती कर ली। नादिरशाह अपने साथ एक नृतकी लाया था जिसने जासूसी करके नादिरशाह को बता दिया की बादशाह रंगीला ने कोहिनूर अपनी पगड़ी में छुपा रखा है। नादिरशाह ने बादशाह रंगीला से दोस्ती करके उनसे कहा पगड़ी बदल कर दोस्ती को और पक्का करा जा सकता है और इस तरह कोहिनूर नादरशाह के पास चला गया और  नादिरशाह कोहिनूर लेकर ईरान चला गया ।

    6.हमाम

    ये पुराने ज़माने का बाथरूम है जहाँ 3 तरह के बाथरूम के तब बनाये गए थे जिसमे से दो तो गरम और ठन्डे पानी के लिए थे और एक गुलाब जल के पानी के लिए था।

    7.मुसम्मन बुर्ज

    1658 में औरंगजेब ने शाहजहां को गिरफ्तार कर लिया था और अपनी दोनों बहनो को आगरा के किले में नजरबन्द करके रख लिया था। शाहजहां को गिरफ्तार करके मुसम्मन बुर्ज में रखा गया था। 8 साल तक शाहजहां यहाँ रहे। औरंगजेब ने शाहजहां को इसलिए गिरफ्तार किया क्युकी वो एक और काला ताजमहल बनाना चाहता था जिसमे महल का सारा धन खर्च हो जाता ।

    इसके बाद औरंगजेब ने अपने तीनो भाइयों का भी क़त्ल कर दिया जिनकी कब्रे हिमायु के मकबरे में बानी हुई है।

    8.मोती मस्जिद

    1659 में औरंगजेब ने मोती मस्जिद बनवाया। इस मस्जिद को उस समय बनवाने में 1 लाख 60 हजार रूपए खर्चा हुआ। पहले यहाँ आम जनता भी नमाज पढ़ने आते है लेकिन बाद में ये बंद कर दिया गया।

    9.हीरा महल

    1. इसको बारादरी महल भी कहा जाता है जिसका निर्माण 1842 में बहादुर शाह जफ़र द्वारा मछली पकड़ने के लिए बनवाया गया था।
    2. इस किले में करीब 20 से 25 कुए है क्युकी पुराने समय में पीने के लिए पानी इन्ही कुओ से लिया जाता था।
    3. लाल किले में बने बगीचे का नाम हयात- बक्श- बाग़ कहा जाता है जिसमे जड़ी बुटिया, फल लगाए जाते थे जिनसे  बाद में दवाइया बनायीं जाती थी।

    10.सावन भादो मंडप

    सावन- भादो मंडप दोनों एक जैसे दिखने वाले महल थे जिनके बिच में बहुत सारे फव्वारे लगे थे और इन फव्वारों से ऐसा माहौल बना दिया जाता था की जैसे बारिश आ रही हो।

    11.जफ़र महल

    इस महल को जल महल भी कहा जाता है जिसका निर्माण बहादुर शाह जफ़र द्वारा साल 1842 में एकांत में बैठने के  लिए इस महल का निर्माण करवाया क्युकी वो एक लेखक थे और उन्हें लिखने और पढ़ने का बहुत शोक था।

    प्र्शन और उतर:

    प्रश्न 1: लाल किले को बनाने की आवश्यकता मुग़ल साम्राज्य को क्यों पड़ी ? 

    उतर: आप सभी को जानकर हैरानी होगी की बहुत से लोगो का मानना है की लाल किले का निर्माण अकबर द्वारा करवाया गया लेकिन ये बिलकुल गलत है इसका निर्माण शाहजहां द्वारा करवाया गया था।

    प्रश्न 2: लालकिला को बनाने में उस समय कितना पैसा खर्च हुआ था। 

    उतर:–  लालकिला को 1648 में बना था और समय करीब 1 करोड़ रुपए की लगात में लालकिला बना था।

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