तिरुपति बालाजी के मंदिर में क्यों बाल काटे जाते है और मंदिर से जुड़े कुछ रहस्य:- आप सभी ने तिरुपति बालाजी का नाम तो जरूर सुना ही होगा साथ ही इसके रहस्य के बारे में भी आप जानने को उत्सुक होंगे। तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े रहस्य पुरे विषभर में प्रसिद्ध है। यहाँ सिर्फ लोग धार्मिक महत्त्व के चलते ही नहीं आते पर लोगो को उनकी आस्था यहाँ खेच लाती है। जब भी आप यहाँ जायेंगे तो आप यहाँ बजने वाली घंटियों की आवाज सुनकर हैरान रह जायेंगे।
यहाँ स्थापित बालाजी की मूर्ति को भगवान वेंटकेश्वर के नाम से जाना जाता है जो की भगवान वष्णु जी का अवतार है। ये मंदिर सप्तगिरि की पहाड़ियों पर आँध्रप्रदेश में स्थित है जिन्हे कलयुग के दुखो से दूर कराने वाला मंदिर बताया गया है। यहाँ की शांति ऐसी है की आपको लगेगा की यहाँ आकर आपका शरीर तो क्या आपकी आत्मा भी शुद्ध हो गयी है।
इस मंदिर की बनावट बहुत की ज्यादा खूबसूरत है साथ ही जिन पहाड़ियों पर ये मंदिर स्थापित है उनको काफी पवित्र माना जाता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रध्हलुओ को करीब 3500 सीढ़ियां चढ़कर आना होता है। यहाँ आपको हर जगह हरियाली ही नजर आएगी। यहाँ मंदिर में आपको भगवान वेंकेटेश्वर की मूर्ति दिखाई देगी।
तिरुपति बालाजी मंदिर से जुडी कहानियाँ
1.प्रथम कहानी
ऐसा कहा जाता है की आदिकाल में पृथ्वी पूरी जल में समां गयी थी क्युकी पवन देव के प्रकोप से सारे बदल फट गए और धरती पर बारिश का सैलाब आ गया जिससे धरती पर जीवन का अंत निश्चित हो गया। इस स्थिति को देखकर भगवान विष्णु ने वरह अवतार धारण किया और अपने विशाल दातो से जल से पृथ्वी को बहार निकाल लिया। इन्होने ये करके जीवन और धर्म की पुनर्स्थापना की और धरती पर निवास करना शुरू किया। यहाँ रहकर उन्होंने धर्म और मानवता का परिचय दिया और रक्षा की।
2.दूसरी कहानी
कलयुग की जब शुरुवात हुई तो भगवान वेंटकेश्वर अपने विरह अवतार को छोड़कर सप्तगिरि पर्वत को छोड़कर अपने लोक चले गए। उनके जाते ही ब्रह्मा जी को चिंता हुई धरती पर मानवता और धर्म की रक्षा कौन करेगा। इस पर ब्रह्मा जी ने विष्णु भगवान को वापस जाने का आग्रह किया पर उन्होंने माना कर दिया। एक बार भृगु ऋषि ने भगवान विष्णु का अपमान कर दिया जिससे माता लक्ष्मी बहुत क्रोधित हो गयी और बैकुंठधाम छोड़कर धरती पर चली गयी। माता लक्ष्मी के चले जाने से विष्णु जी बहुत दुखी हुए और उन्हें धरती पर ढूंढ़ने चले गए। जब लक्ष्मी माता उन्हें नहीं मिली तो वो वेंकटा पर्वत पर चींटी के रूप में आराम करने लगे। यह देखकर ब्रह्माजी ने उनकी सहायता की और लक्ष्मी जी को विष्णु जी से मिला दिया। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी एक साथ पथ्थर तो रूप में बदल गए।
ये भी पढ़े:- उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के रहस्यमयी राज, दर्शन, इतिहास और भस्म आरती
तिरुपति बालाजी से जुड़े रहस्य
- वस्त्र परम्परा- यहाँ तिरुपति बालाजी को स्त्री और पुरुष दोनों के कपडे पहनाये जाते है इसके पीछे का कारण ये है की ये मूर्ति भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता के अविभाजित को दर्शाते है। जब भगवान वैंकटेश्वर ने धरती पर धर्म और मानवता के लिए जन्म लिया तो उस समय माता लक्ष्मी उनके भीतर ही समाहित थी। भगवान विष्णु जो को रक्षा करने वाला बताया गया है और लक्ष्मी जी को करुणा का प्रतिक दर्शाने वाला बताया गया है।
- बालो के दान की प्रथा- इससे जुडी एक कथा है जो की इस प्रकार है :- एक बार भगवान वेंटकेश्वर का देवी पद्मावती से विवाह हुआ तो वर पक्ष को कन्या के परिवार को कन्या शुल्क का भुगतान करना था परन्तु उस समय उनके पास दान करने के लिए कुछ नहीं था। तब उन्होंने कुबेर भगवान से ऋण लिया और उन्हें वचन दिया की कलयुग की समाप्ति तक वो इस ऋण को चूका देंगे। तब माता लक्ष्मी ने उनके भक्तो को वरसां दिया की जो भी भक्त भगवान वेंटकेश्वर को दान करेगा उसे 10 गुना फल की प्राप्ति होगी। इसलिए बाल दान इस ऋण दान का ही हिस्सा है। बाल दान से जुडी अन्य कथा :- एक बार भगवान विष्णु के सर पर चोट लग गयी थी जिससे उनके बाल झाड़ गए। यह देखकर राजकुमारी निलादेवी ने अपने सर से बाल काटकर भगवान विष्णु को अर्पित कर दिए, भगवान विष्णु ने ये देखकर कहा की जो भी व्यक्ति यहाँ आकर बालो का दान करेगा उसकी हर मनोकामना पूरी होगी। तभी से हर श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के उद्देश्य से यहाँ बालो का त्याग करने आते है जो की प्यार का प्रतिक है ।
- लड्डू से जुडी प्रथा- तिरुपति बालाजी के मंदिर में प्रसाद में सिर्फ लड्डू का ही भोग लगाया जाता है। और ये कोई सामान्य लड्डू नहीं है ये लड्डू बाकी लड्डुओं से बहुत अलग है। इससे जुडी एक कहानी है जो की इस प्रकार है :- एक मान्यता के अनुसार जब भगवान वेंटकेश्वर की मूर्ति मंदिर में स्थापित की जा रही थी तब ये सवाल आया की भगवान को किस चीज़ का भोग लगाया जाए। तभी एक महिला मंदिर में आयी और प्रसाद स्वरुप अपने द्वारा लाये लड्डू भोग लगाने की बात पुजारी से कही। तब महिला की भावना को देखकर भगवान् को लड्डू का भोग गया जिसका स्वाद बहुत ही अलग था। सभी को प्रसाद बहुत पसंद आया और पुजारियों ने उस महिला से लड्डू बनाने की विधि बताने का आग्रह किया। तब महिला ने सामग्री और विधि बताई और वो अंतर्धयान हो गयी। तभी सभी को ये विशवास हुआ की ये कोई साधारण महिला नहीं बल्कि कोई देवी माँ थी। इसलिए आज भी ये लड्डू विशेष प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
- समुद्र की आवाज- यहाँ भक्तो को एक रहस्यमयी घटना का अनुभव होता है। जब भक्त भगवान की प्रतिमा के पास अपने कान लगते है तो उन्हें समुद्र की लेहरो की आवाज सुनाई देती है। इसका पता आज तक वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए की ये आवाज कहा से आती है।
- बालाजी के असली बाल- ऐसा कहा जाता है भगवान वेंटकेश्वर की मूर्ति पर लगे बाल असली है जिनके बारे में कहा जाता है की ये कभी नहीं उलझते और हमेशा चमकते रहते है। ऐसा कहा जाता है की ये भगवान की दिव्यता का प्रतिक है। मंदिर के पुजारी इन बालो की सहेजता को हमेशा यूही बनाये रखने का प्रयास करते है।
- दीपक का चमत्कार– तिरुपति बालाजी के मंदिर में एक दीपक जल रहा है जो की बिना किसी सहायता के यानी बिना किसी तेल, घी के जल रहा है जो की आज तक नहीं भुजा। इस दीपक के बारे में भक्तो का मानना है की ये भगवान वाइटकेश्वर के आशीर्वाद का प्रतिक है। आज तक ये बात किसी को नहीं पता की सबसे पहले इस दीपक को किसने जलाया था और कब जलाया था। ये रहस्य आज भी सभी के मन में बना हुआ है।
- चन्दन का लेप – ऐसी मान्यता है की ऐसा कहा जाता है की हर गुरूवार को भगवान् के पुरे शरीर पर चन्दन का लेप लगाया जाता है। और जब भी ये लेप हटाया जाता है तो भगवान के सीने पर लक्ष्मी माता की छवि प्रकट होती है जो की किसी चमत्कार से काम नहीं है। ये चमत्कार ये दर्शाता है की लक्ष्मी माता और विष्णु भगवान हमेशा एक साथ है। साथ ही ये घटना भक्तो को उनके भगवान के और जोड़ता है।
- बालाजी के पसीने- तिरुपति बालाजी के मंदिर को हमेशा ठंडा रखा जाता है क्युकी भगवान वेंकटेश्वर को बहुत गर्मी लगती है। ऐसा देखा जाता है की भगवान की पीठ को कितनी ही बार साफ़ क्यों न कर दिया जाए फिर भी हमेधा गीली ही रहती है यानी उन्हें पसीना आता रहता है। आज तक वैज्ञानिक भी इस बात का पता नहीं लगा पाए की वहां इतनी नमी क्यों रहती है। पर भक्तो के लिए तो आस्था का प्रतिक है जो की ये दर्शाते है की भगवान विष्णु उनके समीप है।
तो ये थे तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कुछ रहस्य जो की अभी भी ख़तम नहीं हुए है यदि आप चाहते है की आप इनसे जुड़े और रहस्यों को जाने तो हमें कमेंट करके जरूर बताये। ऐसे ही रहस्यमयी और दिलचस्प ब्लोग्स के लिए जुड़े रहिये ” कही अनकही बाते ” से ।
ये भी पढ़े:- मकर सक्रांति पर क्या क्या दान करे, दान का महत्त्व