Top 5 Shiv Temples in Jaipur in Hindi, भोले नाथ के मंदिर जहाँ हर मनोकामना होती है पूरी:देश भर में शिव जी के बहुत से मंदिर है जो की अपनी अपनी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, ऐसे ही राजस्थान की राजधानी जयपुर में बहुत से मंदिर है जिनकी होनी विशेषताएं और मान्यता है, इसीलिए जयपुर को छोटी काशी भी कहा जाता है। यह नाम जयपुर को यहाँ इस्थापित भोले नाथ के मंदिरों के कारण ही दिया गया है। जयपुर में महादेव के कई पुराने और रहस्यमयी मंदिर है। इसमें से कुछ है ताड़केश्वर महादेव मंदिर, एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर, ग्यारह रूद्र महादेव मंदिर, झारखण्ड महादेव मंदिर, चमत्कारेश्वर महादेव मंदिर। अगर आपको हमारा ब्लॉग इन्फोर्मटिवे लगे तोह कमेंट करके जरुर बताये। तोह आइये जानते है जयपुर में प्रचलित कुछ ऐसे ही मंदिरो के बारे में।
Top 5 Shiv Temples in Jaipur
1.ताड़केश्वर महादेव मंदिर (Best Shiv Temple in Jaipur)
यह मंदिर जयपुर की स्थापना से भी पहले का है, जो की जयपुर के चौड़ा रास्ता में स्थित है। यह मंदिर तांत्रिक विधि से वास्तुकला पर आधारित है। इस मंदिर में जो शिवलिंग है वो स्वयंभू है यानी की यह शिव लिंग स्वयं प्रकट हुआ है। ताड़केश्वर नाथ मंदिर जयपुर में बहुत लोकप्रिय है, यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर 1784 में स्थापित किया गया था। गर्भ गृह के अंदर काले पत्थर से निर्मित शिवलिंग है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की यहाँ एक गाय नियमित रूप से एक स्थान पर आकर खड़ी हो जाती थी, वहां उसके थानों से दूध निकलता था, उस स्थान पर खुदाई की गयी तोह शिवलिंग निकला। यह वही स्थान है जहा गाय दूध से अभिषेक किया करती थी।
इस मंदिर के बारे में एक और मान्य यह है की जहाँ यह मंदिर अभी स्थापित है उस स्थान पर ताड़ वृक्षों के साथ एक घाना जंगल था उस वक्त आमेर मंदिर के पुजारी आमेर से सांगानेर जाते वक्त इस स्थान पर विश्राम किया करते थे। एक बार उन्होंने देखा की एक बकरी अपने दो बचो को बचने के लिए हिंसक शेर से मुकाबला कर रही थी। कुछ समय बाद उन्होंने देखा की शेर बकरी से हार गया और भाग गया।
इस घटना के बाद उन्हें जमीं के निचे भगवान् की गूंज सुनाई दी जिसकी जानकारी उन्होंने जयपुर के दीवान विद्याधर डको बताया। उसके बाद इस मंदिर का निर्माण 1784 में विद्याधर जी द्वारा करवाया गया। ताड़ वृक्षों के बीच होने के कारण इस मंदिर को पहले तो ताड़कनाथ महादेव मंदिर और फिर बाद में ताड़केश्वर महादेव मंदिर कहा जाने लगा।
इस मंदिर के प्रति लोगों की बहुत आस्था है। यदि आप यहाँ सोमवार को जाए तोह आपको यहाँ पैर रखने की जगह तक नहीं मिलेगी। इस मंदिर के प्रति लोगों की बहुत आस्था है। जब आप इस मंदिर में प्रवेश करेंगे तोह सामने ही आपको एक गाय के दर्शन होंगे। ऐसा कहा जाता है की यदि आपने इस शिवलिंग के ऊपर यदि एक बार जल चढ़ा दिया तोह आपके सारे पाप धूल जायेंगे।
2. एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर –
यह मंदिर साल में सिर्फ एक ही दिन खुलता है, सिर्फ शिवरात्रि के दिन। भक्त इस मंदिर के दर्शन के लिए पुरे साल प्रतीक्षा करते है, और इस दिन मंदिर में बहुत लम्बी कतारे लग जाती है। इस मंदिर की दीवारे जहाँ गुलाबी नगरी की इतिहास कीअनेक गाथाये छुपाये हुए है, वही एक और विशेषता इसे और मंदिरो से अलग बनती है। यह मंदिर बिरला मंदिर के पीछे, मोती डूंगरी के पास शिव डूंगरी पर स्थित है। इस मंदिर के पट आम लोगों के लिए सिर्फ साल में एक बार शिवरात्रि के दिन खुलते है। इस मंदिर में भोले नाथ शिवलिंग के रूप में स्थापित है।
इस मंदिर को बहुत चमत्कारी मंदिर कहा जाता है। पहले तोह इस मंदिर में शिव जी के साथ शिव परिवार की भी स्थापना इस मंदिर में की गयी थी लेकिन कुछ समय बाद शिव परिवार की प्रतिमाये गायब हो गयी। इसके बाद पुनः शिव परिवार की स्थापना की गयी लेकिन फिर से शिव परिवार गायब हो गया। इसके बाद दुबारा शिव परिवार की स्थापना नहीं की गयी। इस मंदिर में राजा महाराजा भगवान के दर्शन करने आते है और मंदिर का खर्चा राज परिवार द्वारा ही उठाया जाता है। यह मंदिर राज परिवार का निजी मंदिर है कहा जाता है की जयपुर की महारानी गायत्री देवी खुद यहाँ शिव जी की पूजा करने आती थी।
3. झारखण्ड महादेव मंदिर –
यह मंदिर जयपुर के वैशाली नगर में स्थित है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है की यहाँ भक्तों की हर मनोकामनाएं पूरी होती है। इस मंदिर में सावन के महीने में और शिवरात्रि के दिन अनोखी भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर में बाबा देवीदास जी ने समाधी ली थी, अतः आपको वहां उनकी समाधी देखने को मिलेगी। इस मंदिर की बनावट यदि आप देखेंगे तो आपको दक्षिण भारत के मंदिरो से मिलती जुलती दिखाई देगी।
यह मंदिर 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। इस मंदिर के नाम को सुनकर हर कोई यही सोचता है की मंदिर का नाम झारखण्ड है तोह फिर यह राजस्थान में निर्मित कैसे हुआ। असल में जिस क्षेत्र में यह मंदिर में बना हुआ है, वहां चरों और बहुत से पेड़ पौधे और हरियाली है, इसी वजह से इस मंदिर को झारखण्ड महादेव का नाम दिया गया है। श्रद्धा भाव से आने वाले भक्त कभी झारखंडनाथ महादेव जी के मंदिर से खाली हाथ नहीं लौटते, यह शिव मंदिर दूर दूर तक प्रचलित है।
यह भी माना जाता है की जहा यह शिवलिंग स्थापित है यहाँ सैकड़ो बाबाओ ने खूब तपस्या की है। यहाँ आने पर भक्तों को शांति की अनुभूति होती है।
4. चमत्कारेश्वर महादेव मंदिर
यह मंदिर जयपुर के बनीपार्क में स्थित है। मंदिर को खास यहाँ पर शिव पार्वती की अर्धनारेष्वर मूर्ति और अलग अलग जगह से लाये गए 12 ज्योतिर्लिंग विशेष बनाते है। भगवान शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंग भारत के प्रशिद्ध 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरो से लाये गए है। जिसमे से सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, श्री महाकालेश्वर, अमलेश्वर , आंकारेश्वर, केदारनाथ, भीम शंकर, विश्वनाथ, त्रियंबकेश्वर, नागेश्वर, रामेश्वरम, घुश्मेश्वर आदि 12 ज्योतिर्लिंग है। मंदिर में शिवलिंग के साथ शिव जी का पूरा परिवार स्थापित है।
इस मंदिर में आपको कार्तिकेय भी दर्शन भी करने को मिलेंगे। इस मंदिर के मुख्य दरवाजे छड़ी के बने हुए है। सावन के महीने में मंदिर में भव्य फूलो की झांकी की जाती है।
इस मंदिर में आपको शिव जी की और माता पार्वती की अर्धनारीश्वर प्रतिमा के दर्शन होंगे जो की शिव जी का और माता पार्वती का आधा अंग मिलाकर बानी है। ऐसे मुर्तिया भारत में काम देखने को मिलती है। अगर आप इस मंदिर में रात के समय जाय तो आपको शिव जी के अनोखे दर्शन मिलेंगे।
इस मंदिर की स्थापना 1966 में भादो की ग्यारस को की गयी थी। उस समय यह मंदिर छोटा सा है और धीरे धीरे 1990 के बाद जब लोगों की इस मंदिर के प्रति श्रद्धा बड़ी तोह इस मंदिर का निर्माण कार्य सन 2000 में चालू हुआ जो 2006 तक पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो गया। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की जैसा इसका नाम है वैसी ही इसकी प्रसिद्धि है, क्युकी यहाँ हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है।
5.ग्यारह रूद्र महादेव मंदिर-
एक ऐसा मंदिर जहा होती है शिव जी के 11 रूद्र अवतारों की पूजा की जाती है। शिव जी के 11 रूद्र है कपाली , पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित , शास्ता, आजपाद, अहीरभुन्य, शिम्भू, चण्ड और भव। यह मंदिर सिसोदिया रानी बाघ के बिलकुल सामने स्थित है। यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन संरक्षित है। इस मंदिर में जाने पर आपको 11 शिवलिंग के एक साथ दर्शन होंगे।
फाग के महीने में इस मंदिर में फागोत्सव का आयोजन किया जाता है तब इस मंदिर में विशेष भीड़ देखने को मिलती है, पर बाकी समय इस मंदिर में आपको ज्यादा भीड़ देखने को नहीं मिलेगी, परन्तु ये एक चमत्कारी मंदिर है जहाँ जाने से अवश्य ही सारी मनोकामना पूर्ण होती है।
तो यह थे जयपुर के कुछ चमत्कारी और विशेष शिव जी के मंदिर। अगर ऐसे ही और अन्य मंदिरो के बारे में यदि आप जानना चाहते है तो कमेंट करके जरूर बताइये। ऐसे ही अनोखी जानकारी के लिए जुड़े रहिये हमारे साथ।
ये भी पढ़े:
क्या है कोणार्क मंदिर के रहस्यमयी राज?
बद्रीनाथ धाम में घूमने की 20 मुख्य जगह
FQA’s
Q.1- सावन के महीने में शिव जी की पूजा कैसे करे ?
उत्तर- ऐसा कहा जाता है की सावन का महीना शिव जी को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा महीना है। इसके लिए पूजा में धतूरा, बिलपत्र, गंगाजल और शहद आदि चढ़ाये जिससे शिव जी बहुत प्रसन्न होते है।
Q.2- सावन के महीने में क्या नहीं करना चाहिए?
उत्तर- सावन के महीने में मॉस, मदिरा का सेवन कदापि नहीं करना चाहिए और बाल नहीं कटवाने चाहिए। सावन के महीने में शिव जी की पूजा करते समय सफ़ेद फूल नहीं चढ़ाने चाहिए।
Q.3- सावन के महीने में शिव जी की पूजा किस समय करनी चाहिए?
उत्तर सावन के महीने में शिव जी की पूजा सबसे अंत में करनी चाहिए मतलब 12 बजे बाद शिव जी की पूजा करनी चाहिए जब सभी पूजा करके जा सके हो, ऐसा करने से अच्छे लाभ प्राप्त होते है। इस समय शिव चालीसा का भी उच्चारण भी जरूर करना चाहिए।
Q.4- जयपुर में सावन के महीने में शिव जी के कौनसे मंदिर में जाए?
उत्तर- जयपुर में सावन के महीने में ताड़केश्वर महादेव मंदिर, एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर, झारखण्ड महादेव मंदिर, चमत्कारेश्वर महादेव मंदिर और ग्यारह रूद्र महादेव मंदिर कुछ ऐसे मंदिर है जहाँ सावन के महीने में जाने से हर मनोकामना पूरी होती है।
Q.5- जयपुर में शिव जी के कौनसे मंदिर में सबसे ज्यादा भीड़ पड़ती है?
उत्तर- जयपुर में ताड़केश्वर महादेव मंदिर में सावन में तो क्या बल्कि आम सोमवार के दिन भी भयंकर भीड़ पड़ती है।