एक ऐसा मंदिर जहां छिपकलियों की पूजा की जाती है, वर्धराज पेरुमल मंदिर। तमिलनाडु के कांचीपुरम में बसे भगवान विष्णु के इस धाम में हर रोज सैकड़ो की भीड जमा होती है। लेकिन लोग यहां सिर्फ विष्णु भगवान की पूजा करने नहीं आते, वे पूजा करने आते है यहां बनी दो नक्काशियों की। ये दो नक्काशियां किसी देवी या देवता की नही है बल्कि दो छिपकलियों की है।
कई लोग इन्हे बहुत शुभ मानते है और इनकी पूजा करते है। यही नहीं कुछ लोग यह भी मानते है कि यही छिपकलियाँ हमारी पूर्वज भी है लेकिन आखिर क्यूं?
इस धरती पर इंसानों की उत्पत्ति लगभग 3 लाख साल पुराना। फिर भारत और यहा रहने वाले प्रजातियों का इतिहास इससे भी पुराना है। हमारे मंदिरों में कई अलग अलग तरह के जीवों की नक्काशियां पायी जाती है। जिनमे कई छिपकली और नाग जैसे जीव भी पाए जाते है। तो कई बेहद ही विशाल शरीर के होते है। कुछ ऐसे लोग जो आधुनिक मानव से बिलकुल अलग दिखते है। देवी देवताओं के साथ इन नक्काशियों की भी पूजा की जाती है और ऐसा माना जाता है कि ये हमारे पूर्वज हुआ करते थे। लेकिन क्या ये सच हो सकता है? क्या हमारे पूर्वज छिपकली या दानव हो सकते है?
छिपकलियाँ?
भागवत पुराण के अनुसार कुछ यादवों को खेलते समय बहुत विशाल छिपकली नजर आई। काफी कोशिशों के बाद भी जब वो उसे बाहर नहीं निकाल पाए। तब उन्होनें श्रीकृष्ण को बुलाया, श्री कृष्ण ने उस छिपकली को बाहर निकाला और उन्हे पता चला कि वो असल में एक बहुत दानी राजा थे, जिन्हे एक ब्राह्मण ने छिपकली बनने का श्राप दिया था। श्री कृष्ण ने जैसे ही उन्हे हाथ लगाया वे श्राप से मुक्त हो गए और अपने असली रूप में आ गए। माना जाता है कि वो छिपकली गिरगिट की तरह अपना रंग और शरीर भी बदल सकती थी।
आज भारत के कई बड़े-बड़े मंदिरों में छिपकलियों की नक्काशियां पायी जाती है। कुछ लोग मानते है कि इंसानों और छिपकलियों के मिश्रण जैसी एक प्रजाती हमारे बीच रहा करती थी और यही प्रजाती राजाओं को ज्ञान और युद्ध नीति भी सिखाती थी। दुनियाभर के कई कलर्चस में छिपकलियों को बहुत ही धार्मिक माना जाता है। कई षडंयत्र सिद्धान्त ये भी दावा करती है कि हमारे पूर्वज छिपकली थे। वहीं कुछ लोगों का मानना है हमारे पूर्वज नाग हुआ करते थे। लेकिन ये सिद्धान्त यहीं तक नहीं रूक जाती।
दानव?
आन्ध्रप्रदेश का लेपाक्षी मंदिर, अपने साथ कई राज लाता है। लेकिन इनमें से सबसे हैरान कर देने वाला मंदिर से 500 मीटर दूर बना हुआ एक नन्दी की मूर्ती। करीब 20 फीट उचे इस नन्दी की मूर्ती को सिर्फ एक पत्थर को तराश कर बनाया गया है। लेकिन सवाल यह है कि इस मूर्ती को वहां क्यूं बनाया गया है?
हमारे ग्रन्थ बताते है कि शिवजी की हर प्रतिमा के सामने एक नन्दी की प्रतिमा अवश्य होती है। नन्दी जी के सींगों के बीच से शिवलिंग दिखाई देता है। लेकिन इस नन्दी जी की मूर्ती में सीगों के बीच से कोई शिवलिंग दिखाई नहीं देता। दरअसल ये सिर्फ आँखों का देखा है। अगर आप मूर्ती के उपर चढ़कर नन्दी जी के सींगों के बीच से देखे तो आपको दिखेगा 500 मीटर दूर बसा दुनिया का सबसे बड़ा नागलिंग। लेकिन इतनी उंचाई से आखिर इस शिवलिंग को कौन देख पाता था?
स्कन्दपुराण के अनुसार सतयुग में रहने वाले लोग 5 तल यानी आज तक यानी 5 नारियल के पेड जितने उंचे हुआ करते थे। त्रेता युग में उनका कद घटकर 1 तल यानी 1 नारियल के पेड जितना रह गया। द्वापर युग के लोग करीब 6 से 7 फुट लम्बे थे और अब कलियुग में अब लोग 5 फुट के करीब होते है। माना जाता है जैसे जैसे कली राक्षस के प्रभाव में कलियुग बढ़ता जाएगा इंसान और छोटे होते जाऐंगें। हमारे ग्रन्थों में कई ऐसी कहानियाँ है जो कि इन बड़े बडे जीवों के बारे में बात करती है, जैसे- हनुमान जी. घटोतकच्च, कुम्भकरण यहां तक कि रावण को भी करीब 20 फीट का बताया गया है। अगर इसी नजर से देखा जाए तो नन्दी जी और नागलिंग की मूर्ति को बनाने वाले लोग करीब 30 फुट उंचा हुआ करते थे।
इसी बात का एक और सबूत हमे मिलता है मंदिर परिसर में पाया जाने वाला एक बहुत बडा फुटप्रिन्ट । कुछ लोग मानते है कि ये माता जिला के पैरों के निपान है तो कुछ करते है से श्रीराम के पैरों के निशान है। कुछ कहते है ये हनुमान जी के पैरों के निशान कहते हैभारत के अलावा दुनिया के और हिस्सों में भी कई बार पुरातत्व विषेशज्ञों को खोज में प्राचीन काले के दानवों के शरीर के ढांचे पाए गए। अगर ये सब सच है तो फिर ये सभी लोग छोटी-छोटी जगह जैसे सुरंग, छोटे छोटे रास्तों से कैसे गुजरते होंगे?
माना जाता है बड़ा शरीर होने के अलावा प्राचीन समय में लोगों के पास कुछ अद्भूत शक्तियां भी थी जिनकी मदद से वो अपने शरीर को छोटा या बड़ा कर सकते थे
शक्तियाँ?
हमारे पुराणों में ऐसे कई सबूत है जो इन अदभूत शक्तियों के बारे में बताते है। लेकिन ये सिर्फ हमारे इतिहास में नहीं है बल्कि आज के समय में भी कुछ ऐसी जगह है जो इस बात का जीता जागता सबूत है
केदारनाथ मंदिर, मंदाकिनी नदी के पास और हिमालय की पहाड़ो के बीच बसा एक ऐसा भव्य मंदिर जो भगवान शिव के 12 महाज्योर्तिलिंगों में से एक है। ऐसा माना जाता है ये मंदिर 400 सालों तक बर्फ से ढका रहा। और तो और जब 2013 में केदारनाथ में एक विशाल बाढ़ आई तो महादेव का यह मंदिर अपनी पूरी भव्यता के साथ टिका रहा। परन्तु चौकाने वाली बात यह है कि यह मंदिर एक ऐसी तकनीक से बनाया गया था।
जिसके बारे में हजारो साल तक कोई नही जानता था। रॉक इन्टरलॉकिग तकनीक जिसमें पत्थरों को आपस में बिना सीमेन्ट के एक ऐसे जोड़ में जोड़ा जाता है जिसे कोई भी ताकत इसे ना हिला पाएमाना जाता है इस तकनीक की खोज 1900 में की गई थीं। लेकिन केदारनाथ मंदिर कई हजारों साल पुराना है तो उस समय ऐसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कैसे हुआ? इसका जवाब शायद हमारे ग्रन्थों में छुपा हुआ है।
भारत में कई ऐसी प्राचीन इमारते और मंदिर है जिनकी बनावट इंसानी काबिलियत के परे लगती है। केदारनाथ का मंदिर इनमें से एक है। कैसे कोई सैकड़ों टन बडे पत्थरों को इन पहाड के उपर ले जा सकता है और कैसे आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर सकता है
क्या हमारे पुर्वजों के पास को एडवांस तकनीके थे या कोई शक्तियां उनके पास थी या वो इंसान थे ही नहीं?
एलियंस?
महाराष्ट्र के एलोरा गुफाओं के बीच बसा कैलाशा मंदिर। एक ऐसा शानदार और भव्य मंदिर जिसमें कई सुन्दर नक्कशियां है। लेकिन हैरानी के बात यह है कि इस पूरे मंदिर को एक ही पहाड को तोड़कर बनाया गया है। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? अगर हजारों की तादाद में लोग काम करे तो उन्हे सदिया लग जाएगी हजारो टन पत्थरों को तोड़कर उन्हे साफ करने में, वो भी बिना किसी आधुनिक उपकरण सेइस मंदिर के बारे में कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण किसी इंसान या भगवान ने नहीं बल्कि ऐलियन्स ने किया था। भारत के कई मंदिरों में कुछ ऐसी नक्काशियां है जिसके बारे में कोई कुछ नहीं बता सकता।
कर्नाटक के चिन्नकेशव मंदिर में एक अजीब फॉग मैन की नक्काशी देखने को मिलती है। इसी तरह कई अलग अलग मंदिरों में हॉर्समैन, हॉर्सवुमैन, फिशवुमैन जैसे कई नक्काशियं देखने को मिलती है। तो क्या सच में हमारी दुनिया के निर्माण में एलियन्स का हाथ था? क्या ये सारी नक्काशियां दूसरी दुनिया से आए हुए एलियन्स की है। कई लोगों का मानना है कि भारत के सभी मंदिरों की संरचना एक स्पेशशिप जैसा हैउनका मानना है काफी समय हमारी धरती पर एलियन्स ने कदम रखाउन्होने ही हमारे पूर्वजों को बहुत सारी आधुनिक तकनीकों का ज्ञान दिया और वहीं से प्रभावित होकर हमारे मंदिर बनाए गए।
दुनिया भर में एलियन इनवेजन थ्योरी भी कहा जाता है। इस थ्योरी के अनुसार इंसानी प्रजाती इतनी तरक्की इसलिए कर पाई क्योंकि इसमें एलियन्स का हाथ है। कुछ लोगों के हिसाब से ये एलियन्स हमारे बीच अभी भी छुपकर रहते है।
इसके अलावा एक थ्योरी यह भी यह नक्काशियां कुछ एक्सपेरिमेंट थे। कुछ लोग तो यह भी कहते है कि हमारे पूर्वज इंसानों को बदल कर कुछ और बनाने की कोशिश कर रहे थे।
हमारे ग्रन्थों में प्लास्टिक सर्जरी जैसी आधुनिक तकनीक के बारे में पहले ही बताया गया है। इसीलिए लोगों का मानना है कि उसी का इस्तेमाल करके हमारे पूर्वज इंसानों की नई प्रजाती बनाने का प्रयास कर रहे थेलेकिन क्या वो सफल हुए? और क्या ये सब सच है? इन सारी बातों में कितनी सच्चाई है? यह कोई नहीं जानता। परन्तु इतना कहा जा सकता है कि हमारे इतिहास मे कुछ ऐसे राज जरूर है जिन्हे अब तक कोई नहीं पहचान पाया।
शायद हमारे पूर्वजों के पास कुछ खास शक्तियां थी और शायद वो शाक्तियां आज भी कही दबी हुई है।
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