Chhath Puja 2024 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat:- छठ की पूजा बिहार, झारखंड, यूपी, नेपाल, छत्तीसगढ़ आदि का एक मुख्य त्यौहार है जो की दीपावली के 6 दिन के बाद मनाया जाता है। ये त्यौहार सूर्यदेव की बहिन छठी मैया को समर्पित है। षष्ठी को मनाये जाने के कारन इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। ये त्यौहार 4 दिनों के लिए मनाया जाता है जिसमे महिलाये करीब 36 घंटे का व्रत रखती है।
ये पर्व 4 दिनों तक चलता है जिसमे पहले दिन ( चतुर्थी ) नहाये खाये के दिन शुरू करते है जिसमे घर, कपडे, शरीर की साफ़ सफाई करते है क्युकी बाद में त्यौहार के समय घर की सफाई नहीं होती। दूसरे दिन ( पंचमी के दिन ) खरना व्रत किया जाता है जिसमे खीर खाकर व्रत किया जाता है।
बिहार में छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?
इस दिन महिलाये पुरे दिन व्रत करके शाम के समय गुड़ की खीर बनाकर माता को अर्पित करके कन्या और ब्राह्मण को खिलाकर खुद प्रसाद ग्रहण करती है। तीसरे दिन ( षष्टी के दिन ) इस दिन सुबह नहाकर व्रत किया जाता है जिसे दूसरे दिन सप्तमी तक यानी की 36 घंटे के लिए ये व्रत किया जाता है जिसमे कुछ नहीं खाया जाता। सप्तमी के दिन शाम को अरग देकर व्रत समाप्त किया जाता है।
साथ ही इन दिनों में बहते हुए नदी में नहाने का विशेष महत्त्व माना जाता है। जिन लोगों के पास नदी आदि नहीं है तो वो गंगा का जल लेकर खुले में स्नान किया जाता है जहाँ से सूरज, चाँद तारे दिखाई दे।
2024 में छठ पूजा कब मनाई जाएगी? Chhath Puja 2024 Date
छठी का पर्व हर साल ही कार्तिक महीने की शुल्क षष्ठी को मनाया जाता है। इस साल यानी की 2024 में ये पर्व 5 नवम्बर से लकर 8 नवम्बर तक चलेगा। यानी की 4 दिनों के इस त्यौहार में ये इसकी शुरुवात नहाने खाने के बाद होती है और अंत में सूर्योदय के समय सूरज को अरग देकर छठ पर्व को समाप्त कर दिया जाता है।
इस साल 2024 में छठ पूजा 7 नवम्बर को यानी की गुरवार को की जाएगी क्युकी षष्टी तिथि की शुरुवात 7 नवम्बर को सुबह 12:41 पर होगी और समाप्त 8 नवम्बर प्रातः काल 12:34 मिनट पर होगी। जिसमे नहाय खाय 5 नवम्बर को मनाया जायेगा, खरना तिथि है 06 नवम्बर और शाम 7 नवम्बर को 05:32 मिनट को अरग दी जाएगी । सुबह उगते सूरज को 8 नवम्बर को 06:38 मिनट पर अरग दिया जायेगा।
छठ पूजा में काम आने वाली सामग्री
एक बांस का डलिया सजी हुई, हल्दी, कुमकुम, केसर, गुड़ के लड्डू, नाशपाती, केला, मौसमी, निम्बू, डलिया को ढकने का पीला या लाल कपडा, सूपा, 4 गन्ने , घी, दीपक, अदरक का पौधा, पानी वाला नारियल, हल्दी का पौधा, आदि चीज़ो की आवश्यकता होती है।
छठ पूजा कैसे मनाई जाती है ? / छठ पूजन विधि
छठ माता भगवान सूर्य की बहन है छठी देवी। कार्तिक महीने में वैसे तो सभी देवी देवताओ की विशेष पूजा की जाती है जिसमे सूर्य देव की पूजा बहुत अहम् है। ये त्यौहार वर्ष में 2 बार मनाया जाता है एक बार तो नवरात्रे के समय और दूसरा कार्तिक मॉस में। ये पूजा 4 दिन तक चलती है जिसमे पहले दिन नहाये खाये, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन सुबह को अरग और पूजा और चौथे दिन शान को सूर्य देव को अरग के रूप में पर्व मनाया जाता है तो चलिए विस्तार से जान लेते है इन 4 दिनों के बारे में –
1.पहला दिन, नहाये खाये ( कार्तिक मॉस की चतुर्थी ) – इस दिन सुबह जल्दी उठकर आप बालों सहित नाहा ले और घर को भी अच्छे से शुद्ध- साफ़ कर ले। उसके बाद सूर्य भगवान को जल अर्पित करे। जल अर्पित करने के लिए लोटे में गंगा जल, पुष्प, रोली मिला ले और सूर्य भगवान को जल चढ़ाये और प्रार्थना करे की ” मई छठ पूजा का व्रत प्रारम्भ करने जा रही हु और मुझे आशीर्वाद और शक्ति दे की मेरा व्रत सफल हो “. छठी मैया का घर में स्वागत करे और मन को शांत रखे किसी की बुराई न करे बुरा न बोले। इस दिन आपका व्रत शुरू हो गया और इस दिन जो भी खाना बनाये घी में बनाये और सेंधा नमक का इस्तेमाल करके बनाये। धयान रहे पूरा सामान नया हो रसोई घर से कुछ काम में ना ले। इस दिन चावल, लोकि की सब्जी और चने की दाल का भोग बनाकर पहले छठी मैया को अर्पित करे और फिर खुद खाये।
2.दूसरा दिन, खरना ( कार्तिक मॉस की पंचमी )- इसमें शाम को सूर्यास्त से पूर्व एक लोटे में जल लेकर सूर्य देव को अरग दे इस दिन ही छठी माता का घर में आगमन होता है। इस दिन सुबह से निर्जला व्रत रखा जाता है और शाम को स्नान आदि करने के बाद गुड़ की खीर बनायीं जाती है जिसका छठी मैया को भोग लगाया जाता है और बाद में सभी इसे ग्रहण करते है। ध्यान रहे गुड़ की खीर को नए बर्तन में बनाये। रोटी में घी लगा ले, फल अदि का भोग लगा ले।
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3.तीसरा दिन ( कार्तिक मॉस की षष्टी)- इस दिन पूरा दिन निर्जला व्रत होता है जिसमे व्रती को न तो अन्न और न ही जल ग्रहण करना होता है। इस दिन शाम को अरग दी जाती है जिसमे भोग में चावल के लड्डू, ठेकुआ और फलो से डलिया को सजाया जाता है। इसमें बॉस के कलसूप लेने है 2, इन दोनों को टोकरी में रख ले और पीले कपडे से बांध ले। कलसूप पर एपन से पंजे का निशान बना दे फिर इसमें सभी धोये हुए फल जैसे नारियल, निम्बू, अनार, मौसमी, कोहड़ी, मूली, कन्द, हल्दी का पत्ता, अदरक का पत्ता, कुमकुम, सिन्दूर, पान आदि रख दे। इन दोनों कलसूपो को तैयार कर टोकरी में रख दे और टोकरी पर वही एपन से निशान बना ले। टोकरी को पीले कपडे से बांधकर नहाधोकर इसे सर पर रखकर घाट पर जाए। घाट पर जाकर पानी में जाकर खड़े हो जाये और सूर्य भगवन को नमन करे और 3 बार डुबकी लगा ले। सूर्यास्त के समय सूर्य को अरग दे और कलसूप को हाथ में लेकर 3 बार परिक्रमा दे दिया और अगरबत्ती जला दे और अरग दे दे। अरग देने से पहले अंचल हाथ में रखे, सिन्दूर लगा ले और कलसूप हाथ में ले ले और अरग देने के बाद, घर जाए। घर आने के बाद कलसूप के फलों को नए फलों से बदल दे।
4.चौथे दिन ( कार्तिक मॉस की सप्तमी)- अंत वाले दिन सभी घर के लोग सुबह 4 बजे उठ जाते है और नाहा कर तैयार होकर फिर कलसूप लेकर घाट पर जाते है और फिर उगते हुए सूर्य को अरग देते है। जिस तरीके से पिछले दिन अरग दिया उसी तरह इस दिन भी अरग देना है। सुबह का अरग दूध से दिया जायेगा और पानी से बहार आकर घर आकर वस्त्र बदल ले और सूर्य भगवन के नाम से छोटा सा हवन करे और आपका व्रत पूर्ण हो जाएगी। इस पूजा के पूरा होने के बाद आप सबसे पहले प्रसाद खाये और कही जगह पर प्रसाद की जगह गुड़ और अदरक का काढ़ा खाया जाता है।
ये थी 4 दिन की सम्पूर्ण पूजा विधि जिसका पालन करके आप छथि का महाव्रत पूरा कर सकते है जिससे जुडी हमने सम्पूर्ण जानकर आपके साथ शेयर कर दी है।
छठ पूजा में ध्यान रखने की कुछ बाते / नियम
- माता का पूजा सूर्य देव की और मुख करके की जाती है।
- मान्यता के अनुसार षठ के दिन नए वस्त्र धारण करे, महिलाये सिले हुए वस्त्र पहन सकती है लेकिन पुरुष धोती आदि बिना सिले हुए वस्त्र ही पहने।
- जिस पात्र में खीर बनायीं जाएगी वो नया होना चाहिए और बनने वाले चावल भी नए होने चाहिए।
- ऐसा कहा जाता है की सूर्य की किरणे दूषित हो जाने पर साफ़ करने के लिए छठ पूजा की जाती है।
- जो लोग व्रत कर रहे है उन को इन 4 दिनों पर धरती पर चटाई आदि बिछाकर सोना चाहिए।
- जिन्होंने व्रत नहीं किया है वो भी सात्विक भोजन ही ग्रहण करेंगे चाहे वो घर में है या बहार।
- ध्यान रहे जब भी आप सूर्य देव को अरग दे तो उसमे 7 प्रकार के पुष्प, सफ़ेद टिल और लाल चन्दन, कोरे चावल कलश में ये सब जरूर दाल कर रखे। डूबता हुए सूरज को ये जल अर्पण किया जाता है।
- जिन लोगो ने व्रत किया है वो ध्यान रखे की वो घर में पूजा ना करे।
- 3 दिन यानी की चतुर्थी, पंचमी, छठी इस दिन उगते हुए सूरज को अरग दे और अंत में सप्तमी के दिन डूबता हुए सूरज को अरग देना चाहिए।
- ध्यान रहे सफ़ेद और काले रंग के कपडे आदि बिलकुल न पहने।
- पुरे 4 दिनों में मन में अच्छे विचार रखे, और अंत में कथा जरूर करे।
छठ का व्रत क्यों किया जाता है?
ये व्रत संतान की सुरक्षा, घर की सुरक्षा और पति की सुरक्षा के लिए किया जाता है। जिन लोगो को संतान नहीं है वो लोग संतान प्राप्ति के लिए ये व्रत कर सकते है। इसके आलावा जिन लोगो को कुष्ठ रोग यानी की त्वचा सम्बन्धी रोग है उनको सही करने के लिए छठ का व्रत किया जाता है।
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FAQ’S
ये कुछ अचे प्रश्न है जो आपके जरूर पढ़ने चाहिए।
Q.1 सबसे पहले छठ पूजा किसने करी?
उतर: पुराणों के अनुसार, सबसे माँ सीता जी ने छठ पूजा का अनुष्ठान किया था।
Q.2 क्या अविवाहित लड़की छठ पूजा कर सकती है?
उतर: जी हां। अविवाहित लड़की भी व्रत रखकर छठ पूजा कर सकती है।
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