धनतेरस मुहूर्त, क्या खरीदना चाहिए धनतेरस पर:- जो भी व्यक्ति धरती अर्थार्त मृत्यु लोक पर रहता है उसे जरूर धनतेरस की पूजा करनी ही चाहिए। लेकिन जो भी धनतेरस के दिन लक्ष्मी जी की पूजा जो कार्तिक महीने में त्रयोदशी के दिन नहीं करेगा उसके घर में लक्ष्मी जी नहीं रुकेगी। इसीलिए हर व्यक्ति को धनतेरस के दिन लक्ष्मी जी पूजा जरूर करनी चाहिए जिससे व्यक्ति का उद्धार हो। माँ लक्ष्य किसी और का नहीं बल्कि विष्णु भगवन का ही अंश है। आपने माता लक्ष्मी के हाथ में देखा होगा की उनके हाथ में शंख, चक्र, गदा, औषधि, कमल का फूल, धन, अमृत का कलश आदि देखने को मिलेगा जो की विष्णु भगवन के हाथों में भी दिखाई देता है इसीलिए माता लक्ष्मी विष्णु जी का ही अंश है। अब हम जान लेते है की हमें धन्वंतरि की पूजा किस तरह से करनी चाहिए।
धनतेरस 2024 पूजा विधि [Dhanteras 2024 Puja Vidhi]
कार्तिक मॉस की कृष्णा पक्ष की त्रयोदशी को धन्वन्तरि अर्थार्त धनतेरस की पूजा की जाती है। एक साफ़ जगह पर आप गाय के गोबर से लेप कर ले और यदि गाय का गोबर नहीं है तो शुद्ध जल से सुन्दर जगह को साफ़ कर ले। साफ़ करने के उपरांत आटा ( जो की समृद्धि को बढ़ता है) और हल्दी ( लक्ष्मी को बढाती है) , चावल के दाने का प्रयोग करके चौक पुर दे या फिर यदि आपके हिरमिच से मांडना बनाने की प्रथा है तो वो बना ले और उस पर साफ़ चौकी या पट्टा रख दे। उस पर एक सुन्दर लाल वस्त्र बिछा दे और थाली में रोली से एक स्वस्तिक बना दे।
घर में यदि आपके चाँदी का सिक्का हो और यदि चाँदी का सिक्का न हो तो कोई भी दूसरा 1 या 2 रूपए का सिक्का थाली में रख दे। अब आटे के 7 दिए बना कर घी डाल ले और लम्बी बत्ती बनाकर दीपो को प्रज्वलित कर ले। इसके बाद एक तेल का दिया जलाये और आपके सीधे हाथ की तरफ तेल का दिया कर दे और बाकी 7 दिए लक्ष्मी जी के सीधे हाथ की तरफ रख दे। पूजा की थाली में कुमकुम, रोली, हल्दी, गुलाल, चन्दन, मोली, अमरबेल के टुकड़े, कमल गट्टे, हल्दी की गाठ, जल का पत्र सुन्दर अच्छे भाव से रख ले।
अब थाली में जो सिक्का आपने रखा था उसका जल से पूजन कर ले। कुमकुम आदि से पूजा करने के बाद सिक्के को उठा ले और उस पर मोली लपेटना शुरू करे और अच्छे से लपेट कर थाली में रख दे। फिर वापस जल का छीटा देकर पूजा कर ले। हल्दी, रोली, मोली, चन्दन आदि लगाकर चावल को हल्दी में भिगोकर पीले चावल करके उलटे हाथ में चावल लेकर सिक्के का पूजन करे।
साथ में चावल जब सिक्कों पर चढ़ाये तो गणेश जी का ध्यान करे और बोले की हे रिद्धि सिद्धि के दाता आप सदैव माता लक्ष्मी को लेकर कुबेर जी को लेकर सदा यही विराजमान रहे और चावल छोड़ते जाए। साथ ही भगवन शिव, माता लक्ष्मी, विष्णु जी, कुबेर जी का स्मरण करते जाए और चावल छोड़ते जाए और जब पूजा हो जाए तो अमर बेल ( ये समृद्धि की सूचक है जिसका उपयोग ग्रहप्रवेश आदि में प्रयोग होती है) के 7 टुकड़े, कमल गट्टे, 7 हल्दी की गठान माता लक्ष्मी को समर्पित करे।
इसके बाद दोनों हाथों में हल्दी पीसी हुई ले और माता लक्ष्मी के ऊपर यानि सिक्कों 7 बार चढ़ाये और अपनी मनोकामना बोले। हल्दी चढ़ाने के बाद हाथ में कुमकुम ले ले और उसे भी माता लक्ष्मी को समर्पित करे। अंत में घर में जो भी मीठा हो या चीनी हो तो वो माता लक्ष्मी को भोग के रूप में रख दे। जब पूजा हो जाये तो घर में जो भगवन है उनकी भी पूजा कर ले। इसके बाद माता लक्ष्मी से घर में विराजित रहने के लिए कहिये।
ये भी पढ़े:- उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के रहस्यमयी राज, दर्शन
ये पूजा आपको कुल 5 दिन तक करनी है पहला दिन धनतेरस, दूसरा दिन रूपचौदस, तीसरा दिन अमावस्या, चौथा दिन एकम और पांचवा दिन दौज।
इस तरह 5 दिनों तक दीपावली मनाई जाती है। पूजा करने के बाद 7 दिए जो आपने माता लक्ष्मी के आगे जलाये थे उनसे माता लक्ष्मी की आरती उतारे और उनसे कहिये की हमेशा कृपा बनाये रखे। झोली पसार के माता को नमन करे और उन 7 दीयों को अलग अलग घर के स्थान पर रख दे।
एक दिया माता लक्ष्म यानि सिक्के के उलटे हाथ में तेल का दिया और सीधे हाथ पर घी का दिया जलाये। हमने जो पूजा की विधि आपसे साझा की है वो शिवपुराण के अनुसार स्वयं विष्णु भगवन ने एक किसान को बताई थी। तो इस विधि से पूजा जरूर करे।
धनतेरस की पूजा सामग्री
धन्तेरसास की पूजा में माता लक्ष्मी का चित्र, चौकी, लाल कपडा, गंगा जल, थाली, चाँदी का सिक्का, कोई भी सिक्का, रोली, मोली, कुमकुम, चन्दन, अमरबेल के पत्ते 7, हल्दी की गाठे, हल्दी, कमलगट्टे, घी, तेल, मिट्टी के दिए, आटे के दिए 7, मीठे का भोग, मोली, चावल आदि सामग्री की आवश्यकता होती है।
धनतेरस की पूजा का समय, मोहरत
धनतेरस की पूजा का समय प्रदोष काल से प्रारम्भ हो जाता है क्युकी ये शिव जी द्वारा निर्मित है। इसीलिए आप 29 अक्टूबर 2024 यानी की मंगलवार को शाम 06:31 से लेकर रात 08:13 मिनट तक पूजा कर सकते है जो की धनतेरस का शुभ मुहूर्त है और प्रदोषकाल मुहूर्त है 05:38 मिनट से लेकर 08:13 मिनट तक है।
धनतेरस पर खरीदारी
धनतेरस पर तो वैसे सोना और चाँदी खरीदने पर विशेष जोर दिया जाता है उसके आलावा कुछ ऐसी चीज़े है जो हमें धनतेरस पर जरूर खरीदनी चाहिए, जैसे कोडिया, धनिया, हल्दी की गाठे, झाड़ू, कॉपी पेन, आदि चीज़े खरीद सकते है। पर यदि आपकी गुंजाइश नहीं है तो आप अच्छे भाव से कोई भी एक चीज़ खरीद सकते है चाहे वो कुछ भी हो सोना या चाँदी की वास्तु हो जरुरी नहीं।
तो ये थे धनतेरस की पूजा विधि , नियम, मुहरत और क्या खरीदना चाहिए (Dhanteras 2024 Puja Vidhi, Muhurat, What To Buy)। अगर आपको हमारा ब्लॉग अच्छा लगा हो तो कमेंट करके जरूर बताये।
FAQ’s-
Q.1- धनतेरस के दिन दिए कहाँ कहाँ जलने चाहिए?
उत्तर- धनतेरस के दिन 7 दिए जलाये और ये 7 दिए घी के और 1 दिया तेल का जलाये। धनतेरस के दिन सिक्के की पूजा होती है तो सिक्का माता लक्ष्मी का ही रूप है माता लक्ष्मी के उलटे हाथ पर तेल का दिया और सीधे हाथ पर घी का दिया रख दे। बाकी बचे 6 दिए एक रसोई घर में, एक घर के पूजा के आले में, घर के द्वार के पास, एक तुलसी के क्यारे के पास, एक घर के करीब मंदिर में और एक किसी भी कमरे में या फिर छत पर रख दे।
Q.2- 2024 में धनतेरस कब है 29 अक्टूबर या 30 अक्टूबर ?
उत्तर– इस साल सभी लोग दुविधा में है की धनतेरस की पूजा किस दिन करनी है तो पंचाग के अनुसार अमावस्या से 2 दिन पहले धनतेरस की पूजा की जाती है। तो साल 2024 को धनतेरस 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जायेगा जिसमे धनतेरस की शुरुवात सुबह 10 :31 मिनट पर होगी और समाप्त 30 अक्टूबर को 01:15 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
Q.3- धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त क्या है?
उत्तर- धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त सुबह 10 : 34 मिनट से लेकर अगले दिन 1 बजे तक सोना, चाँदी आदि खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त है।
Q.4- धनतेरस की पूजा में क्या क्या सामग्री की आवश्यकता होती है?
उत्तर- धनतेरस की पूजा में गंगा जल, चौकी, आटा, हल्दी, सिक्का, रोली, मोली, चावल, हल्दी, आटे के दिए, मिटटी का दिया, घी, तेल, कमलगट्टे, अमरबेल के पत्ते, हल्दी की गठे, पताशे या मीठे का भोग, कुमकुम, चन्दन आदि सामग्री की आवश्यकता होती है।
Q.5- 30 अक्टूबर 2024 को क्या है?
उतर- धनतेरस, मंगलवार 30 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी जो की उदया तिथि के अनुसार है।
Q.6- धनतेरस के दिन क्या खरीदने से घर की वृद्धि और शुभ माना जाता है?
उतर- आप धनतेरस के दिन सोना, चांदी, वाहन, धनिया, झाड़ू, और पीतल से बानी कोई भी बर्तन ले सकते है।
ये भी पढ़े:- भारत के 10 रहस्यमयी, विचित्र और डरावने गांव जो आज सुनसान पड़े है