जयपुर के चम्तकारी गणेश जी के मंदिर के बारे में बात करि जाये तो सबसे पहले आते है अपने सबसे मोती डूंगरी गणेश जी का मंदिर जो की शहर के बीचो बिच मंदिर बना हुआ है। कहते है की कोई वभि शुभ काम करने से पहले सिद्धिविनयक का नाम जरूर लिया जाता है और वह सारे अच्छे कामो की शुरुवात होती है जैसी की गाड़ी को पहली बार ले जाना, शादी का पहला कार्ड गणपति बापा को देना और घर में कोई भी दुःख या पीड़ा आती है तो सबसे पहले गणेश जी हे होते है जो उन कष्टों हमारी जिंदिगी से हर लेते है।
सिद्धिविनायक से वैसे तो मुंबई में फेमस मंदिर बने है पर जयपुर भी किसी बात से काम नई है, जयपुर में बने प्रसीद गणेश जी मंदिर इतिहास रखते है और बहुत ही चम्तकारी भी है।
1. मोती डूंगरी गणेश जी का मंदिर
मोती डूंगरी का मंदिर बहुत ही प्रसीद और पवित्र मंदिर है। जहा पर आये दिन हज़ारो भक्तो की लाइन लगी रहती है दर्शन करने के लिए। जयपुर में कोई भी टूरिस्ट आता है , तोह वो सबसे पहले घूमने तो मोती डूंगरी गणेश जी के मंदिर के दर्शन करना नहीं भूलता है। कहते है की मंदिर 400 साल पुराना है और इसका निर्माण सं 1961 में सेठ जय राम पल्लीवाल की देख रेख में कराया था।
मोती डूंगरी मंदिर को लेके बहुत ही रोचक कहानी है, इस कहानी में ऐसा है की राजा जी गणेश मूर्ति के साथ बैलगाड़ी से अपनी लम्बी यात्रा करके लौट रहे थे और इसमें रोचताकमत शर्त ये थी की जहा भी बैलगाड़ी रुकेगी वही पर गणेश की मंदिर बनेगा। तोह बेलगड़ी डूंगरी के पहाड़ी के पास आके रुकी और जिस जगह रुकी उसी जगह आज गणेश जी मोती डूंगरी का मंदिर है।
मंदिर श्री गणेश मोती डूंगरी, राजस्थान के सबसे बड़े गणेश मंदिरो में से एक है। ठीक गणेश जी मंदिर में, पीछे डूंगरी के पहाड़ियों पैर शिव जी का मंदिर भी है जो की साल में सिर्फ एक बार हे खुलता है।
2. गढ़ गणेश मंदिर (Garh Ganesh Temple)
गढ़ गणेश मंदिर का इतिहास और गणेश जी प्रसीद मंदिरो में से एक है जो की अरावली पहाडिओ पर स्तिथ है। महाराजा सवाई मान सिंह ने जयपुर की स्थापना से पहले गढ़ गणेश मंदिर की स्थापना करवाई थी। इस मंदिर की खास विशेषता ये है की ये पहाड़ी पर स्तिथ है और इसमें भगवन गणेश जी को मानव रूपी सर के साथ दिखाया गया है। कहते है अगर आप 3 बार लगातार बुधवार के दिन गढ़ गणेश मंदिर चले गए तोह आपकी मनोकामना पूरी होगी।
अगर आप गढ़ गणेश मंदिर जाना चाहते है तो बड़ी चुपड़ से कोई ऑटो या टैक्सी करके जा सकते है जिसमे में आपको मंदिर के समीप छोड़ देगा और फिर आपको सीढिया चढ़के भगवन के दर्शन करने को मिलेंगे। वह ऊपर जाने के बाद आपको प्रसाद, पानी, कुछ खाने का सामान इतियादी जैसी सुविदा है जिसका लाभ आप उठा सकते है।
3. नहर के गणेश जी का मंदिर
नहर के गणेश जी का मंदिर बिलकुल पास में गढ़ गणेश जी के पास में ही है। इस मंदिर की विशेषता ये है की दाहिनी सूंड वाले दक्षिणमुखी भगवान श्री गणेश की विराजे है। करीब 250 साल बने नहर के गणेश जी के मंदिर नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर विराजे है। मंदिर नहर के नजदीक होने के कारण मंदिर का नाम नहर के गणेश रख दिया है। यहाँ पर एक प्रथा है की अगर आप उलटे स्वस्तिक बनाओगे तोह आपके सरे उलटे बिगड़े काम सही होने लगेंगे अगर आप वह उलटे स्वस्तिक बनाओगे।
नहर के गणेश आप जा रहे हो तो वह पर प्रसाद और बाकि बहुत सी चीज़ मिल जाती है अगर आप वहा जा रहे हो तो जयदा से जयदा समय लेके जाए जिसे आप गढ़ गणेश जी का मंदिर और नहर के गणेश जी मंदिर दोनों के दर्शन कर सकते है।
यह जाने के लिए आपको कोई रिक्शा या गाड़ी मिल सकती है जो की बड़ी चौपड़ से बहुत ही जयदा नजदीक है।
प्रश्न और उतर:
Q.1 मोती डूंगरी गणेश जी मंदिर का क्या इतिहास है?
उतर: मंदिर करीब 400 साल पुराना है और सं 1761 में सेठ जयराम पल्लीवाल की निगरानी में बनवाया गया था। मोती डूंगरी गणेश जी का मंदिर मोती डूंगरी पहाड़ी और मोती डूंगरी किले के निचे है।
Q.2 मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर की जैसे जयपुर कोनसे गणेश जी का मंदिर फेमस है?
उतर: जैसे मुंबई में सिद्धिविनयक मंदिर बहुत ही फेमस माना जाता है उसी तरह जयपुर में मोती डूंगरी का गणेश जी का मंदिर बहुत हे फेमस माना जाता है।
Q.3 मोती डूंगरी गणेश जी के मंदिर की रोचक कहानी क्या है?
उतर: कहते है की राजा, गणेश जी मूर्ति के साथ बैलगाड़ी से वापस लौट रहे थे और शर्त ये थी की बैलगाड़ी जहा रुकेगी वही पर गणेश जी का मंदिर बनेगा। उसके बाद बिगड़ी डूंगरी की पहाड़ियों के पास आके रुकी और फिर वह पर सेठ जयराम पल्लीवाल की निगरानी में बनवाया गया।
Q.4 मोती डूंगरी गणेश की मंदिर का इतना महत्व क्यों है?
उतर: बुधवार के दिन मंदिर परिसर में मेला लगा होता है जिसे वह बहुत सरे लोग दर्शन करने आते है।
Q.5 मंदिर में दर्शन करने का क्या समय है?
उतर:- मंदिर में गणेश की भगवन के दर्शन करने का समय सुबह 5.30 बजे से दुपहर के 1.30 बजे तक है और 4.30 बज्जे से 9 बजे तक है। मंदिर में दर्शन करने के लिए को i भी शुल्क नहीं है।
Q.6 मोती डूंगरी गणेश जी के मंदिर जाने का रास्ता क्या है?
उतर:-अगर आप वहा जाना चाहते है तो सड़क, ट्रैन और विमान कैसे भी जा सकते है। जयपुर एयरपोर्ट से मंदिर तक की दुरी करीब 10 किलोमीटर होगी और ट्रैन से भी आप पहुंच सकते है।
Q.7 अगर आप मोती डूंगरी गणेश की मंदिर के पास कोनसी जगह घूमने जा सकते है?
उतर:- अगर आपने गणेश जी के मंदिर घूमने के बाद आप बिरला मंदिर भी घूमने जा सकते है जो की बिलकुल पास ही है और उसके बाद हवामहल, आमेर किला, जयगढ़ किला, और भी बहुत सी जगह घूमने जा सकते हो।
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