Top Interesting Facts About Hawa Mahal in Hindi :- महल राजस्थान के जयपुर में स्थित है, जिसे गुलाबी नगरी के नाम से भी जाना जाता है। हवा महल को ” पैलेस ऑफ़ विंड “ के नाम से भी जाना जाता है।
इस महल के बारे में कहा जाता है की यह महल 224 सालो से बिना नीव और सिद्दियों के खड़ा है। हवा महल बिना नीक ढकी दुनिया की सबसे ऊँची बिल्डिंग है। इसमें नीव न होने के कारण यह 87 डिग्री तक झुकी हुई है।
यह महल न सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है बल्कि यह हिंदी राजपूत शिल्पकला का एक बेहतरीन उदहारण है। जयपुर आने वाले वाले ज्यादातर पर्यटकों को हवा महल सिर्फ एक दिवार के रूप में ही समझ आता है लेकिन, आज हम आपको हवा महल के बारे में कुछ रोचक बाते बताने वाले है, इसकी बनावट कैसी है, इसका इतिहास, टिकट आदि के बारे में हम विस्तार से जानेगे। अगर आपको हमारा ब्लॉग अच्छा लगे तो कमेंट करके जरूर बताये।
Top Interesting Facts About Hawa Mahal in Hindi , हवा महल की बनावट
हवा महल 5 मंजिल की ईमारत है, जिनमे अनेको कमरे तथा खिड़किया है। इस महल के परिसर में 953 खिड़कियां है, जिनमे से 365 खिड़किया हवा महल में है। यही नहीं बल्कि इस महल के अंदर छोटी चौपड़ से बड़ी चौपड़ तक लगभग आधा किलोमीटर लम्बा एक सुन्दर गलियारा भी बना हुआ है।
यह महल लाल और गुलाबी रंग के बलुआ पत्थरो से बना है। हवा महल जयपुर को दी गयी गुलाबी नगरी का पूर्ण उदहारण है। सन 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा निर्मित यह महल पर्यटकों द्वारा जयपुर की सबसे पसंदीदा में शुमार है। इस ईमारत को ख़ास तौर पर रानियों के लिए बनवाया गया था। जब भी जयपुर में कोई त्यौहार या कार्यक्रम का आयोजन करवाया जाता था तोह रानियां यहाँ बानी खिड़कियों से झांककर उनका आनंद लिया करती थी। इस लिए इन खिड़कियों को झरोखे भी कहा जाता है।
हवा महल की ऊंचाई 87 फ़ीट है। जब सुबह के समय इस पर सूरज की रौशनी पड़ती है तोह इसके अलग अलग हिस्से रंग बिरंगी रौशनी से जगमगा उठते है। यहाँ मौजूद अलग अलग कमरों को अलग अलग नाम दिया गया है । सभी कमरों की सुंदरता देखते ही बनती है। इस महल के अलग अलग भागो में बनाये गए कमरों और उनमे लगाए गए खिड़कियों और दरवाजो की नक्काशी इतनी सुन्दर है की आपकी नजरे उनसे नहीं हटेगी। ख़ास बात यह है की उस ज़माने में इनको बनाने के लिए रंगों का नहीं बल्कि सब्जियों का इस्तेमाल किया गया, यही नहीं बल्कि यहाँ लगे रंग बिरंगे शीशे भी इस हवा महल की खूबसूरती में चार चाँद लगा देते है।
महाराजा सवाई प्रताप सिंह भगवान श्री कृष्णा के बहुत ही बड़े भक्त थे, इसीलिए आप देखेंगे तो पाएंगे की बहार से हवा महल की आकृति श्री कृष्णा के मुकुट के समान है। इस महल की तीसरी मंजिल पर बने विचित्र मंदिर को श्री कृष्णा की पूजा अर्चना के लिए बनवाया गया था जहाँ पर श्री कृष्णा भगवान के लिए झूला लगवाकर झूला झुलवाया जाता था।
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हवा महल का निर्माण कब हुआ?
इस महल की वास्तु निर्माण लाल चाँद उस्ताद ने की थी। इसका निर्माण 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह के शासन काल में उनके द्वारा करवाया गया। महाराजा सवाई प्रताप कृष्णा जी श्री कृष्णा के भक्त थे इसलिए आप देखेंगे तो पाएंगे की बहार से हवा महल की आकृति श्री कृष्णा के मुकुट के समान है। इस महल के अलग अलग भागो को अलग अलग मंदिर का नाम दिया गया था। इस महल की प्रथम मंजिल को ” शरद मंदिर” कहा जाता है।
सर्दियों के समय सभी कार्यक्रम यही आयोजित किये जाते थे। हवा महल की दूसरी मंजिल को “रतन मंदिर” कहा जाता है। जिसमे राजा महाराजाओ द्वारा हीरे ज्वरातों की प्रदर्शनी लगायी जाती थी। हवा महल की तीसरी मंजिल को “विचित्र मंदिर” कहा जाता है, जिसमे भगवन श्री कृष्ण की पूजा की जाती थी। चौथी मंजिल पर है “प्रकाश मंदिर” जहाँ पर सूर्य और चन्द्रमा से सम्बंधित त्यौहार मनाये जाते थे। अंत में है पांचवी मंजिल जिसे “हवा मंदिर” कहा जाता है जिसमे चारो तरफ से काफी अच्छी हवा आती है। हवा महल में एक फव्वारा है जो आज भी शाम के समय चलाया जाता है।
महल में महाराजा सवाई प्रताप सिंह जी का एक निजी कक्ष हुआ करता था जो की प्रताप मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस कक्ष के अंदर आपको महाराजा प्रताप सिंह का एक माँ का पुतला देखने को मिलेगा, साथ ही इसमें रंग बिरंगे शीशो का उपयोग करके सुन्दर सुन्दर खिड़किया बनायीं गयी है। दवाजो पर तरह तरह की सब्जियों का उपयोग करके खूबसूरत कलाकारी की गयी है।
हवा महल की देख रेख राजस्थान सरकार का पुरातत्व विभाग करता है। साल 2005 में करीब 50 वर्षो के लम्बे अंतराल के बाद काफी बड़े स्तर पर इस महल की मरम्मत और नवीनीकरण का काम करवाया गया था। जिसका खर्चा काफी ज्यादा आया था। प्राइवेट कॉर्पोरेट घराने जैसे ” यूनिट ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया ” जिसने हवा महल की देख रेख का पूरा जिम्मा उठाया है। महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने सं 1799 में जल महल और हवा महल का निर्माण करवाया था। और न सिर्फ वो कृष्ण भगवन के भक्त हुआ करते थे बल्कि वो एक महान कवि भी थे। प्रताप मंदिर के बहार बना बरंडा ” शुभ भवन्तु ” के नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है शुभ शांति। इस बरांडे को फूल पौधे से सजाया जाता था ताकि नहल का वातावरण खुशबूदार रहे। यही नहीं आकर्षक लकड़ी और धातु से बनाये गए ये दरवाजे इस शाही कक्ष की सुंदरता और ज्यादा बढ़ा देते थे। यहाँ छत पर लगी कड़ियों में रानियों के झूले टांगे जाते थे।
हवा महल में एक ” भोजन शाला” भी है, जिसमे रानियाँ उस ज़माने में ज़मीन पर बैठकर भोजन ग्रहण किया करती थी, यह भोजन शाला भी बहुत बखूबी बनायीं गयी है। हवा महल में एक मंजिल से दूसरी मंजिल जाने के लिए सिद्दिया नहीं है बल्कि उसके स्थान पर एक पिसलपट्टीनुमा रास्ता है।
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हवा महल का निर्माण क्यों हुआ?
हवा महल का निर्माण इसलिए करवाया गया था क्युकी उस समय पर्दा प्रथा थी और शहर में होने वाले कार्यक्रमों और त्योहारों है आनंद रानियां उठा पाए इसके लिए हवा महल का निर्माण किया गया था। ताकि खिड़कियों और झरोंखो के माध्यम से रानियां इन सब चीज़ो का लुफ्त उठा सके। रानियां उस समय ” सिटी पैलेस ” में निवास किया करती थी और वहां से वे जंतर मंतर होती हुई हवा महल आती थी, और हवा महल में उनके लिए विशेष व्यवस्था की जाती थी, ताकि वे त्योहारों के लुफ्त उठा सके।
हवा महल के बारे में कुछ रोचक तथ्य (Interesting Facts About Hawa Mahal)
- हवा महल में कोई प्रवेश हेतु विशेष दरवाजा नहीं है, क्युकी यह ” सिटी पैलेस का ही एक हिस्सा है” ।
- हवा महल के बारे में एक अजीब बात यह है की हवा महल की कोई नीव नहीं है, इसलिए यह दुनिया की सबसे ऐसी सबसे ऊंची ईमारत में शामिल है जिसकी कोई नीव ही नहीं है।
- हवा महल पूर्ण रूप से श्री कृष्णा को समर्पित है, क्युकी जिन्होंने इसे बनवाया था महाराजा प्रताप सिंह वो श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे।
- हवा महल में कुल 953 खिड़किया है जिन्हे ” झरोखे ” कहा जाता है। इन्ही झरोखो से हवा पुरे महल में फैलती है।
- इन झरोखो को बनाने का कारण यह था की पहले की राजपूत महिलाये बहार नहीं निकलती थी, अपना चेहरा किसी को नहीं दिखती थी, इसलिए इन झरोखो का निर्माण किया गया।
- इस महल में 5 मंजिल है और हर मंजिल का नाम मंदिरो के नाम पर रखा गया है।
- हवा महल भारत की सबसे ज्यादा इंस्टाग्राम पर फेमस जगह है।
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हवा महल की टिकट कितनी है?
हवा महल की टिकट भारतीय को लिए 50 रूपए और विदेशी लोगों के लिए यह टिकट 200 रूपए है। आप चाहे तोह जयपुर के 6 स्मारकों को देखने की संयुक्त टिकट भी ले सकते है जो आपको हवा महल के टिकट काउंटर से मिल जाएगी।
यह थी हवा महल के बारे में कुछ रोचक तथ्य और जानकारी। अगर आपको ऐसे ही और जगहों के बारे में जानना हो तो कमेंट सेक्शन में जरूर बताये। ऐसे ही इंटरेस्टिंग ब्लॉग के लिए विजिट करिये हमारी साइट ” कही अनकही बाते” को।
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