मकरही हवेली का रहस्य:- बताया जाता है की 1857 की क्रांति के बाद इस Makrahi Haveli का निर्माण किया गया था। उस दौर में राजा माधव प्रसाद अंग्रेजो से युद्ध में पराजित हो गए थे। रॉयल्टी देने के बाद उन्हें 2 तापा मैदान और 52 गांव मिले थे। इससे माधव प्रसाद ने अपने बेटे गोपाल सिंह और हरवंश सिंह को सौप दिया था।
बेटे गोपाल के हिस्से में Makrahi Haveli और हरवंश सिंह के हिस्से में हैंश्वर स्टेट आया । हैंश्वर स्टेट में अयोध्या के रिकाबगंज का करीब 200 वर्ष पुराण आचार संग्राहलय भी शामिल था। मुग़ल साम्राज्य को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले हंसवर साम्राज्य के पूर्वज राजा रणविजय सिंह ने 28000 सैनिको को बाबर की सेना से युद्ध किया था । युद्ध में अपने आदम सोने का प्रदर्शन करते हुए वे वीर गति को प्राप्त हो गए थे । इसके बाद महारानी जयराज कुमारी ने महिला वीरांगनाओ के साथ 3 वर्ष तक बाबर के साथ युद्ध किया और अयोध्या के राम मंदिर को आजाद करते हुए शहीद हो गयी थी। फिर सन 1937 में कमला प्रसाद जी ने इसका पुनर्निर्माण करवाया।
रहस्यमयी मकरही हवेली कहाँ पर स्थित है?
मकरही हवेली हमारे भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वांचल में स्थित आंबेडकर नगर जिले के राम नगर ब्लॉक में पड़ता है। राजधानी लखनऊ से इस महल की दूरी करीब 228 किलोमीटर है। कहते है इसके सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है अकबरपुर रेलवे स्टेशन है जो यहाँ से 40 किलोमीटर दूर है। यहाँ आपको बस स्टैंड भी मिल जायेगा। महल से करीब 3 किलोमीटर दूर घाघरा नदी बहती है जिसे यहाँ के लोग सरी नदी के नाम से भी जानते है।
हवेली की बनावट कैसी है?
यह महल को 1937 में श्री कमलापति प्रसाद सिंह ने बनवाया था जो की आज 2024 ने इस महल ने अपने 87 साल पुरे कर लिए है । यह महल पुरे 10 से 12 एकड़ में फैला हुआ है। इस महल को बनाने में रेत, लोहे की सरिया , चुना पत्थर, इटालियन मार्बल आदि चीज़ो का इस्तेमाल किया गया है।
महल के पास अआप्को दो मंदिर देखने को मिलेंगे जो अब खण्डार में तब्दील होते दिख रहे है। इसमें जो पहला मंदिर था वो था भगवन कृष्णा का था और जो दूसरा मंदिर था, वो देवी दुर्गा माता को समर्पित था। इसकी आंतरिक बनावट देखेंगे तपो पाएंगे की यह अंदर बहुत से कमरे है और ये कमरे एक दूसरे से जुड़े है ताकि इनमे से हवा पास हो पाए और यदि कोई व्यक्ति किसी कमरे में फास जाये तो दूसरे कमरे से निकल जाये। इस हवेली में कमसेकम 365 दरवाजे है।
आश्रम क्यों बदल गया रहस्यमयी भूतिया हवेली में?
यह महल पहले आश्रम हुआ करता था और इसकी जो आंतरिक बनावट भी वो बिलकुल आश्रम की तरह है। इस आश्रम को बनाए जाने का जो सबसे महतवपूर्ण कारण यह था की यहाँ से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर अयोध्या नगरी बस्ती है। यहाँ पर श्री राम जी का जन्म हुआ था तो उस समय सड़को का इतना विकास नहीं हुआ था जिस कारण लोग पैदल या फिर घोड़ो पर सवार होकर जंगल बीहड़ पार किया करते थे और बीच में पड़ने वाले इस मकरायी महल आश्रम में विश्राम किया करते थे और अपनी रात भी यही बिताते थे और इसी आश्रम में उस समय भजन कीर्तन आदि भी हुआ करते थे यह पर कई पुजारी, ऋषि _ मुनि , जोगी भी विश्राम किया करते थे। कहाँ जाता है की आश्रम में चोरी हो गयी उसके बाद इस आश्रम को बंद कर दिया गया ।
रात को आना है सख्त माना ?
इस हवेली की बनावट ही ऐसी है की ये हवेली दिन में खूबसूरत और रोमांचक लगती है लेकिन अगर आप रात में इस हवेली में अकेले आकर कुछ पल बिताये तो शायद आप उन सभी चीज़ो को मानने लगेंगे, जिनके बारे में सोचकर ही आप दर जाते है । भूत, प्रेत, आत्मा, शैतान, साया, डरने की एक दूसरी वजह भी है जंगली जानवर, क्युकी इस हवेली के चारो तरफ जंगली पेड़ पौधे है। कुछ लोगो का कहना है की कई लोग रात में और दिन समय निकाल कर इसकी खुदाई भी करते है। इस हवेली के समीप एक कुआ भी मौजूद है जिसके समीप जाना सख्त माना है। दिन के समय लोग घूमने आते है पर रात होते ही यह से लोग सब अपने घरो की और चले जाते है।