Salasar Balaji Mandir History in Hindi: सभी हनुमान जी के भक्तों के लिए ये ब्लॉग काफी ज्यादा जरुरी है क्युकी आज हम आपके सामने सालासर बालाजी मंदिर से जुडी कुछ रहस्यमयी बातो, इतिहास के बारे में बताने वाले है। सालासर बालाजी मंदिर जयपुर के चूरू में स्थित है। वैसे देखा जाए तो ये नागौर, चूरू और सीकर के बीच में ही स्थित है। सालासर मंदिर के संस्थापक है मोंदा जी महाराज। इनकी बहन का नाम कानी दादी इनका विवाह पंडित सुखराम जी से हुआ जो की सालासर के निवासी थे। जब सुखराम जी की शादी कानी दादी से हुई तो ये सालासर में निवास करने लगे।
कुछ समय बाद कानी दादी के एक पुत्र हुआ जिसका नाम था उदय महाराज। उसके थोड़े समय बाद पंदिर सुखराम जी का स्वर्गवास हो गया। पंदिर लच्छी राम जी जो की दादी जी के पिताजी थे उनके सबसे छोटे बेटे थे मोहन दस जी महाराज जो की अपनी बहन की देखभाल करने और खेती बड़ी में हाथ बटाने सालासर आये। मोहन दास जी बहन की खेती बड़ी में मदद करते और वो बालाजी के शुरू से ही भक्त थे तो बालाजी की सेवा किया करते थे।
सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास
एक दिन की बात है मोहन दास जी खेतों में काम कर रहे थे, तो खेती की दौरान उनका औजार खींचा और दूर फेक दिया। तभी कानी दादी जी के बेटे उदय जी ने देखा की मां जी ऐसा क्यों कर रहे है तभी वो भाग कर अपनी माँ के पास गए और सारी बात बताई की मामाजी खेतों में काम नहीं कर रहे।
तब की दादी को लगा की मोहन दास जी की शादी करवा देनी चाहिए। इसके बारे में मोहन दास जी से पूछा तो उन्होंने शादी के लिए साफ़ माना कर दिया। तब की दादी ने सोचा की शर्म के कारण माना कर रहे होंगे तो उन्होंने किसी को रिश्ते के लिए भेजा। मोहन दास जी ने पहले ही बता दिया था की जिस भी लड़की से मेरी शादी की बात चलायी जाएगी वो लड़की मारी जाएगी। तप जब वो व्यक्ति रिश्ता लेकर गया तो वो लड़की सच्ची में मरी हुई पाएगी। ये जानकार सब चकित रह गए की मोहन दास जी की बात सच्ची निकली। उनके लिए रिश्ते देखने बंद कर दिए गए।
कुछ समय बाद एक दिन बालाजी महाराज ने मोहन दास जी के सपने में आकर कहाँ तुम्हे मेरी भक्ति के आलावा कुछ नहीं करना। ऐसे ही मोहन दास जी ने सब काम छोड़ कर उनकी भक्ति में लग गए।
मोहन दास जी और सालासर बालाजी से जुडी बाते
- मोहन दास जी और सालासर बालाजी बाते किया करते थे।
- मोहन दास जी और सालासर बालाजी कुश्ती खेला करते थे।
- मोहन दास जी के शरीर में आये दिन कुश्ती के निशाँ दिखाई दिया करते थे।
- खेतों में मोहन दास जी और बालाजी के चरणों की झलक दिखाई दिया करती थी।
कानी दादी से जुडी रोचक घटना?
एक दिन कानी दादी के द्वार पर एक साधु आटा लेने आये। जैसे ही कानी दादी आटा लेकर बहार आयी तो साधु वहां नहीं थे। साधु को वहां देखकर कानी दादी को दुःख हुआ और उन्होंने ये बात मोहन दास जी को बताई। मोहन दास जी सुनते ही समझ गए की बालाजी आये और वो आकर चले गए। फिर अगले दिन ये घटना वापस हुई तो उन्होंने सोचा आज तो में उन्हें घर में लाये बिना नहीं जाएं दूंगा। उन्हें देखते ही मोहन दास जी ने उन्हें चरण पकड़ लिए और छोड़े नहीं क्युकी उन्हें पता थे ये बालाजी है।
तब बालाजी ने कहाँ की पैर क्यों पकडे है क्या चाहिए तुम्हे, डराया, धमकाया पर फिर भी मोहन दास जी उनके चरण नहीं छोड़े। भक्त के आगे भगवन हार गए और उनसे पूछा की चाहिए क्या ये बताओ। तो मोहन दास जी ने कहा की मेने तो आपके दर्शन कर लिए आप घर चलो और मेरी बहन को भी आपके दर्शन दे दो। इस पर बालाजी ने हां किया और घर की और चल दिए। घर जाने से पहले बालाजी ने शर्त रखी में खीर चूरमा ही खाऊंगा।
उनकी शर्त मान ली और हनुमान जी को घर ले गए वहां भोजन कराया और हनुमान जी प्रसन्न हुए। इसके बाद हनुमान जी ने प्रसन्न होकर मोहन दास जी से कहा की बोलो क्या चाहिए तुम्हे। तब मोहन दास जी ने कहा की ये मेरा जीवन मेरी बहन को समर्पित है तो आप मेरी बहन के वंशज का यहाँ विराजमान होकर ध्यान रखे अनंतकाल तक, आपके पास जो भी भक्त आये उन सबकी मनोकामना पूरी करे”। उनकी बात को हनुमान जी ने मान ली।
Salasar Balaji Mandir History in Hindi
सालासर के पास में ही आसोटा नाम की जगह है जहाँ एक किसान के हल से टकराकर एक प्रतिमा निकली। उस प्रतिमा को किसान ने पत्थर समझकर फेक दिया। जैसे ही किसान ने पतथर को फेका उसके पेट में दर्द होने लगा जैसे ही उसकी पत्नी खाना लेकर आयी तो उसने कारण पूछा तो उन्होंने साड़ी घटना बता दी। तब पत्नी ने पत्थर के बारे में पूछा और साड़ी के पल्लू से साफ़ करा करते ही उस महिला को समझ आ गया की ये हनुमान जी की मूर्ति है और उस मूर्ति को पेड़ के निचे ही विराजमान करा दिया। पति से माफ़ी मांगने को कहा। खाने में जो चूरमा लायी थी वही बालाजी को भोग लगा दिया और उसके बाद पति का पेट का दर्द भी सही हो गया। फिर उस किसान ने और पत्नी ने उस प्रतिमा को वहां के राजा को सौप दिया।
राजा ने प्रतिमा को रख लिया और एक दिन राजा के सपने में बालाजी महाराज आये और उन्हें बताया की मेरा भक्त है सालासर में मुझे वहां छोड़ आओ में उनके लिए ही यहाँ आया हु। उधर मोहन दास जी के सपने में आकर बालाजी ने कह दिया की कल में तेरे पास आ जाऊंगा। मोहन दास जी महाराज सब गांव वालो के साथ हनुमान जी का इन्तजार कर रहे थे। बैलगाड़ी में बालाजी महाराज सालासर पहुंचे। सब इस बात को लेकर चिंतित हो गए की बालाजी महाराज आ तो गए अब इन्हे विराजित कहाँ किया जाए। तब मोहन दास जी ने कहा की सब लोग बैलगाड़ी को छोड़ दो जहाँ भी ये रुकेगी वही इन्हे स्थापित किया जायेगा। तो बैलगाड़ी एक रेत के टीले पर जाकर रुकी और वही पर बालाजी महाराज को इस्थापित कर दिया गया। आज भी ये बैलगाड़ी मंदिर के प्रांगण में राखी गयी है जिनका दर्शन आप कर सकते है।
धीरे धीरे बालाजी महाराज की ख्याति सब जगह फेल गयी। ये सब सुनकर एक राजा धोक लगाने बालाजी महाराज के मंदिर में आये। उन राजा के पीठ पर एक फोड़ा था उन्होंने मोहन दस जी से कहाँ की ये फोड़ा ठीक हो तब में मानु की बालाजी की प्रतिमा में कुछ बात है। अगले दिन जैसे ही राजा नहाने गए तो पीठ पर कोई फोड़ा था ही नहीं तब राजा को यकीन हुआ की मूर्ति में कुछ तो बात है।
सालासर मंदिर में भगवन को नारियल बांधने की प्रथा है और कहा जाता है की नारियल बांधने से सब मनोकामना पूरी होती है। यदि किसी को पुत्र नहीं हो रहा है तो पुत्र प्राप्ति के लिए भी लोग नारियल बांधते है।
मंदिर का निर्माण कैसे हुआ?
मंदिर के पहले गुम्बद का निर्माण के नूरा नाम के मुस्लिम व्यक्ति के द्वारा किया गया था। जो की फतेहपुर के रहने वाले थे। उसके बाद विक्रमी सावंत 1811 वार शनिवार श्रावण की नवमी को बालाजी वहां आये और इसी दिन बालाजी महाराज की वहां स्थापना हुई’। उसके बाद मोहन दास जी ने उदय राम जी महाराज को मंदिर का काम सौप कर जीवित समाधी ले ली जो आज भी मंदिर में मौजूद है। उदय राम जी महाराज मंदिर के पहले पंडित जी बने थे। अभी मोहन दस जी के परिवास की सातवीं पीढ़ी है जो अभी सालासर भगवन की पूजा कर रही है।
बालाजी की प्रतिमा का वर्णन?
जब सालासर बालाजी की प्रतिमा खेत में से निकली तो उस समय वो राम जी और लक्ष्मण जी को कंधे पर लिए हुए थे। उसके बाद जब उन्हें सालासर लाया गया तो मोहन दास जी महाराज उनसे बाते किया करते थे। बालाजी महाराज जब भी मोहन दास जी से बात किया करते थे तो उनका रूप साधु का रूप हुआ करता था।
इसीलिए मोहन दास जी ने कहा की मेने बालाजी के इसी रूप की पूजा की है तो वो सिन्दूर से बालाजी के दाढ़ी मूछ बना देते थे इसीलिए मंदिर में आज भी उनके साधु रूप की ही पूजा की जाती है। मंदिर प्रांगण में आपको सबसे पहले बालाजी महाराज, ऊपर गणेश जी महाराज और राम दरबार, राधा कृष्णा, अंजनी महाराज, मोहन दास जी महाराज जी की प्रतिमा, शालग्राम जी, लड्डू गोपाल और शिव जी सभी की प्रतिमाये आपको देखने को मिलेंगे।
मंदिर में आपको मोहन दास जी महाराज के हाथो के कड़े, गद्दी, मोहन दास जी का कुर्ता सभी आज भी मंदिर के प्रांगण में मौजूद है। मंदिर में पूजा पंडित सिर्फ लाल वस्त्रों में ही करते है।
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सालासर बालाजी का परिसर
सालासर बालाजी के मंदिर में एक अखंड धुनि प्रज्वल्लित होती है जो मोहन दास जी के समय से आज तक आज भी जल रही है। वो धुनि इतनी ताकतवर है की उससे सभी रोग सही हो जाते है। ये धुनि मोहन दास जी ने अपने हाथो से प्रज्वलित की थी। एक हॉल है जहाँ सभी पाठ किये जाते है। साथ ही मंदिर के परिसर में एक कुआ है जिसके बारे में कहा जाता है उसके निचे 5 नदियां आकर मिलती है।
सालासर बालाजी के मंदिर कैसे पहुंचे?
मंदिर के समीप ही काफी सारे रेलवे स्टेशन है जैसे रतनगढ़, सुजानगढ़, सूरत और जयपुर जहाँ से आसानी से ट्रैन मिल जाती है। यदि कोई फ्लाइट से आना चाहता है तो जयपुर हवाईअड्डा सालासर का सबसे नजदीकी हवाईअड्डा है वहां पहुंचकर कोई भी प्राइवेट गाड़ी या बस के जरिये सालासर धाम पंहुचा जा सकता है। इसके आलावा मंदिर में पहुंचने के बाद बड़ी बड़ी लाइनों के जरिये भीड़ भड़क्के को रोका जाता है। इन लाइनों में निचे लकड़ी के फंटे बिछे है जहाँ से धुप की गर्माहट का एहसास नहीं होता है। ठंडक के लिए हर जगह कूलर प्लान लगा है। यात्रियों को धुप से बचने के लिए टेंट की सुविधा है और जगह जगह पानी पिलाया जाता है।
मंदिर से जुडी बहुत सी रहस्यमयी घटनाये है और चमत्कार है जिससे कारण लोगो की आस्था दिन प्रतिदिन बालाजी महाराज के लिए बढ़ती ही जा रही है। तो आप यदि बालाजी के दर्शन करने का सोच रहे है तो जरूर जाए। साथ ही आपको हमारा ब्लॉग कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताये।
FAQ’s-
सालासर बालाजी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
Q.1- मोहन दास जी महाराज के हाथो के कड़ो का जल कीन्हे दिया जाता है?
उत्तर- जिन भी लोगो को गंभीर समस्या होती है, जिन रोगो का भी समाधान नहीं हो पाते उन लोगो को मंदिर से मोहन दास जी के कड़ो का पानी दिया जाता है जिससे गंभीर से गंभीर बीमारी भी सही हो जाती है।
Q.2- ज़ी न्यूज़ की एक रिपोर्ट में भारत के 4 मंदिरों में एक सालासर बालाजी मंदिर का जिक्र क्यों किया गया था?
उत्तर– ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार सालासर बालाजी का मंदिर भारत की सर्वोच्च व्यवस्था रखने वाला मंदिर है जहाँ भारी मात्रा में भीड़ आती है।
Q.3- सालासर मंदिर के कुए का क्या रहस्य है?
उत्तर- सालासर मंदिर में एक कुआ मौजूद है जिसके बारे में कहा जाता है इसके निचे से 5 नदिया बहती है। इस कुए के जल को अमृत सामान बताया गया है। मंदिर का हर एक कार्य इसी जल से किया जाता है चाहे वो बालाजी का स्नान हो या फिर कोई भी पंदिर का स्नान जो बालाजी की पूजा करने वाला है। इस जल से सभी प्रकार की बीमारी सही हो जाती है।
Q.4- सालासर बालाजी को किन किन चीज़ो का भोग लगाया जाता है?
उत्तर– सुबह के समय बालाजी को मेवे का भोग लगाया जाता है। उसके बाद दिन में रोठ का भोग का लगाया जाता है और शाम के समय दूध, फल, और मेवे का भोग लगाया जाता है। और किन्ही विशेष अवसर पर चूरमे का भोग लगाया जाता है।
Q.5- सालासर बालाजी के दर्शन कैसे किये जा सकते है?
उत्तर- सालासर बालाजी के मंदिर परिसर में पहुंचकर लाइनों के जरिये बालाजी के दर्शन किये जा सकते है। यात्रियों को वूडेन फ्लोर, टेंट, पानी, कूलर फिटिंग, टेंट आदि सभी चीज़ो की व्यवस्था की गयी है।
Q.6- सालासर बालाजी में वीआईपी कैसे दर्शन करते है?
उत्तर- सालासर बालाजी के मंदिर में बड़े और वीआईपी लोग मुख्यमंत्री प्रोटोकॉल के जरिये मंदिर में प्रवेश और दर्शन करते है। मंदिर में आये दिन मुख्यमंत्री और राज्यपाल दर्शन के लिए आते ही रहते है।
Q.7- क्या सालासर बालाजी के मंदिर में रुकने की व्यवस्था है?
उत्तर- सालासर बालाजी मंदिर के आस पास करीब 200 से भी ज्यादा धर्मशालाए है जहाँ पर यात्री आराम से रुक सकते है।
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