इतिहास की सबसे प्राचीन नगरी, जो शिव को सबसे प्यारी है, जो मोक्ष का द्वार है, सनातन धर्म की गहराई बताती है, ज्ञान विज्ञान की नगरी, स्वाद संस्कृति की नगरी, घाटों और रस्मों की नगरी, महादेव के त्रिशूल पर टिकी हुई, यह है हमारी काशी-वाराणसी बनारस की नगरी।
सन् 2019 में बना कॉरीडोर जिसका उद्घाटन हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने करवाया था। दोस्तों अगर आप भी वाराणसी को कम समय में पूरा घूमना चाहते हो तोह हमने इस ब्लॉग के माध्यम से वाराणसी में घूमने की जगह और उसे से जुडी बातो के बारे बताया गया है।
वाराणसी में घूमने के लिए बेहतरीन 20 जगह
दोस्तों अगर आप अपनी फॅमिली के साथ वाराणसी बनारस घूमने की सोच रहे है और आपको समझ नहीं आ रहा है की कहा घूमने जाना चाहिए तो दोस्तों यहाँ पर 20 ऐसी घूमने की जगह के बारे में बताना जा रहे है। निचे दी गयी बहुत बेहतरीन जगह है और उनसे जुडी कुछ कहानिया भी लिखी हुई है।
1. बाबा विश्वनाथ काशी मंदिर (Kashi Vishwanath Temple)
सन् 1780 में इन्दोर की महारानी अहिल्या बाई घोलकर जी ने काशि विश्वनाथ जी के इस मंन्दिर कर निर्माण करवाया था। सोने से लिपटे हुए बाबा विश्वनाथ जी के इस मंन्दिर को देखते ही होश उड़ जाते है। भोलेनाथ के 12 ज्योर्तिलिंग में से काशी विश्वनाथ 7वां ज्योर्तिलिंग है। इस ज्योर्तिलिंग में शिव और शक्ति दोनों ही विराजमान है। मंदिर के गर्भ गृह में 37 किलों सोना लगा हुआ है।

बनारस में 84 घाट है और यहां पर सब नोका विहार करते है क्यूंकि स्वंय श्रीराम जी ने सीता मैया के साथ यहां नौका विहार किया था। यहां अलग अलग घाट है- आदि घाट, नारद घाट, हनुमान घाट, दश्वाश्मेद घाट और बहुत सारे अनेक घाट आते है।
काशी विश्वनाथ मंदिर को Best Place to Visit in Varanasi में पहले स्थान पर रखा गया है क्युकी बाबा विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में घूमने के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है ।
2. तुलसी घाट (Tulsi Ghat)
इसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की थी और इसी घाट पर उन्होंने हनुमान चलीसा लिखी थी और मान्यता है कि तुलसी दास जी ने इसी घास पर अपना शरीर भी त्यागा था।

3. हरिशचन्द्र घाट (Harishchandra Ghat)
सत्यवादी राजा हरीशचन्द्र जी के नाम पर यह घाट है। इसी घाट पर वे डोम राजा के यहां लोगों को जलाने का काम किया करते थे। एक बार तो उनकी स्वयं की पत्नी आयी थी उनके ही पुत्र का दाह संस्कार करने के लिएउन्होंने कहा कि कर के बिना मैं अपने पुत्र का भी दाह संस्कार यहां नहीं कर सकता। उनकी पत्नी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर दिया। सत्यवादी हरीशचन्द्र की यह सत्यता की निष्ठा देखकर ब्रह्मा और विष्णु स्वयं प्रकट हुए और इसी घाट से उन्हे स्वर्ग स्वशरीर प्रदान करा।
4. मणिकर्णिका घाट
बर्निंग घाट ऑफ वाराणसी के नाम से इसे जाना जाता है। यह काशी का सबसे रहस्यमयी स्थान है। काशी मणिकर्णिका घाट जहां लाशों के जलने का सिलसिला कभी खतम नहीं होता। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार सीता माता इस घाट पर स्नान करने के लिए आई थी और उनके कानों के कुण्डल वहां गिर गए थे। उस समय वहां 7 ब्राह्ममण मौजूद थे तो महादेव ने उन्हे वो कानों के कुण्डल खाजने के लिए कहा।

उन्हे वे कुण्डल मिल तो गए लेकिन उन्होने महादेव से कहा हमे नहीं मिले। यह बात सुनकर महादेव को अत्यंत कोध आया और उन सभी को श्राप दिया कि जाओ तुम चण्डाल बन जाओ और लोगों को जलाने का कार्य संभालो। तब से लेकर आज तक वही डोम जाती ही यहां पर लोगों को जलाने का कार्य संभाल रही है। मान्यता है आज भी चिता को पहली पांच लकड़ियां डोम का राजा ही देता है।
इस मणिकर्णिका घाट पर स्वंय देवो के देव महादेव ही इसका देख रेख करते है और उनके हाथों के द्वारा ही ज्योत् अग्नि प्रज्जवलित की गई थी उसी के द्वारा ही चीता को अग्नि दी जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस घाट पर स्वयं महादेव ही मृत व्यक्ति के कानों में तारक मंत्र कहते अर्थात् राम नाम का जाप करते है।
मणिकर्णिका घाट के बिलकुल साथ ही भारत की ऐसी धरोहर खड़ी है जिसके बारे में आज का मॉर्डन युग जानता नहीं है।
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5. काशी करवट (दी लीननिंग टेम्पल ऑफ बनारस)
इस मन्दिर का निर्माण राजमाता अहिल्या बाई होलकर की दासी रतना बाई ने करवाया था। अपने नाम से ही उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की इसलिए शिवलिंग का नाम रतनेश्वर महादेव रखा और इसलिए मंदिर का नाम रतनेश्वर महादेव मंदिर भी है। यह मंदिर साल में छह मंहिने तो गंगा जल के नीचे रहता है सिर्फ 6 महीने के लिए दर्शन देता है। यह मंदिर 300 साल पुराना है।
रतना बाई इसका निर्माण पूरा नहीं करवा पाई थी क्यूंकि वो गरीब थी इसलिए इसका आधार कमजोर है और यह मंदिर एक तरफ झुका हुआ है। ये मंदिर 9 डिग्री तक झुका हुआ है।
6. काल भैरव का मंदिर
काल भैरव यानी जो काशी के कोतवाल है यानी रक्षक है। काल भैरव भगवान शिव के शरीर से प्रकट हुए है और उनका रूद्र रूप माने जाते है। ये कोयले से भी काले और उनका वाहन है कुत्ता। यहां लोग भूत पिसाच के उपचार हेतु भी आते है।

7. सिद्धेश्वरी देवी मन्दिर
इसे चन्द्रकूप के नाम से भी जाना जाता है। कहते है इसमे एक कुआ है यदि इस कुए मे आपको आपकी परछाई नहीं दिखती तो 6 महीने के भीतर आपकी मौत हो सकती है। सिद्धेश्वरी माता सबके कार्य सिद्ध करती हैइन माता के बारे में कहा जाता है कि ये 9 दुर्गा के रूपों में इनका 9वा स्वरूप हैये मंदिर विश्व का सबसे प्राचीन स्थान है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब सूर्य और चन्द्रमा भी नहीं थे उससे पहले से ये यह माता विराजमान हैये माता स्वयंभू है यानी ये स्वयं प्रकट हुई है। इस मंदिर में हर कोई दर्शन नहीं कर पाता कहा जाता है जिन भक्तों पर देवी मां प्रसन्न होती है सिर्फ उन्हे ही इस मंदिर में दशर्न करने मौका मिलता है।

चन्द्रकूप इस मंदिर मे पाए जाने कुए को कहते है जिसके पानी का ही इस्तेमाल करके ही पूजा की जाती हैइसको अमृतकूप नाम दिया था चन्द्रदेवता ने, उन्होंने अपने हाथों से इसे बनवाया था।
8. माता संकटा मंदिर
इस मंदिर की बनारस में बहुत मान्यता है ये माता समस्त संकटों को काटने वाली है। ऐसा कहा जाता है भगवान श्रीकृष्ण स्वंय पाण्डवों को आज्ञातवास से पहले माता संकटा के दर्शन करवाने लाये थे।

9. घृष्णेश्वर महादेव मंदिर
करीब 5000 साल पहले भगवान द्वारकाधीश इसी स्थान पर आए और उन्होने अपने हाथो से इस शिवलिंग की स्थापना की। 5000 साल पहले अपनी पत्नी जामवती के साथ यहां आए थे। ऐसा कहा जाता है विष्णु परम शैव है और शिव परम वैष्णव है। काशी में भगवान शिव को राम नाम बिल पत्र चढाने का पुण्य मिलता है।

10. आत्माविषेश्वर महादेव मंदिर
इस मंदिर को बाबा काशी विश्वनाथ जी की आत्मा कहा जाता हैकहा जाता है यदि कोई इस शिवलिंग पर एक भी बील पत्र चढ़ाता है तो उसको सैकड़ों बिल पत्र चढाने का फल प्राप्त होता हैकाशी खण्ड के 122 श्लोक के अनुसार यदि कोई इस शिवलिंग को 8 बार नमस्कार या 8 बार प्रणाम भी कर लेता तो उसको 8 करोड़ प्रणाम करने का फल प्राप्त होता है।

ऐसा कहा जाता है कि स्वामी विवेकानन्द के पिताजी को पुत्र प्राप्त नहीं हो रहे थे तो उनके माता पिता ने इसी महादेव के मंदिर में उन्हे मांगा था। और महादेव ने स्वामी विवेकानन्द को उन्हे बेटे के रूप में जनम दिया।
11. स्कॉन वाराणसी
स्कॉन यानी इन्टरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्ण कॉन्सीयसनेसयहां के संस्थापक आचार्य है जगत गुरू शिरिला प्रभुपाद जी। इन्होने ही स्कॉन की संस्था बनायी थीइनके कारण ही आज पूरे विश्व में कृष्ण और राधा रानी जी के मंदिर है।

12. बिन्दु माधव जी का मंदिर
इस मंदिर को औरंगजेब ने 1669 में तुडवा दिया था. और इसकी जगह मस्जिद बनवा दी। फिर छत्रपति शिवाजी महाराज ने सन् 1672 में मस्जिद के सामने बिन्दु माधव जी के मंन्दिर का निर्माण करवाया। बिन्दु ऋषि ने नेपाल की नाडी के सामने बैठकर भगवान विष्णु जी की तपस्या करके विग्रह प्राप्त किया।

13. अन्नपूर्णा देवी मंन्दिर
काशी विश्वनाथ जी के मंदिर के पास ही यह मंदिर है जहां आपको दर्शन अवश्य करने चाहिए। एक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती जी भगवान शिव की नगरी काशी में देवी अन्नपूर्णा के रूप में निवास करती है। जहां उन्होने स्वयं भगवान शिव को भिक्षा दी थी, जब उन्होने काशी के लोगों की भलाई के लिए आशीर्वाद मांगा था। अन्नपूर्णा देवी काशी के भक्तो को अन्न धन से पूरिपूर्ण रखती है।

14. गौरी केदारेश्वर मंदिर
वैसे तो आपने कई शिवलिंग देखे होगें लेकिन काशि में स्थित इस शिवलिंग की अलग ही महिमा हैयह शिवलिंग दो भागें में बटां हुआ है एक भाग में भगवान शिव माता पर्वती जी के साथ निवास करते है और दूसरे भाग में भगवान नारायण अपनी पत्नी माता लक्ष्मी के साथ निवास करते है। यहां भोग में खिचडी चढाई जाती है। कहा जाता है कि भगवान शिव जी स्वयं इस खिचडी को ग्रहण करने आते है।

15. संकट मोचन हनुमान मंदिर
इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। इसी मंदिर में हनुमान जी ने तुलसी दास जी को दर्शन दिए थे। जिसके बाद बजरंग बली मिट्टी का स्वरूप धारण करके यहां विराजित हो गए।

16. दुर्गा माता मंदिर
एक कथा के अनुसार दुर्गा माता एक दैत्य संहार के बाद यहां आराम करने आई थीयह लाल पत्थरों से बना अत्यंत सुन्दर और भव्य मंदिर है। सावन के माह में यहा मेले का आयोजन किया जाता है।

17. भारत माता मंदिर
यह वाराणसी का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर महात्मा गांधी के काशी विद्यापीठ में स्थित है। यह मंदिर काफी बड़ा हैभारत माता को समर्पित यह मंदिर बहुत खूबसूरत हैभारत के भौगोलिक चित्र को जमीन पर संगमरमर से बनाया गया हैइस मंदिर में किसी देवी देवता की तस्वीर मौजूद नहीं हैयह मंदिर पूरी तरह से भारत माता को समर्पित है

18. चौखण्डी स्तूप
यह वाराणसी के सारनाथ में स्थित हैयह बौद्ध धर्म के लोगों के लिए महत्वपूर्ण जगह है। बहुत बड़ा स्तूप में यहां मौजूद है, जिसे देखने के लिए 20 रू कि टिकट लगती हैयह ए एस आई के कंट्रोल में है।

19. स्वर्वेद् महामंदिर धाम
सरनाथ से यह मंदिर करीब 7.5 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर बहुत खूबसूरत है। कुछ समय पहले ही यह मंदिर बनकर तैयार हुआ हैस्वर्वेद मंदिर एक योग मंदिर है। इस मंदिर की बनावट बहुत खूबसूरत है। रात के समय इसकी खूबसूरती में चार-चांद लग जाते है।

20. महामृत्युन्जय मंदिर
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं इस मंदिर का इतिहास एक प्राचीन कुए और शिवलिंग से जुड़ा है। मृत्युन्जय शब्द का अर्थ है मृत्यु पर विजय पाने वाले भगवान। ऐसा माना जाता है इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग सभी भक्तों को उनकी अप्राकृतिक मृत्यु से दूर रखता है। इसी अप्राकृतिक मृत्यु पर विजय पाने के लिए भक्तों द्वारा भगवान शिव को मृत्युन्जय महादेव के रूप में पूजा जाता हैइस मंदिर में एक कुआ है कहा जाता है कि इस कुए का पानी पीने से सभी बीमारियां दूर हो जाती है।

इन सबके के अलावा यहां तरह तरह के 84 घाट मौजूद है और लाखों मंदिर मौजूद है जहां आप घूम सकते है।
FAQ’s-
कुछ प्रश्न वाराणसी के बारे में पूछे गए।
Q.1- वाराणसी में मंदिरो के आलावा कोनसे झरने है ?
उत्तर– यदि आप वाराणसी में मंदिर देखते देखते थक गए है तो आप वहां के 3 फेमस झरनो का आनंद उठा सकते हो राजदरी झरना, लखनिया दरी झरना, देवदरी झरना।
Q.2- वाराणसी में घूमने की कोनसी कोनसी जगह है?
उत्तर– वाराणसी में घूमने के लिए आप काल भैरव मंदिर, भारत माता मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, राजा हरिश्चंद्र घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर, मणिकर्णिका घाट, दुर्गा मंदिर, पंचगंगा घाट, संकटमोचन हनुमान मंदिर, आलमगीर मस्जिद, बिरला मंदिर और रत्नेश्वर महादेव मंदिर जैसी जगह जरूर घुमनी चाहिए।
Q.3- वाराणसी/ बनारस में क्या जरूर खाना चाहिए?
उत्तर– बनारस का पान बहुत ही प्रसिद्ध है इसलिए आपको यहाँ का प्रसिद्ध नेता जी का पान जरूर खाना चाहिए।
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