Ujjain Mahakaleshwar Temple Facts, Mystery, History in Hindi:- आप सभी ने उज्जैन ज्योतिर्लिंग के बारे में जरूर सुना होगा, इससे जुडी कहानियां और रहस्यमयी राज पुरे भारत में प्रसिद्ध है। यहाँ पर ऐसी बहुत सी अन्धविश्वाश की बाते भी है जिसपर लोग भरोसा करते है। उज्जैन से शिप्रा नदी बहती है जहाँ के बहुत से तट पर धार्मिक कार्यक्रम और पूजा की जाती है। महाकालेश्वर को महाकाल के नाम से भी जाना जाता है। उज्जैन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक रहस्यमयी ज्योतिर्लिंग है। महाकाल को उज्जैन को अवंतिका परिक्षेत्र के राजा कहा जाता है। जिस प्रकार से पुरे ब्रह्माण्ड को 3 भागों में बाटा गया है- आकाश, पाताल और धरती। महाकालेश्वर जी के बारे में कहाँ जाता है की इन्होने समय को अपना गुलाम बना रखा है इसलिए इन्हे महाकाल कहा जाता है। महाकालेश्वर जी की स्थापना सात युग से है। सतयुग में राम जी महाकालेश्वर के दर्शन करने आये और द्वापर युग में श्री कृष्ण भी यहाँ शिक्षा ग्रहण करने आये।
भगवन महाकालेश्वर जी से सिर्फ दर्शन और स्मरण करने से मनुष्य की आकाल मृत्यु नहीं होती और वो व्यक्ति महाकाल का भक्त बन जाता है। यहाँ पर संसार के सभी देवी देवताओ ने अपने शिवलिंग स्वरुप को महाकाल के चरणों में समाये हुए है। यहाँ पर शिव जी ने चारो दिशाए बांध रखी है। ऐसा कहा जाता है की शिव जी ने उज्जैन में 84 महाकाल बिठा रखे है जो की पुरे उज्जैन को बंधे हुए है। जो भी एक बार उज्जैन के परिसर में अंदर जाता है वो पूरी तरह से सब कुछ भूल कर सिर्फ शिव जी को समर्पित हो जाता है।
महाकालेश्वर में आरती का समय
उज्जैन महाकालेश्वर के मंदिर में 1 दिन में 6 बार आरती की जाती है। सबसे पहले सुबह 3:30 बजे भस्म आरती की जाती है, जो की 2 से 2.5 घंटे तक आरती होती है। इसके बाद सुबह 7 बजे ददद्योदक आरती, जिसमे दूध- दही- चावल का भोग लगाया जाता है। तीसरी आरती होती है महाभोग आरती, जो की सुबह 10 बजे की जाती है। शाम को 5 बजे पूजन किया जाता है, इस तरह से सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक सतत जल धरा चलती रहती है यानी की अभिषेक होता रहता है और शाम 5 बजे की आरती में जलाभिषेक कलश को उतार दिया जाता है और सूखा श्रृंगार किया जाता है। पांचवी आरती संध्या आरती की जाती है और उसके बाद अंत में छट्टी आरती जो की शयन आरती कहलाती है जो की रात के 10:30 बजे की जाती है।
1. | भस्म आरती | सुबह 3:30 बजे |
2. | ददद्योदक आरती | सुबह 7 बजे |
3. | महाभोग आरती | सुबह 10 बजे |
4. | पूजन आरती | शाम 5 बजे |
5. | शंध्या आरती | शाम 7 बजे |
6. | शयन आरती | रात 10:30 बजे |
पूरी दुनिया के अलग अलग भागों से लोग यहाँ दर्शन करने आते है और उनके मनवांछित फल मिलता है। महाकालेश्वर महादेव के बारे में ऐसा कहा जाता है की इनके सिर्फ दर्शन मात्रा से ही मनुष्य की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
क्या उज्जैन के राजा सिर्फ महाकाल है ?
ऐसी बहुत सी अफ़वाए है जिसमे कहा जाता है की यदि यहाँ कोई दूसरा राजा आता है और एक रात भी यहाँ रुक जाता है तो उसका साम्रज्य या तो ख़त्म हो जाता है या उसकी मौत हो जाती है। भारत के चौथे प्रधानमंत्री मुरारी जी देसाई उनके आने के कुछ समय बाद उनकी सरकार गिर गयी, कर्णाटक के सीएम जब यहाँ आये उसके कुछ समय बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और जब ये घटनाएं घाटी तो इन अफवाओं को और ज्यादा हवा मिलने लगी क्या वास्तव में ऐसा है। ये सभी चीज़े सिर्फ अफ़वाए है, भगवान महाकालेश्वर के अनन्य भक्त है जो काफी समय से राजनीती में है और सफल भी है। इसीलिए महाकाल के तो सिर्फ स्मरण मात्र से ही सभी समस्या का समाधान हो जाता है।
भस्म आरती में लायी गयी भस्म क्या वास्तव में चिताओ की होती है?
आपको जानकार हैरानी होगी की सबसे पहले शिव जी ने जिस भस्म का अपने शरीर पर लेप किया था वो सती माता की भस्म थी। पुराने समय में जो देवता और राक्षस शिव जी के भक्त हुआ करते थे उनको सम्मान देने के लिए शिव जी ने उनको अपने रोम रोम में स्थान देने के लिए उनकी भस्म का अपने शरीर पर लेप किया करते थे और यही क्रिया सतयुग में भी चलती रही। क्युकी उस समय भक्ति का वातावरण भी अलग था। जब यहाँ राजा विक्रमादित्य का शासन हुआ तो महाकाल मंदिर में बने भस्म कुंड से मनुष्यों की राख से जो महाकाल की भस्म आरती की जाती थी उस पर रोक लगा दी। क्युकी पुराने समय से उस समय में मनुष्य की प्रवृत्ति में बहुत परिवर्तन आया। इसीलिए आम आदमी की भस्म को महादेव के ऊपर अंगीकार करने से रोक लगा दी गयी। उसके बाद से गाय के शुद्ध गोबर के उपलों की भस्म बनायीं जाती है और वही भस्म भोलेनाथ पर अंगीकार की जाती है। इसीलिए उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के बारे में प्रचलित तथ्य की भस्म आरती चिताओ से की जाती है सिर्फ भ्रम मात्र है। महाकालेश्वर की भस्म इतनी चमत्कारी और असरदायी है की उनके ऊपर चढ़ी भस्म कोई अपने मस्तक पर लगा ले तो उनके सभी कार्य सिद्ध हो जाते है।
महाकालेश्वर महादेव जी का श्रृंगार
ऐसा कहा जाता है की भगवान् शिव से सुन्दर इस संसार में कोई भी देव नहीं है ये तो बिलकुल सत्य है। पर यहाँ हर भक्त अपने अपने भक्ति भाव से भोलेनाथ के अलग अलग श्रृंगार किये जाते है जैसे चन्दन का श्रृंगार, भांग का श्रृंगार, मावे का शिरंगार, मख्खन का श्रृंगार, अर्धनारेश्वर स्वरुप, भोपेश्वर स्वरुप, होली श्रृंगार, दीपावली श्रृंगार, अनकूट श्रृंगार आदि ऐसे बहुत से तरीके के श्रृंगार किये जाते है।
महाकालेश्वर मंदिर में है एक मंदिर जिसके पट सिर्फ साल में 1 बार खुलते है
महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल के शिवलिंग के ऊपर एक दिव्या प्रतिमा है जिसके दर्शन सिर्फ साल में एक बार श्रावण मॉस की शुक्ल पंचमी की नाग पंचमी को करने को मिलते है। महाकालेश्वर गुफा में विराजमान है और उनके ऊपर ओम्कारेश्वर भगवान् विराजित है और उनके ऊपर नागचन्द्र भगवान् विराजित है, इस तरह मंदिर में 1 के ऊपर 1 शिवलिंग स्थापित है और इन शिवलिंग को स्थापित करने का कारण है की किसी भी शिवलिंग पर कोई पैर नहीं रख पाए इसीलिए इनको 1 के ऊपर 1 स्थापित किया गया। आपको जिस मूर्ति के दर्शन साल में सिर्फ एक बार करने को मिलते है वहां एक शेषनाग रुपी सिंघासन है जिसपर भगवान भगवती विराजित है जिनके एक तरफ गणपति, एक तरफ हनुमान जी, एक तरफ सूर्य, एक तरफ बागुड़, एक तरफ नंदी ऐसे करके आपको शिव और शक्ति की एक भव्य प्रतिमा के दर्शन आपको करने के लिए मिलेंगे जो की नाग पंचमी को पुरे 24 घंटे के लिए पट खोले जाते है जिसमे 5 से 10 लाख लोग दर्शन कर पाते है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का मुख क्यों है दक्षिण की तरफ?
ये दुनिया में मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो की दक्षिण की तरफ देखते हुए है और स्वयंभू है यानी की खुद धरती से प्रकट हुआ है। जब हम इन शिवलिंग पर जल चढ़ाते है तो जल पूर्व की तरफ बहता है जबकि इनका मुख दक्षिण की तरफ है और हम सभी जानते है की दक्षिण दिशा को काल की दिशा कहा जाता है। और इनका मुख दक्षिण की तरफ होने के पीछे का तथ्य ये है की काल से बड़े महाकाल है।
यहाँ आपको दर्शन की काफी अच्छा व्यवस्था देखने को मिलेगी। आप ज्यादा से ज्यादा भीड़ में भी मात्र आधा घंटे में भी दर्शन करके बहार आ सकते है। इसके आलावा यदि आप महाकालेश्वर का शहर भ्रमण देखना चाहते है तो सावन के महीने में महाकाल शहर के भ्रमण के लिए जाते है वो भी देख सकते है। और कहा जाता है की उज्जैन के राजा अपने शहर के लोगो का हाल जानने जाते है। इसलिए नए जल की वृष्टि के समय भगवान भ्रमण करने के लिए जाते है। तो ऐसे चमत्कारी, धार्मिक और रहस्यमयी जगह आपको दर्शन करने जरूर जाना चाहिए। यदि आपको हमारा ब्लॉग अच्छा लगा हो तो कमेंट करके जरूर बताये।
FAQ’s-
Q.1 – उज्जैन जाकर कहाँ कहाँ जाना चाहिए?
उत्तर- उज्जैन में आपको हर महाकालेश्वर मंदिर, सिद्धि माता, चिंतामन गणेशजी, राम घाट, चार धाम मंदिर, राम मंदिर, काल भैरव मंदिर जो की उज्जैन के कोतवाल है, मंगल नाथ, सिद्ध नाथ, संदीपनी आश्रम, गढ़कलिका माता मंदिर जो की कालिदास जी की आराध्य देवी है, भर्तरि जी की गुफाये जैसी जगह पर दर्शन करने जा सकते है।
Q.2- क्या महाकाल को भोग लगाया जा सकता है?
उत्तर- आप अपनी श्रद्धा और भाव से जो भी भोग लाना चाहे वो ला सकते है और महाकाल को भोग लगाया जा सकता है।
Q.3- महाकालेश्वर में आरती का समय क्या है?
उत्तर– महाकालेश्वर मंदिर में आरती एक दिन में 6 बार की जाती है जिसमे सुबह 3:30 बजे भस्म आरती, 7 बजे दद्ध्योदक आरती, 10 बजे महाभोग आरती, शाम के 5 बजे पूजन आरती , 7 बजे संध्या आरती और रात 10:30 बजे शयन आरती की जाती है।
Q.4- महाकालेश्वर मंदिर में महादेव के कौन कौन से श्रृंगार किये जाते है?
उत्तर- महाकालेश्वर मंदिर में महादेव के चावल और चन्दन का श्रृंगार, मेवे का श्रृंगार, भस्म श्रृंगार, भांग श्रृंगार, शेष नाग रूप जैसे हर दिन अलग अलग श्रृंगार किये जाते है।